गुजरात में 1500 दलितों ने अपनाया बौद्ध धर्म, कांग्रेस और पूर्व बीजेपी सांसद की मौजूदगी में हुआ धर्म परिवर्तन
नई दिल्ली। गुजरात में 1500 लोगों के धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया है, प्रदेश के अलग-अलग इलाके में रहने वाले दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया है। उनसे जब इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने हैरान करने वाला जवाब दिया। गुजरात के शाहीबाग स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल मेमोरियल में रविवार को बौद्ध धर्म का पालन करने वाले बुद्ध लाइट इंटरनेशनल ओसोसिएशन (बीएलआईए) की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में करीब 1400 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया वहीं, बीएलआईए के वरिष्ठ सलाहकार सोलंकी ने बताया कि कार्यक्रम में 1400 से ज्यादा लोग पहुंचे थे।
गुजरात में इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बीएलआईए के प्रमुख और ताइवाल के बौद्ध भिक्षु हसीन बाऊ ने की। आयोजन के दौरान वहां दासादा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक नौशाद सोलंकी और बीजेपी के पूर्व सांसद रतिलाल वर्मा भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में पहुंचे 1400 लोगों ने बौद्ध धर्म के पालन का संकल्प लिया लेकिन, सोलंकी का कहना है कि धर्म बदलने वाले लोगों की संख्या और बड़ी थी। यह कोई पहला मौका नहीं है जब इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने धर्म परिवर्तन कर बौद्ध धर्म को अपनाया हो इससे पहले भी कई मौको पर ऐसा हो चुका है।
इस
वजह
से
बदला
धर्म
बौद्ध
धर्म
अपनाने
वाले
लोगों
में
से
एक
परिवार
ने
अपने
धर्म
परिवर्तन
करने
की
बड़ी
वजह
बताई
है।
सौराष्ट्र
के
सुरेंद्रनगर
में
रहने
वाली
मंजुला
मकवाना
ने
बताया
कि
उन्होंने
अपने
पति
और
3
बच्चों
समेत
बौद्ध
धर्म
अपनाया
है।
उन्होंने
इसके
पीछे
कि
वजह
बताते
हुए
कहा
कि,
हमारे
पूर्वज
हिंदू
थे
और
हम
भी
काफी
समय
से
हिंदू
धर्म
का
पालन
कर
रहे
थे।
हिंदू
होते
हुए
हमने
भेदभाव
व
अत्याचार
के
कई
मामले
देखे
हैं,
सुरेंद्रनगर
इस
मामले
के
लिए
काफी
बदनाम
भी
है।
हिंदुओं
में
समानता
न
होने
की
वजह
से
हमने
बौद्ध
धर्म
अपनाने
का
फैसला
किया
है।
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देश
की
विकास
में
बाधा
बनरहा
जातिवाद
अहमदाबाद
के
नरोदा
में
रहने
वाल
नसर्ग
परमार
ने
अपने
परिवार
के
25
सदस्यों
के
साथ
बौद्ध
धर्म
अपनाया
है।
कार्यक्रम
में
बौद्ध
अपनाने
वाला
यह
दूसरा
दलित
परिवार
है।
नसर्ग
ने
बताया
कि
जातिवाद
देश
के
विकास
में
बड़ी
बाधा
बन
रहा
है।
हिंदू
धर्म
के
विपरीत
बौद्ध
धर्म
में
सभी
एक
समान
हैं
वहां
कोई
जातिवाद
का
केस
ही
नहीं
है।
हमें
हिंदू
धर्म
में
मौजूद
भेदभाव
पसंद
नहीं
है
और
बौद्ध
धर्म
समानता
का
संदेश
देता
है।
उन्होंने
आगे
कहा
कि,
मैंने
और
मेरे
पूरे
परिवार
ने
आज
बौद्ध
धर्म
के
पालन
का
संकल्प
लिया
है।
मैं
चाहता
हूं
भारत
दुनिया
में
सबसे
आगे
हो
लेकिन
इसके
लिए
जातिवाद
की
सोच
से
उपर
उठना
होगा।
बता
दें
कि,
इससे
पहले
दशहरे
पर
भी
500
दलितों
ने
बौद्ध
धर्म
अपनाया
था।