पीएम नरेंद्र मोदी के चीन दौरे से पहले विदेश मंत्री सुषमा इसलिए पहुंची हैं बीजिंग
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शनिवार को चीन के लिए रवाना हो गई है। वह यहां पर शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की मीटिंग में हिस्सा लेंगी। सुषमा का चीन दौरा इसलिए भी सबसे अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले माह चीन के दौरे पर जाना है।
नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शनिवार को चीन के लिए रवाना हो गई है। वह यहां पर शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की मीटिंग में हिस्सा लेंगी। सुषमा का चीन दौरा इसलिए भी सबसे अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले माह चीन के दौरे पर जाना है। ऐसे समय में जब भारत और चीन के संबंधों में कभी उतार तो कभी चढ़ाव आ रहा है, माना जा रहा है सुषमा पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात से पहले एक मजबूत जमीन तैयार कर सकती है। एससीओ से पहले पीएम मोदी मई में द्विपक्षीय दौरे पर चीन जा सकते हैं। सुषमा स्वराज के बाद अगले हफ्ते रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी चीन के दौरे पर जाने वाली हैं।
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मई और जून में चीन में होंगे पीएम मोदी
पिछले वर्ष डोकलाम में हुए विवाद के बाद भारत और चीन के बीच काफी तनाव आ गया है। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी का चीन दौरा दोनों देशों के संबंधों में एक अहम पड़ाव साबित हो सकता है। डोकलाम विवाद ने दोनों देशों के संबंधों को खासा प्रभावित किया है। सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी एससीओ से पहले एक द्विपक्षीय मुलाकात के लिए चीन जाने का मन बना रहे हैं। वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। भारत और पाकिस्तान दोनों को पिछले वर्ष जून में एससीओ का पूर्ण सदस्य बनाया गया है। पिछले वर्ष भी सुषमा इसी सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन गई थीं। यहां पर समिट से अलग उन्होंने चीन के विदेश मंत्री वांग याई से मुलाकात की थी।
साल 2015 से हर वर्ष चीन का दौरा
साल 2015 से पीएम मोदी हर वर्ष चीन का दौरा कर रहे हैं। साल 2015 में उनका चीन दौरा द्विपक्षीय दौरा था। इसके बाद साल 2016 में वह जी-20 समिट के लिए तो फिर साल 2017 में ब्रिक्स समिट के लिए चीन गए थे। ब्रिक्स समिट के लिए पीएम मोदी सितंबर 2017 में जब चीन गए थे तो डोकलाम विवाद के बाद वह सबसे अहम दौरा था। इस दौरे को दोनों देशों के बीच भरोसे की नींव तैयार करने वाला दौरा करार दिसा गया था। उनके इस दौरे के बाद से साल 2018 में दोनों पक्षों की तरफ से कई मुलाकातें हुई हैं। दोनों देश इस समय सीमा-विवाद के अलावा दोनों देशों के बीच बहने वाली नदियों समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा जारी है।
सीपीईसी जैसे एक और इकोनॉमिक कॉरीडोर का सपना
सुषमा स्वराज के दौरे पर चीन उन्हें ठीक चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) तरह के एक प्रोजेक्ट के लिए लुभाने की कोशिश कर सकता है। चीन चाहता है कि भारत, नेपाल और चीन आपस में सड़क के जरिए जुड़े और साथ ही एक इकोनॉमिक कॉरीडोर के लिए भी चीन योजना बना रहा है। सुषमा के इस दौरे पर चीन उन्हें इस बात के लिए हामी भरवाने की कोशिश कर सकता है। भारत सीपीईसी के तहत बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का विरोध करता आया है क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। भारत मानता है कि सीपीईसी और बीआरई दोनों ही उसकी संप्रभुता के खिलाफ हैं।
चीन, नेपाल और भारत के बीच होगा रेल नेटवर्क
पिछले दिनों नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावाली बीजिंग में मौजूद थे। उनके साथ वार्ता के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग ने कहा कि चीन और नेपाल दोनों देश पूरे हिमालय क्षेत्र में दीर्घकालिक बहुआयामी नेटवर्क को तैयार करने में सहमति जताई है। नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि हमेशा से उनका सपना है कि वह हिमालय की खूबसूरती का आनंद उठाते हुए ट्रेन से चीन तक का सफर तय करें। उन्होंने बताया कि नेपाल को विकास से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स को लेकर काफी उम्मीदें हैं। चीन को उम्मीद है कि नेपाल, भारत पर बीआरआई और इसके निर्माण कार्य को स्वीकारने में भारत पर दबाव डाल सकता है।
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