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गुजरात विधानसभा चुनाव का पूरा गणित समझिए इन पाँच बिंदुओं में

चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए तारीख़ों की घोषणा कर दी है. आँकड़ों के ज़रिए समझिए इस बार क्या होंगे चुनावी समीकरण.

By BBC News हिन्दी
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चुनाव
Getty Images
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साल 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में 182 विधानसभा सीटों के लिए बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में मुक़ाबला है.

चुनाव आयोग ने तारीख़ों की घोषणा कर दी हैं. मतदान दो चरणों में एक और पाँच दिसंबर को होगा और आठ दिसंबर को मतगणना की जाएगी.

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 100 के आँकड़े तक भी नहीं पहुँच पाई थी. पार्टी को 99 सीटें मिली थीं.

साथ ही कांग्रेस ने उस समय के चुनावों में 77 सीटें जीती थीं, लेकिन सत्ता तक नहीं पहुँच पाई थी.

इस चुनाव में पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी रहे भाजपा और कांग्रेस तो हैं ही, लेकिन आम आदमी पार्टी की सक्रियता के कारण इस बार चुनाव त्रिकोणीय हो गया है.

इस बार चुनाव में महंगाई, शिक्षा, बेरोज़गारी और विकास के मुद्दों पर चर्चा हो रही है.

एक तरफ़ गुजरात में सत्ताधारी बीजेपी 'विकास के मुद्दे' पर जीत का भरोसा जता रही है, वहीं कांग्रेस और 'आप' महंगाई, भ्रष्टाचार और प्रशासन में सख़्ती के कारण 'जनता के ग़ुस्से' की बात कर रही हैं.

तो आइए इस रिपोर्ट में आँकड़ों के ज़रिए गुजरात चुनाव को समझते हैं.


विधानसभा चुनाव में कितने वोटर?

  • हाल ही में चुनाव आयोग ने गुजरात में मतदाताओं की अंतिम सूची जारी की, राज्य में कुल 4.90 करोड़ मतदाता हैं.
  • पुरुष मतदाताओं की संख्या 2.53 करोड़ है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 2.37 करोड़ है.
  • नए मतदाताओं की संख्या में 11.62 लाख का इज़ाफ़ा हुआ है. तीसरे लिंग के मतदाताओं की संख्या भी बढ़कर 1,417 हो गई है. वैध मतदाताओं में चार लाख से अधिक विकलांग मतदाता हैं.
  • सबसे ज़्यादा (59.9 लाख) मतदाता अहमदाबाद में हैं, जबकि सबसे कम (1.93 लाख) डांग में हैं.

पिछले चुनावों में क्या-क्या हुआ?

गुजरात विधानसभा चुनाव के तारीख़ों की घोषणा
BBC
गुजरात विधानसभा चुनाव के तारीख़ों की घोषणा

गुजरात में कांग्रेस ने 1985 में आख़िरी बार सत्ता का स्वाद चखा था. उसके बाद 1990 में जनता दल 70 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी.

ये वही साल था जब बीजेपी का भी उभार हुआ था और उसने 67 सीटें जीतकर कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था. कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ़ 33 सीटें मिली थीं.

इसके बाद के सालों में हुए गुजरात चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच की टक्कर बन गए, जिसमें बीजेपी को हर बार बहुमत हासिल हुई.

बीजेपी ने 1995 में 121 सीटें, 1998 में 117 सीटें और 2002 में सबसे ज़्यादा 127 सीटें जीती थीं.

इसके बाद बीजेपी ने 2007 में 116 और 2012 में 115 सीटों पर जीत हासिल की थी.

हालाँकि, 2017 का चुनाव काफ़ी दिलचस्प रहा था. दो दशकों में ऐसा पहली बार था जब बीजेपी की सीटें दो अंकों पर ही सिमट गई थीं. इस चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं जो 1990 के बाद से सबसे ज़्यादा थीं.

कौन होंगे मतदाता और कैसे करेंगे मतदान

गुजरात में कुल 182 विधानसभा सीटें हैं. इनमें 27 एसटी, 13 एससी और 142 सामान्य श्रेणी की सीटें हैं.

पिछले तीन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की एसटी सीटों पर मज़बूत पकड़ रही है. कांग्रेस ने 2007 और 2012 में 59 प्रतिशत और 2017 में 55 प्रतिशत एसटी सीटें जीती थीं.

बीजेपी ने 2007 के चुनाव में 11 एससी और 11 एसटी सीटें हासिल की थीं. 2012 में बीजेपी ने एक-एक एससी और एसटी सीट खो दी थी और उनकी अधिकतम सीटें सामान्य श्रेणी की विधानसभा क्षेत्रों से आई थीं.

लेकिन, साल 2017 में ये सारे समीकरण बदल गए. इन चुनाव में कांग्रेस ने ना सिर्फ़ अपनी एससी और एसटी सीटें बचाए रखीं, बल्कि सामान्य श्रेणी की सीटों में भी बढ़ोतरी कर ली. कांग्रेस को 2017 में 57 सामान्य सीटें मिली थीं, जो 2012 में 43 और 2007 में 41 सीटें थीं.

वहीं, 2007 के मुक़ाबले 2017 में बीजेपी के हाथ से 4 एससी, 2 एसटी और 12 सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीटें चली गईं.

सौराष्ट्र में घटता मतदान

साल 2017 के चुनाव में गुजरात के अन्य राज्यों के मुक़ाबले सौराष्ट्र में मतदान में सबसे ज़्यादा गिरावट आई है.

क्या इससे क्षेत्र के मतदाताओं के बारे में कुछ अहम संकेत मिलते हैं? बिल्कुल, सौराष्ट्र में मतदान में आई कमी से कांग्रेस को फ़ायदा मिला है.

सौराष्ट्र में धरी, राजुला, खाम्भालिया को छोड़कर अन्य इलाक़ों में मतदान में हुआ बदलाव कांग्रेस के लिए अधिकतर सकारात्मक रहा है.

रुख़ बदलते विधानसभा क्षेत्र

बीजेपी ने अहमदाबाद और सूरत में 40 प्रतिशत से ज़्यादा अंतर के साथ नौ सीटें जीती थीं. इसमें मणिनगर सीट भी शामिल थी जहां से पीएम मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते चुनाव लड़ा था.

हालांकि, 12 ऐसी सीटें थीं जिनमें जीत का अंतर एक प्रतिशत से भी कम था. 2017 चुनाव के आंकड़ों के आधार पर देखें तो ये सीटें इस बार किसी भी राजनीतिक दल की तरफ़ झुक सकती हैं.

कपराडा (एसटी), गोधरा, ढोलका, मनसा, बोताड, दियोदर, दंग (एसटी), छोटा उदयपुर (एसटी), वांकानेर, विजापुर, हिम्मतनगर और मोडासा ऐसे क्षेत्र हैं जहां 2017 में बीजेपी का जीत का अंतर सबसे कम रहा था. इन 12 सीटों में से सात पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. कपराडा एकमात्र ऐसी सीट थी जहां कांग्रेस की जीत का अंतर पूरे राज्य में सबसे कम था.

नोटा पर पड़े सबसे ज़्यादा वोट

साल 2017 में पूरे राज्य में दांता, रापर और छोटा उदयपुर (एसटी) में सबसे ज़्यादा मतदान नोटा पर हुआ. इन विधानसभा क्षेत्रों में नोटा पर 3.5 प्रतिशत मतदान किया गया. हालांकि, ये बहुत ज़्यादा नहीं है, लेकिन इससे दिलचस्प संकेत मिलते हैं. इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की जीत का अंतर बहुत ज़्यादा था.

नोटा और कांग्रेस की जीत के अंतर के बीच साफ़तौर पर कोई संबंध सामने नहीं आया है, लेकिन नोटा पर ज़्यादा वोट पड़ने के साथ ये ट्रेंड बना हुआ है.

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English summary
Gujarat assembly elections understand these five points
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