गुजरात विधानसभा चुनाव-2017: दो देवियां दिखाएंगी चमत्कार!
नई दिल्ली। गुजरात में दो देवियों पर बहुत कुछ दारोमदार टिका है। इन देवियों का कितना महत्व है, कौन रखता है इनमें आस्था और क्यों कोई भी दल इन देवियों की अनदेखी नहीं कर सकता। राहुल गांधी पहले ही इन दोनों देवियों की शरण में क्यों चले गए और बीजेपी को भी इंतजार है कि कब नरेंद्र मोदी यहां आकर मत्था टेकेंगे। ये बड़ा ही दिलचस्प है और अहम् भी है।
पाटीदार समाज की ये दो देवियां
दरअसल पाटीदार समाज की ये दो देवियां हैं। पटेल समाज में दो समुदाय है एक कड़वा पटेल और दूसरे लेउवा पटेल। कड़वा पटेल दक्षिण गुजरात में हैं तो लेउवा पटेल उत्तर मध्य गुजरात में। कड़वा पटेल खोडलधाम माता मंदिर में बड़ी आस्था रखते हैं और यहां खोडियार माता कुलदेवी हैं। तो लेउवा पटेल उमिया माता को बहुत मानते हैं। इन दोनों के मंदिर हैं और पूरा पाटीदार समाज इन दोनों मंदिरों में पूरी श्रद्धा के साथ शीश नवाता है। राहुल गांधी दिसंबर,2016 में जब गुजरात दौरे पर पहुंचे तो उन्होंने उमिया धाम जाकर मत्था टेका था और अभी सौराष्ट्र के दौरे के वक्त वो खोडलधाम माता मंदिर पहुंचे। दोनों मंदिरों में जाकर राहुल गांधी ने पाटीदार समाज को अपना मुरीद बनाने की कोई कसर बाकी नहीं रखी है। नरेंद्र मोदी भी गुजरात में मुख्यमंत्री रहने के दौरान खोडलधाम माता मंदिर जाते रहे हैं लेकिन इस चुनाव में अभी तक वो इन मंदिरों में नहीं पहुंचे हैं जिस पर सभी की निगाहें हैं। पाटीदार समाज में करीब 40 फीसदी कड़वा और 60 फीसदी लेउवा पटेल माने जाते हैं। इन दिनों पाटीदार समाज के प्रमुख नेता बने हार्दिक पटेल कड़वा समुदाय से आते हैं जबकि केशुभाई पटेल लेउवा समुदाय से हैं।
हार्दिक पटेल के उपर दोनों देवियों का हाथ
हार्दिक पटेल खोडलधाम और उमिया माता धाम की संस्थाओं के दम पर ही पाटीदार समाज की अगुवाई कर रहे हैं। इन दोनों संस्थाओं का पाटीदार समाज में बड़ा असर है और हार्दिक पटेल दावा करते हैं कि जब तक ये दोनों संस्थाएं उनके साथ हैं इस समाज के बाकी संगठन कहीं भी जाए, समाज के वोट बैंक पर कोई असर नहीं पड़ सकता। वो मानते हैं कि एक करोड़ से ज्यादा पाटीदार हैं और 99 फीसदी समाज इन दोनों संस्थाओं के साथ चलता है।
पाटीदारों को खुश रखने के लिए नितिन पटेल को उप मुख्यमंत्री बनाया
पाटीदार समाज को खुश रखने के लिए नितिन पटेल को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था और उनकी अगुवाई में बीजेपी ने गौरव यात्रा भी निकाली लेकिन वे पाटीदार समाज के गुस्से को कम नहीं कर सके बल्कि उन्हें खुद अपनी यात्रा के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा। इसमें कोई शक नहीं कि कड़वा और लेउवा समुदाय पिछले चुनावों तक बीजेपी को वोट देता आया है। कांग्रेस को पाटीदार समाज का कम ही वोट मिला और उसमें भी कड़वा से ज्यादा लेउवा समुदाय का झुकाव कांग्रेस की तरफ देखा गया। इस पर यदि हार्दिक पटेल उनके साथ हैं तो कांग्रेस कड़वा समुदाय को भी अपने करीब देख रही है। इन दोनों देवियों को लेकर कई धार्मिक संगठन हैं जो पाटीदार समाज से ही आते हैं। मतभिन्नता या अपने दबदबे को लेकर तमाम संगठन विभाजित हुए हैं। अब इन्हीं संगठनों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में खींचतान है। चुनाव तक दोनों दल पाटीदार समाज को अपने खेमे में एकजुट करने के लिए हर संभव कोशिश में जुटे हैं। हार्दिक पटेल की भी यही चिंता है कि जिनके दम पर वो कांग्रेस और बीजेपी से ताल ठोक रहे हैं वो उनके साथ बने रहें नहीं तो उनका अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।
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