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हादिया विवाद: केरल में अंतरधार्मिक विवाह का सच क्या?

हादिया प्रकरण में अंतरधार्मिक विवाह को लेकर कई तरह के आरोप, पर सच क्या है.

By BBC News हिन्दी
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हादिया, केरल
Reuters
हादिया, केरल

धर्म परिवर्तन कर हिंदू से मुसलमान बनीं हादिया जहां के मामले में अभी फ़ैसला आना बाक़ी है. 24 साल की हादिया मामले से दक्षिणी राज्य केरल में काफ़ी ध्रुवीकरण हुआ है.

यह मामला न सिर्फ़ 'इस्लामोफ़ोबिया' के अलग-अलग रंग बल्कि एक महिला के अपना साथी और आस्था चुनने के अधिकार को कुचलने वाली मजबूत पितृसत्ता को भी सामने लाता है.

हादिया का नाम शफ़ीन से शादी करने के लगभग एक साल पहले तक अखिला था. शादी के बाद अखिला ने इस्लाम कबूल कर लिया और वो हादिया बन गईं.

ऐसे अन्य मामलों में किए जाने वाले दावों के उलट हादिया को धर्म परिवर्तन और शादी करने से पहले शफ़ीन के साथ प्यार करने के लिए कथित तौर पर बहकाया नहीं गया था.

हादिया और शफ़ीन का निकाह केरल हाई कोर्ट में पहुंचने और वहां रद्द होने के बाद यह मामला मी​डिया में सु​र्ख़ियों में आया था.

​लेकिन, एक इंटरव्यू के बाद इस मामले का दूसरा पक्ष भी लोगों के सामने आया. अपने पिता के घर में 'क़ैद' होने के दौरान होम्योपैथी की छात्रा हादिया ने सामाजिक कार्यकर्ता राहुल ईश्वर को ये इंटरव्यू दिया था.

ईश्वर ने उस वीडियो को सार्वजनिक किया और फिर लड़की के नागरिक अधिकारों के उल्लंघन पर सवाल उठने लगे.

उस वीडियो में हादिया अपनी रोती हुई मां से पूछ रही थीं कि क्या उनके माता-पिता को उन्हें क़ैद में देखना पसंद है?

हदिया मामले से ध्रुवीकरण

ईश्वर ने बीबीसी हिंदी को बताया, ''मुझे लगता है कि इस मामले ने केरल के धर्मनिरपेक्ष समाज का बहुत ज़्यादा धुव्रीकरण किया है. मैं एक हिंदू के तौर पर अखिला हादिया (जो मैं उसे बोलता हूं) से असहमत हो सकता हूं, लेकिन एक भारतीय के तौर पर उसे समर्थन करना और न्याय दिलाने के लिए सहयोग करना मेरी ज़िम्मेदारी है.''

राहुल ईश्वर ने बताया, ''उसे मारा-पीटा गया था. उसे अपनी मर्ज़ी का धर्म और साथी चुनने के लिए प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए. दोनों समुदायों के संगठनों ने इस मामले का इस्तेमाल टकराव पैदा करके अपने राजनीतिक और सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया है. ज़्यादातर नरमपंथी हिंदू संगठन स्थिति की जटिलता को समझते हुए इस मामले पर हार्ड लाइन नहीं रखते हैं.''

बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफॉर्निया में इस्लामोफ़ोबिया पर अकादमिक और शोधकर्ता डॉ. वर्षा बशीर ने कहा, ''इस वीडियो ने महिला कार्यकर्ताओं का ध्यान उस औरत के संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन की तरफ़ दिलाया.''

''आजकल दक्षिणपंथियों द्वारा फैलाए जा रहे इस्लामोफ़ोबिया के कारण हर तरह की आज़ादी को ख़त्म कर दिया गया है.''

तिरुवनंतपुरम में सेंटर फ़ॉर डेवलपमेंट स्टडीज़ में असोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. देविका जे मानती हैं कि हदिया मामले ने ''मुस्लिमों के अविश्वास के कारण ध्रुवीकरण के लिए'' मौक़ा दिया है. इसकी शुरुआत साल 1990 से हुई थी जिसके बाद गल्फ़ देशों में आए बूम के आर्थिक फ़ायदे के चलते मुस्लिमों को ​शिक्षा और नई सांस्कृतिक पहचान मिली.''

हालांकि, इस मामले में ''अपनी मर्ज़ी से धर्म और साथी चुनकर पितृसत्ता को तोड़ने की कोशिश में कुछ भी ख़तरा नहीं था. इसलिए, आप देख सकते हैं कि इस्लामोफ़ोबिया अलग-अलग रूपों में बाहर आता है. हादिया के मामले ने दो मसलों को एक रूप दे दिया है- पिता का अधिकार और साथ ही दावा कि मुस्लिमों को हिंदुओं से दूर रहना चाहिए.''

डॉ. बशीर हादिया के मामले में एक अलग ही निष्कर्ष निकालती हैं. उनका कहना है, ''जो लोग ऐसे मामलों पर संदेह करते हैं वो भी तथ्य सामने आने पर इनके साथ जुड़ने लगते हैं. उन्हें अहसास होता है कि क़ानूनी और राजनीतिक ढांचे के अंदर इस्लामोफ़ोबिया उनकी ज़िंदगी में दखल देना शुरू कर रहा है.''

हादिया, केरल
Getty Images
हादिया, केरल

पितृसत्ता का मसला

लेकिन, डॉ. देविका कहती हैं, ''हदिया के मामले में लव जिहाद के झूठे तर्क में बहुत कुछ छुपा है. यह एक म​हिला के अपनी आस्था और साथी चुनने के अधिकार का मुद्दा ज़्यादा है.''

उन्होंने कहा, ''यह असल में धर्म से इतना ज़्यादा जुड़ा नहीं है, लेकिन, इस्लामोफ़ोबिया केरल में इतना आक्रामक है कि जब मलाप्पुरम में मुस्लिम लड़की हिंदू लड़के से शादी करती है तो कोई हंगामा नहीं होता.''

वरिष्ठ बीजेपी नेता वी मुरलीधरन डॉ. देविका से सहमति जताते हैं. उन्होंने ऐसे कई मामले बताए जिनमें हिंदू बीजेपी नेताओं ने मुस्लिम या इसाई लड़कियों से शादी की है और मुस्लिम बीजेपी नेताओं ने हिंदू लड़कियों से शादी की है.

लेकिन, फिर मुरलीधरन इस तरह की शादियों में अंतर को बताते हैं.

वह कहते हैं, ''वो शादियां दो लोगों के बीच प्यार और लगाव के कारण की गई थीं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह (​हादिया का मामला) प्यार और लगाव के कारण है. ये एक कट्टरपंथी समूह की सोची समझी योजना का परिणाम है जो ऐसे लोगों को हिंदू लड़कियों से शादी करने के लिए इस्तेमाल करता है. मुस्लिम कट्टरपंथी समूहों का केरल हाई कोर्ट के बाहर विरोध करना दिखाता है कि यह एक व्यक्तिगत मसला नहीं है.''

हादिया, केरल
Getty Images
हादिया, केरल

पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया के प्रवक्ता पी कोया भी डॉ. देविका और मुरलीधरन से इस बात पर सहमत हैं, ''मुस्लिम लड़कियां, हिंदू और ईसाई लड़कों के साथ घर से निकलकर शादी कर रही हैं, लेकिन केरल में इस पर कोई हंगामा नहीं होता क्योंकि लोग इसमें अपना उद्देश्य पूरा होते देखते हैं. इसी तरह कुछ हिंदू या ईसाई लड़कियां मुस्लिम लड़कों के साथ शादी कर रही हैं, लेकिन किसी को ज़बर्दस्ती बदलने का कोई प्रयास नहीं दिखता.''

कोया मुरलीधरन से इस बात पर भी सहमत होते हैं कि हादिया मामले से समाज का ध्रु​वीकरण हुआ है. ''यह दोनों तरफ़ के लोगों के लिए वर्ल्ड कप फ़ाइनल बन गया है. ऐसा होना अच्छी बात नहीं है.''

इसलिए, कट्टरपंथी संगठनों द्वारा लगाए गए अंतरधार्मिक विवाह के आरोपों का क्या होगा? इस सवाल पर कोया कहते हैं,''यह दक्षिणपंथी ताक़तों द्वारा शुरू किया गया बदनाम करने वाला सफल प्रोजेक्ट है. जिनके पास दुल्हन को देने के लिए पांच लाख की रिश्वत है.''

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English summary
Hadia controversy What is the truth of intermarital marriage in Kerala
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