निजामुद्दीन की 'बंगले वाली मस्जिद' कैसे बनी कोरोना वायरस का हेडक्वार्टर ?
नई दिल्ली- देश में लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के बीच एक ही नाम गूंज रहा है। दिल्ली का निजामुद्दीन इलाका और वहां की 'बंगले वाली मस्जिद'। क्योंकि, वहां से हर पल जो नए खुलासे हो रहे हैं, उसने आम नागरिकों से लेकर देश को चलाने वाली सरकार के भी कान खड़े कर दिए हैं। अभी तक कोई भी एजेंसी पुख्ता तौर यह कहने की स्थिति में नहीं है कि यहां पर हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम से कोरोना वायरस का संक्रमण देश के कई राज्यों के कितने लोगों को अपनी चपेट में ले चुका होगा। अब तक इस कार्यक्रम में शामिल 10 लोगों की मौत की बात सामने आ रही है, जबकि करीब 30 लोगों में इस वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। तीन सौ से ज्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती कराए जा चुके हैं और सात सौ से ज्यादा लोग क्वारंटाइन करके रखे गए हैं। आइए जानते हैं कि दिल्ली की ये 'बंगले वाली मस्जिद' कैसे बनी देश में कोरोना वायरस का हेडक्वार्टर ?
कैसी है 'बंगले वाली मस्जिद ?
दक्षिणी दिल्ली के पॉश इलाके निजामुद्दीन वेस्ट से सटे भीड़भाड़ वाले इलाके में 'बंगले वाली मस्जिद' मौजूद है, जो तबलीगी जमात का हेडक्वार्टर है। ये चार मंजिला इमारत सूफी संत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह और गालिब एकैडमी से बिल्कुल सटी हुई है। इस ऊंची इमारत में दाखिल होने या निकलने के लिए सिर्फ एक लोहे (लोहे पर कोविड-19 वायरस कई घंटों तक जिंदा रहता है ) का गेट मौजूद है। साथ ही यहां धार्मिक कर्मों के लिए एक बड़ा सा वजुखाना भी बनाया गया। यहां आए दिन होने वाले जमातों की जमघट की वजह से एक विशाल किचन काम करता है और एक बड़ा सा शू रैक भी मौजूद है, जहां हर वक्त काफी संख्या में लोग भीड़ की शक्ल (कोविड-19 के संक्रमण के लिए आदर्श स्थिति) में मौजूद होते हैं। पहली मंजिल पर बहुत बड़ा हॉल है, जिसमें एक साथ हजारों लोग बैठकर इस्लाम के प्रचारकों का संदेश सुनते हैं।
यहां से निकले वायरस ने किन लोगों पर ढाया कहर?
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च के शुरुआती हफ्तों से यहां तबलीगी जमात की मरकज में देश-विदेश से जो हजारों लोग जुटे उनमें से अब तक कम से 10 लोगों की कोरोना वायरस की वजह से मौत हो चुकी है। इनमें से सबसे ज्यादा तेलंगाना में 6, जिनमें से 5 की सोमवार को ही मौत हुई है। इसके अलावा तमिलनाडु में 65 साल के एक बुजुर्ग और कर्नाटक के टुमकुर का शख्स भी इस मरकज में शामिल हुआ था, जो कोरोना से दम तोड़ चुका है। यही नहीं जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर के जिस 65 वर्षीय मौलवी की कोविड-19 के चलते मौत हुई है, वो भी यहां की मरकज में शामिल होकर लौटा था। वहीं मुंबई में 22 तारीख को जिस फिलीपींस के नागरिक की मौत हुई थी वह भी यहां पर 10 लोगों की जमात में पहुंचा था। ये ग्रुप यहां से लौटने के बाद नवी मुंबई की एक मस्जिद में ठहरा। उस मस्जिद का मौलाना, उसका बेटा, पोता और कामवाली कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इस मौलाना के संपर्क में आए कई लोगों को भी क्वारंटाइन किया गया है।
मस्जिद कैसे बन गई कोरोना का हेडक्वार्टर ?
जब से कोरोना महामारी से जुड़े कानूनों की धज्जियां उड़ाकर इस मस्जिद में तबलीगी जमात के हजारों लोगों की बैठक होने का खुलासा हुआ है, ये मस्जिद सिर्फ जमात की ही नहीं कोरोना के प्रकोप की हेडक्वार्टर बनकर भी उभर आई है। मसलन, सोमवार से मंगलवार दोपहर तक दिल्ली की इस मस्जिद से करीब 1034 लोगों को निकाला जा चुका है, जिनमें से 334 को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इसके अलावा मरकज में शामिल 700 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है। अब तक इनमें से 24 लोग कोविड-19 से संक्रमित पाए जा चुके हैं। अब कुछ रिपोर्ट में जानकारी मिल रही है कि इस मरकज में देश के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोग शिरकत कर चुके हैं। इनमें अंडमान और निकोबार, असम, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल,महाराष्ट्र, मेघालय, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और जाहिरा तौर पर दिल्ली भी शामिल है। इनमें से दिल्ली के अलावा तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक,महाराष्ट्र,जम्मू और कश्मीर और आंध्र प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं। इस बात की पूरी आशंका है कि मरकज में शामिल ऊपर दिए गए हर राज्य में बड़े पैमाने पर पॉजिटिव मामले जरूर सामने आ सकते हैं।
एक मस्जिद से देश भर में कैसे फैल रहा है वायरस ?
तबलीगी जमात की मरकज में जो कई बड़े-बड़े मुस्लिम धार्मिक नेता और उलेमा शामिल हुए थे, उनमें से कई सऊदी अरब, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे कोरोना संक्रमित देशों से आए थे। मार्च के पहले हफ्ते से यहां हजारों लोग धार्मिक उपदेशों और इस्लामी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए पहुंचे थे। मरकज में शामिल होकर जमात के लोग छोटे-छोटे ग्रुप में बंटकर अलग-अलग राज्यों में इस्लाम के प्रचार के लिए निकल पड़े थे। इनमें से कई में कोविड-19 के लक्षण उभरने शुरू हो चुके थे, लेकिन जब तक गुरुवार को श्रीनगर के मौलाना की इससे मौत नहीं हो गई लोगों ने इस संकट को नजरअंदाज किया। इसके बाद कई राज्यों में ऐसे संक्रमित केस सामने आने शुरू हो गए, जो इस जमात में पहुंचे थे या जमात में आए लोगों के संपर्क में आए थे। अभी तक यहां से निकला वायरस कितने लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है, इसका कोई सही अंदाजा भी लगाना मुश्किल पड़ रहा है।
तबलीगी जमात का क्या है कसूर ?
तबलीगी जमात का ये धार्मिक कार्यक्रम तब तक नहीं रुका, जब तक की लॉकडाउन शुरू नहीं हुआ। जबकि, उससे पहले ही दिल्ली में पहले 200, फिर 50 और फिर 5 लोगों के एक साथ इकट्ठा होने पर रोक लगाई जा चुकी थी। जमात के लोगों को पूरा इल्म था कि जो करीब 280 विदेशी नागरिक यहां पहुंचे थे, उनमें से कई लोग कोरोना से बहुत ज्यादा प्रभावित देशों से आए थे। लेकिन, उन्होंने अधिकारियों को इसकी जानकारी देना भी जरूरी नहीं समझा। यहां तक कि लॉकडाउन के भी 6-7 दिन बाद तक हजार से ज्यादा लोगों को इस मस्जिद में छिपाए रखा गया। हद तो तब हो गई जब कई राज्यों में यहां से गए लोग बीमार पड़ने लगे और मौतें शुरू हो गईं तब भी किसी ने मस्जिद में छिपे लोगों को क्वारंटाइन कराने के लिए पुख्ता जानकारी नहीं दी। लेकिन, उनकी वजह से देश के 20 राज्यों पर आज संकट के बादल मंडराने शुरू हो चुके हैं। कोई नहीं जानता कि इस जमात की हरकत की देश को क्या कीमत चुकानी पड़ेगी।
अब इलाके में क्या हो रहा है ?
अब इस मस्जिद को सील किया जा चुका है। मुख्य आयोजक पर कार्रवाई शुरू करने के सरकारी दावे होने लगे हैं। इसे सैनिटाइज करने के लिए दिल्ली नगर निगम के 50 से ज्यादा कर्मचारी 30,000 लीटर से ज्यादा कीटाणुनाशक और विषाणुनाशक का छिड़काव कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी वहां कैंप लगाकर लोगों की स्क्रीनिंग करने में जुटे हैं, उनके लक्षणों को पहचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, इलाके की 20,000 से ज्यादा आबादी और देश भर में यहां से गए लोगों के संपर्क में आए हर व्यक्ति की जांच कर पाना कोई मामूली काम नहीं है। पुलिस यहां ड्रोन कैमरों से नजर रख रही है, लोगों को घर में ही रहने की हिदायत दी जा रही है।
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