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जानिये राफेल जेट को खरीदना क्यों मोदी सरकार की सबसे बड़ी भूल

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बेंगलुरू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दस की तीन देशों को की यात्रा पर अपने पड़ाव फ्रांस पहुंचे हैं। लेकिन पीएम मोदी की इस विदेश यात्रा की शुरुआत सही नहीं लगती है। जिस तरह से पीएम मोदी ने फ्रांस से 36 राफेल जेट खरीदने के मसौदे को मंजूरी दी है वह बेहद ही निराशाजनक है।

rafale jet

दुनिया के कई देशों ने ठुकराया राफेल जेट को

प्रधानमंत्री ने जिन 36 राफेल जेट को खरीदने का समझौता किया है उसे ब्राजील, कनाडा, नीदरलैंड, नॉर्वे, साउथ कोरिया, सिंगापुर और दुनिया के सबसे अमीर देशों में शुमार होने वाले देश सउदी और मोरक्को ने भी इस डील को रद्द कर दिया है।

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फ्रांस ने झोंकी पूरी ताकत इस डील के लिए

फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरेंट फैबियस ने जब भारत का दौरा किया था तो उस दौरे में उनका मुख्य मकसद राफेल डील को ही स्वीकृत कराना था। हालांकि उस दौरे में इस डील को मंजूरी नहीं मिल सकी थी। लेकिन पीएम मोदी ने फ्रांस के दौरे के दौरान इस डील को मंजूरी दे दी है।

फ्रांस की इस डील को लेकर उत्सुकता को समझा जा सकता है। दरअसल अगर राफेल डील को भारत मंजूरी नहीं देता है तो फ्रांस में राफेल का निर्माण बंद हो जाएगा। साथ ही फ्रांस में रक्षा उपकरणों के निर्माण के उद्योग को भी भारी झटका लगेगा।

राफेल डील रद्द होने से होता फ्रांस को बड़ा नुकसान

अगर भारत के साथ इस राफेल डील को मंजूरी नहीं मिलती है तो फ्रांस में लड़ाकू विमान के निर्माण की लागत 5 मिलियन से लेकर 10 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। ऐसे में अगर फ्रांस को विदेशों से आर्थिक सहायता नहीं मिलती है तो फ्रांस खुद लड़ाकू विमानों के निर्माण का खर्चा नहीं उठा पायेगा। ऐसे में फ्रांस में सैन्य विभाग की युद्ध सामग्री निर्माण कार्य बड़ी मुश्किल में पड़ जाएगा।

तकनीकी खराबियों के चलते ब्राजील ने ठुकराया था राफेल को

ब्राजील ने जिन 36 राफेल जेट के मसौदे को ठुकराया था उसकी ब्राजील की मीडिया के अनुसार कीमत 8.2 बिलियन डॉलर के करीब थी। साथ ही इसमें 4 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त कीमत भी थी जोकि इन विमानों के रख रखाव के लिए देनी थी।

ऐसे में प्रति विमान का रख-रखाव का खर्चा 340 मिलियन डॉलर के तकरीबन आना था। वहीं बिना रख-रखाव के प्रति विमान की कीमत 209 मिलियन डॉलर थी।

हद से ज्यादा महंगे हैं राफेल जेट

वहीं ब्राजील मीडिया के अनुसार विमान की तकनीक को साझा करने के लिए ब्राजील को अतिरिक्त कीमत भी चुकानी पड़ती। लेकिन ब्राजील की सेना को इस विमान की एइएसए पर संशय था जोकि राडार के माध्यम से जल्द से जल्द जमीन और आसमान में जाने में सहायक होती है।

ऐसे में इस विमान में कई और तकनीकी खामियों और इतनी अधिक कीमत के चलते ब्राजील सरकार ने इस मसौदे रद्द करके स्वीडने के ग्रिपेन एनजी को खरीदने को प्राथमिकता दी।

भारत दोगुने से भी अधिक दाम क्यों खरीद रहा इन विमानों को

पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान इस विमान की कीमत 2009 में भारत के लिए 10 बिलियन डॉलर रखी गयी थी। लेकिन आज इस विमान की कीमत भारत के लिए 22 बिलियन डॉलर रखी गयी है जोकि दोगुना से भी ज्यादा है।

यही नहीं हकीकत में यह कीमत 30 बिलियन डॉलर तक जा सकती है। ऐसे में प्रति राफेल की कीमत भारत को कम से कम 238 मिलियन डॉलर पड़ेगी।

ऐसे में भारत ना जाने क्यूं इन विमानों को इतनी अधिक कीमत में खरीदने को तैयार हुआ है। वहीं यूके ने इन विमानों से कहीं अधिक बेहतर तकनीक वाले 60 लॉकहीड एफ-35बी विमानों को खरीदा है। जिनकी कीमत राफेल से कहीं कम प्रति विमान 190 मिलियन डॉलर है।

English summary
Rafale Jet Deal is a big mistake of Indian government, buying these aircraft in huge price which has been cancelled by so many countries seems no logic.
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