शारदा यूनिवर्सिटी में 'हिंदुत्व-फासीवाद' पर प्रश्न, प्रोफेसर को नोटिस
नई दिल्ली, 7 मई। शारदा विश्वविद्यालय (Sharda University) में बीए प्रथम वर्ष परीक्षा प्रश्न पत्र को लेकर एक असिस्टेंट प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। शनिवार को शारदा यूनिवर्सिटी की ओर से जारी एक बयान में विश्वविद्यालय ने कहा कि मामले में जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट में इस सवाल को आपत्तिजनक पाया है। वहीं प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आपत्ति की है।
भाजपा नेता विकास प्रीतम सिन्हा ने फोटो शेयर कर प्रश्न पत्र को एक मुस्लिम शिक्षक द्वारा निर्धारित करने की बात कही है। उन्होंंने अपने ट्वीट में लिखा 'यूनिवर्सिटी का नाम 'शारदा' पर कृत्य देखिए कि परीक्षा में छात्रों को 'हिन्दुत्व' को अनिवार्य रूप से फासी और नाजीवाद के समकक्ष सिद्ध करने के लिए कहा जा रहा है। यह प्रश्नपत्र कथित रूप से किसी मुस्लिम शिक्षक द्वारा बनाया गया है।'
दरअसल, शारदा यूनिवर्सिटी के बीए प्रथम वर्ष के प्रश्न पत्र में 7 अंक के प्रश्न 'क्या आप फासीवाद/नाजीवाद और हिंदू दक्षिणपंथी (हिंदुत्व) के बीच कोई समानता पाते हैं? तर्कों के साथ विस्तृत करें' को लेकर आपत्ति की गई है। यह बीए प्रथम वर्ष की राजनीति विज्ञान परीक्षा का प्रश्न था। जो कि तदर्थ सहायक प्रोफेसर (ad hoc assistant professor) फारूक कुट्टी ने निर्धारित किया था।
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शारदा विश्वविद्यालय बीए प्रथम वर्ष का राजनीति विज्ञान (ऑनर्स) प्रश्न निर्धारित करने वाले संकाय फारूक कुट्टी ने ही पेपर निर्धारित किया था। मामले की जांच के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर गठित कमेटी की रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के उन्हें नोटिस जारी किया गया है।
कमेटी रिपोर्ट आने के बाद शनिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। प्रश्न पत्र में छात्रों से 'हिंदुत्व-फासीवाद' के बारे में सवाल पूछे गए थे। प्रश्न पत्र की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय ने प्रश्नों में पूर्वाग्रह की आशंका को देखने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठित थी। जिसकी जांच में पोफेसर कुट्टी दोषी पाए गए।