शिमला: सारे कार्यक्रम रद्द कर सीएम वीरभद्र सिंह ने पकड़ी दिल्ली की राह
आखिरी समय में सारे कार्यक्रम में फेरबदल किया गया और सीएम ने दिल्ली रवाना होने का फैसला लिया। परिवार पर लटक रही गिरफ्तारी की तलवार की धार लगाने के लिए विपक्ष भी जमकर जोर लगा रहा है।
शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ईडी की ओर से बन रहे दवाब के चलते अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिल्ली की राह पकड़ ली है। ईडी के समक्ष पेश होने से एक दिन पहले पार्टी आलाकमान के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए ही वीरभद्र सिंह बुधवार यहां से रवाना हो गए। जिससे प्रदेश का राजनीतिक महौल एकाएक गरमा गया है।
वीरभद्र सिंह को बुधवार को नगरोटा बगवां में आयोजित होने वाली सम्मान रैली में शामिल होना था। लेकिन आखिरी समय में सारे कार्यक्रम में फेरबदल किया गया और सीएम ने दिल्ली रवाना होने का फैसला लिया। ईडी की तरफ से ताजा समन इसलिए जारी किया गया क्योंकि पीएमएलए के तहत वीरभद्र का बयान दर्ज किया जाना है।
दरअसल वीरभद्र सिंह को 13 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश होना है। वीरभद्र सिंह को पूछताछ के लिए हाजिर होने के लिए सम्मन जारी किया है। हालांकि इससे पहले वो सीबीआई की पूछताछ से भी बचते रहे हैं लेकिन अबकी बार हालात बदले हैं। उन्हें अपने मामले में अदालत व जांच एजेंसियों के साथ-साथ पार्टी में अपने विरोधियों से भी जूझना पड़ रहा है। जिससे एकाएक फिर मामला गरमा गया है। जिससे उनकी मुशकिलें बढ़ती जा रही हैं। विपक्ष भी उनके खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाए है।
यही वजह है कि पार्टी आलाकमान भी अब अगले घटनाक्रम की ओर अपनी नजरें गढ़ा चुका है। बीते सप्ताह भी सीएम ने सीबीआई की ओर से चार्जशीट दायर करने के बाद दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की थी और पार्टी आलाकमान को आशवस्त किया था की वो पाक-साफ होकर निकलेंगे। लेकिन ईडी के कदम ने सीएम की अपनी कुर्सी बचाने की कोशिशों में खलल डाल दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और बेटी की कंपनी के नाम दिल्ली स्थित महरौली वाले फार्म हाउस पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उसे अटैच किया है। दरअसल ये फार्म हाउस साढ़े छह करोड़ रुपए में खरीदा गया था। लेकिन इसकी बाजार में कीमत 27 करोड़ बताई जा रही है।
वर्ष 2011 में खरीदे गए इस फार्म के लिए लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपए नकद दिए गए थे। बेचने वाले व्यक्ति ने खुद आयकर विभाग को दिए बयान में इसका खुलासा किया था। बताया जा रहा है कि महरौली के डेरा मंडी गांव के लिंगायस सोसाइटी में मैपल डेस्टीनेशन एंड ड्रीमलैंड प्राइवेट लिमिटेड ने अगस्त 2011 में 6.61 करोड़ रुपए में एक फार्म खरीदा था। ये कंपनी वीरभद्र सिंह के बेटे और बेटी के नाम है लेकिन फर्म सिर्फ कागजों पर है। फार्म हाउस बेचने वाले पिचेश्वर गड्डे ने अपने बयान में बताया कि इसके लिए उसे 5.41 करोड़ रुपए नकद दिए गए थे और 1.20 करोड़ रुपए की रजिस्ट्री की गई थी। पिचेश्वर के मुताबिक नकद रकम वीरभद्र सिंह के करीबी वकामुल्ला चंद्रशेखर ने दिए थे। इसके साथ ही आयकर विभाग ने पिचेश्वर को 2008 में ये फार्म हाउस बेचने वाली जया शर्मा का भी बयान दर्ज किया है। जया शर्मा ने बताया है कि उसने ये फार्म हाउस 3.15 करोड़ में बेचा था, जिसमें केवल 1.05 करोड़ की रजिस्ट्री की गई थी। अब वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई हैं। ईडी मनी लॉउंड्रिंग वाले एंग्ल से जांच कर रही हैं और इस पर वो मुख्यमंत्री की पत्नी व पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह, उनके पुत्र व हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य से पूछताछ कर चुकी हैं।