क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

जानिए आखिर कैसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने रखी थी नौसेना की नींव, क्या है इतिहास

Google Oneindia News

नई दिल्ली, 02 सितंबर। भारत के नौसेना के बेड़े में आज एक और एयरक्राफ्ट कैरियर का प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया। आईएनएस विक्रांत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना के बेडे में आधिकारिक रूप से लॉन्च किया। इस एयरक्राफ्ट कैरियर की खासियत यह है कि यह स्वदेशी है और इसे भारत में ही तैयार किया गया है। इसके साथ ही एक और दिलचस्प बदलाव नौसेना के प्रतीक में हुआ है। 70 साल के बाद नौसेना को एक नया प्रतीक मिला है और इसपर से अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा सेंट जॉर्ज क्रॉस हटा दिया गया है।

इसे भी पढ़ें- विमानों में भयानक turbulence की चेतावनी, हड्डियां तक टूटने का खतरा, असाधारण है कारणइसे भी पढ़ें- विमानों में भयानक turbulence की चेतावनी, हड्डियां तक टूटने का खतरा, असाधारण है कारण

नौसेना को मिला नया प्रतीक

नौसेना को मिला नया प्रतीक

नौसेना को आज नए आईएनएस विक्रांत के साथ एक नया प्रतीक भी मिला है। इस प्रतीक में मराठा शासन काल को दर्शाया गया है जिसने अपने शिखर को छत्रपति शिवाजी महाराज के काल में हासिल किया था। नौसेना के नए झंडे को फहराते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज तक भारतीय नौसेना दासता का प्रतीक लेकर चल रही थी, जिसे छत्रपति शिवाजी से प्रेरित होकर बदला गया है। बता दें कि आईएनएस विक्रांत को आज नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया है।

शिवाजी ने समुद्र तट की सुरक्षा को समझा

शिवाजी ने समुद्र तट की सुरक्षा को समझा

बता दें कि नौसेना का नया प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित है, जिन्होंने भारतीय नौसेना के बेड़े की शुरुआत की थी। उस वक्त बिना तकनीक के बेड़े को तैयार किया गया था। इस बेड़े की मदद से शिवाजी ने 17वीं शताब्दी में अंग्रेजों और पुर्तगालियों को रोकने में सफलता हासिल की थी। शिवाजी की नौसेना की बात करें तो इसकी शुरुआत 1650 में हुई थी, जब शिवाजी को यह महसूस हुआ कि भारतीय महासागर की तटरेखा की क्या रणनीतिक महत्ता है। भारतीय शासकों ने चोला वंश इसे नजरअंदाज किया, जिसकी वजह से पुर्तगाली, ब्रिटिश भारत पहुंचे और उन्होंने यहां से देश पर नियंत्रण हासिल किया।

शिवाजी ने सबसे पहले की नौसेना की शुरुआत

शिवाजी ने सबसे पहले की नौसेना की शुरुआत

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार मराठा शासक पर विस्तृत किताब लिखने वाले वैभव पुरंदारे ने इसपर विस्तृत जानकारी साझा की है। भारतीय समुद्र तट की महत्ता को समझने के बाद शिवाजी ने इसपर काम करना शुरू किया, उन्होंने नौसेना का गठन किया। उन्होंने पुर्तगालियों और डच से इस बारे में सीखा, उस वक्त इन लोगों की अनुमति के बिना भारतीय बंदरगाहों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं थी। शिवाजी ने उसवक्त शुरुआती तकनीक का इस्तेमाल करके नाव व जहाज को तैयार किया।

तटों को सुरक्षित करने के लिए 50 जहाजों का बेड़ा

तटों को सुरक्षित करने के लिए 50 जहाजों का बेड़ा

शिवाजी ने अपने शासन के शिखर में ना सिर्फ समुद्री किले बनाने में सफल हुए जिसकी मदद से तटों को सुरक्षित किया जा सके बल्कि 50 जहाजों का बेड़ा भी तैयार किया, जिसमे 10 हजार नौसैनिक भी थे। ये लोग कोंकड़ तक के तटीय इलाके की सुरक्षा करते थे। शिवाजी ने 1650 में नौसेना को मजबूत करने का काम शुरू किया, दो दशक के समय में शिवाजी एक विशाल बेड़ा तैयार करने में सफल हुए और 1674 में वह शासक बने। विदेशी शासकों से अपने तरीके से शिवाजी ने नौसेना से जुड़ी तकनीक को समझने की कोशिश की। जिस तरह से वह इस दिशा में आगे बढ़ रहे थे उससे मुगलों की भी चिंता बढ़ गई थी। उन्हें डर था कि कहीं जलमार्ग से वह उनके क्षेत्र में ना पहुंच जाएं और इसपर विजय हासिल कर लें।

शिवाजी ने किया था विस्तार

शिवाजी ने किया था विस्तार

शिवाजी ने 1664 में सूरत के पोर्ट कोट खत्म कर दिया, जिसे उस वक्त मुगल कप्तान इनायत खान संभाल रहा था। इस बीच शिवाजी ने यह भी महसूस किया कि डच मालाबार कोस्ट पर नियंत्रण हासिल कर रहे हैं, पुर्तगाली गोवा पर नियंत्रण हासिल कर रहे हैं और व्यापार पर नियंत्रण कर रहे हैं। इसके बाद शिवाजी ने अपनी विजय पताका को कोंकण से आगे बढ़ाने का फैसला लिया। कर्नाटक में मुख्य बंदरगाह जैसे मिरजन, होन्नावर, मैंगलुरू थे, जहां पर मसालों और चावल का बड़े स्तर पर व्यापार होता था। 1665 में शिवाजी ने कई क्षेत्रों में अपना विस्तार किया। उन्होंने बसरूर पर कोंकणिस की मदद से विजय हासिल की, कोंकणिस यूरोपियन राज का अंत चाहते थे और इसमे शिवाजी ने उनकी मदद की

कमांडेंट स्तर का अधिकारी

कमांडेंट स्तर का अधिकारी

शिवाजी की नौसेना की बात करें तो यह पूरी तरह से संस्थागत नहीं थी, इसमे कमांडेंड रैंक के अधिकारी थे। मराठा शासक अपनी नौसेना को बनाने की कोशिश कर रहे थे, उस वक्त नौसेना का ढांचा उतना व्यवस्थित नहीं था। फ्लीट को कमांडेंट लीड करता था, जिसमे अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी होते थे। शिवाजी ने दो मुस्लिम को शीर्ष पद पर तैनात किया था। जिनके नाम दौलत खान और दरया सारंग था। ये लोग नौसेना के सलाहकार थे।

क्या है अष्टकोण का संदेश

क्या है अष्टकोण का संदेश

भारतीय नौसेना के प्रतीक में शिवाजी को शामिल किए जाने को नए युग की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। इसके जरिए नौसेना के उपनिवेशिक मानसिकता के साये से बाहर करना है। अष्टकोण आठ दिशाओं को दर्शाता है, जोकि नौसेना के बहुआयामी दृष्टिकोण का द्योतक है। नए झंडे को फहराते हुए पीएम मोदी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी ने ऐसी नौसेना तैयार की जिसने समुद्र में हमारी ताकत को बढ़ाया, जिसने दुश्मनों को पीछे रखा। इतिहास यह बताता है कि कैसे दुश्मनों ने बंदरगाहों पर हमारे उपर प्रतिबंध लगाया, लेकिन आज से हम छत्रपति शिवाजी से प्रेरित होकर नौसेना के जंडे को आसमान की बुलंदियों पर लेकर जाएंगे। नया प्रतीक शिवाजी के नौसेना के पहले फ्लीट को तैयार करने के योगदान को याद करते हुए बनाया गया है।

Comments
English summary
Here is how Chhatrpati Shivaji Maharaj played important role in Indian navy new ensign.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X