चंबल: जहां कभी बनते थे डाकुओं के लिए कट्टे, अब वहीं तैयार हो रही है सेना के लिए मॉडर्न राइफल
चंबल का नाम लेते आपको इससे जुड़ी कई नकरात्मक बातें याद आती होंगी जिन्हें बॉलीवुड की कई फिल्मों में दिखाया गया है। लेकिन इसी चंबल में देश की पहली प्राइवेट आर्म्स फैक्ट्री है और यह फैक्ट्री इंडियन आर्मी के लिए जरूरी हथियार राइफल का निर्माण करने जा रही है।
नई दिल्ली। चंबल का नाम लेते आपको इससे जुड़ी कई नकरात्मक बातें याद आती होंगी जिन्हें बॉलीवुड की कई फिल्मों में दिखाया गया है। लेकिन इसी चंबल में देश की पहली प्राइवेट आर्म्स फैक्ट्री है और यह फैक्ट्री इंडियन आर्मी के लिए जरूरी हथियार राइफल का निर्माण करने जा रही है। इंग्लिश वेबसाइट प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक जहां इंडियन आर्मी विदेशों में इंसास राइफल्स का बेहतर विकल्प खोजने में लगी है तो वहीं चंबल के करीब स्थित फैक्ट्री सेना के लिए देसी राइफलों के निर्माण में लगी है। जी हां, सेना के पास जल्द ही ऐसी राइफल होगी जो मेड इन चंबल होगी।
अगले दो हफ्तों में सामने आएगी नई राइफल
मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पास मलानपुर में पुंज लॉयड और इजरायलद वेपंस इंडस्ट्रीज (आईडब्लूआई) के ज्वाइन्ट वेंचर के तहत छोटे हथियारों के निर्माण के लिए एक फैक्ट्री लगाई गई है। इस फैक्ट्री का नाम पुंज लॉयड रक्षा सिस्टम है। आने वाले दो हफ्तों में इसी फैक्ट्री से टैवोर X95 कार्बाइन की पहली खेप सेना को भेजी जाएगी। टैवोर एक ऐसी राइफल होती है जिसका बैरल छोटा होता है और इसकी मैगजीन पीछे की तरफ होती है जहां से इसे पकड़ा जाता है। दिलचस्प बात है कि जिस समय इस राइफल की पहली खेप सामने आएगी, उसी समय नौ ऑफिसर्स वाली इंडियन आर्मी की एक टीम इंसास राइफलों के रिप्लेसमेंट के लिए अमेरिका से ऑस्ट्रेलिया तक सफर कर रही होगी।
कारगिल के बाद से जारी है बेहतर राइफल की तलाश
सेना के लिए पश्चिम बंगाल के हुगली के तट पर स्थित ईशपुर में इंसास राइफलों का निर्माण होता है। 20वीं सदी के शुरुआत से ही इन राइफलों का निर्माण यहां पर होगा। पिछले हफ्ते से इंसास राइफलों की जगह बेहतर राइफल की तलाश की जा रही है। इसके लिए नौ ऑफिसर वाली एक टीम इजरायल के अलावा अमेरिका और फिर ऑस्ट्रेलिया जाएगी। इसके अलावा टीम को यूएई और साउथ कोरिया भी भेजा जाएगा। साल 1999 में कारगिल की जंग के बाद से ही सेना को इंसास की जगह बेहतर राइफलों की तलाश है।
नई राइफलों को सेना ने किया खारिज
कारगिल युद्ध के समय कई सैनिकों ने इंसास के जाम होने, इसके वजन और कई और खामियों के बारे में बताया था। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) की ओर से इसमें सुधार के दावों के बाद भी सेना इन राइफलों से संतुष्ट नहीं हो पाई। सेना ने ओएफबी की ओर से हाल ही में तैयार की गई एक्सकैलिबर नाम राइफल को भी खारिज कर दिया।