जानिए मध्यप्रदेश कमलनाथ सरकार को मात देने के लिए भाजपा की क्या है रणनीति?
मध्य प्रदेश में आज कमलनाथ का शक्ति परीक्षण, भाजपा ने की है ये तैयारी
बेंगलुरु। मध्य प्रदेश में राजनीतिक संकट अब कुछ दिनों के लिए टल गया है। बता दें कमनलनाथ सरकार आज विधानसभा में शक्ति परीक्षण होना था जिसमें उन्हें राज्यपाल ने विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया दिया था। लेकिन अब राज्यपाल ने विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी हैंं इसलिए आज होने वाला फ्लोर टेस्ट भी टल गया।
पिछले कई दिनों से एमपी में मचे सियासी घमासान में आज का दिन कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए बहुत अहम था। इसलिए कमनाथ सरकार अपनी सरकार बचाने के लिए एड़ी चोटी का दम लगा रही हैं और वहीं भाजपा कमलनसरकार किसी भी हालत में न बचे इसी में जुटी हुई है। इसके लिए भाजपा ने पहले से ही ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। जानिए भाजपा ने आखिर क्या की है तैयारी...
भाजपा ने तैयार किया ब्लू प्रिंट
बता दें इसको लेकर रविवार को सेन्ट्रल मिनिस्टर नरेंद्र सिंह तोमर के घर पर मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज चौहान, ज्योंतिरादित्य सिंधिया और धर्मेंद्र प्रधान ने सभी भावी परिस्थितियों पर विचार विमर्श के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कानूनी राय भी ली गई। सिंधिया खेमे के कांग्रेस के 22 विधायकों के अतिरिक्त सपा, बसपा और निर्दलीय 7 विधायकों में से 6 भाजपा के संपर्क में हैं।
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भाजपा ने बनाई हैं रणनीति
लंबी चली इस बैठक में सीएम कमलनाथ द्वारा उनकी सरकार बचाने के लिए किए जाने वाले सभी भावी उपायों की काट क्या होगी इस पर चर्चा की गई। भाजपा की रणनीति हैं कि उनकी ओर से 28 विधायकों को हर स्थिति के लिए तैयार रखा जाए ताकि कमलनाथ सरकार किसी भी परिस्थिति में विश्वास मत हासिल न कर पाए। इतना ही नहीं कमलनाथ सरकार अगर किसी बहाने से फ्लोर नहीं कराती है तो ऐसी स्थिति में भाजपा के सभी विधायक राज्यपाल से मुलाकात कर राज्य सरकार को बर्खास्त करने की मांग करेंगे।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को दी गई ये जिम्मेदारी
इतना ही नहीं भाजपा ने अपने विश्वसनीय वरिष्ठ नेताओं को 107 विधायक पर कड़ी नजर रखने के साथ सिंधिया समर्थक विधायकों से संपर्क साधे रखने और निर्दलीय एवं अन्य 6 विधायकों को अपने पाले में बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी सौंपी है। इनमें कांग्रेस के बागी 22 विधायकों को संभालने का जिम्मा ज्योतिरादित्य के पास है। जबकि भाजपा विधायकों पर निगाह रखने के लिए अलग-अलग वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है। वहीं निर्दलीय एवं अन्य विधायकों से लगतार संपर्क बनाए रखने के लिए भी दो नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है।
जानें क्या है गणित
कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने के बाद 230 सीटों वाली विधानसभा में 222 सदस्य रह गए हैं। दो सीटें दो विधायकों की मौत के बाद से खाली चल रही हैं। ऐसे में बहुमत के लिए 112 विधायकों की जरूरत है। सियासी ड्रामे से पहले कांग्रेस ने चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायकों के साथ आने के बाद 121 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी।
विधानसभा में 114 सदस्यों वाली कांग्रेस के पास 22 विधायकों के इस्तीफे के साथ 92 विधायक रह गए हैं। बाकी के 16 विधायकों के इस्तीफे कांग्रेस ने स्वीकार नहीं किए हैं। वहीं, भाजपा के पास बहुमत से पांच कम 107 विधायक हैं।
कांग्रेस कर रही ये दावा
गौरतलब है कि कांग्रेस के नेता हरीश रावज ने बयान दिया कि हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं और यकीन है कि हम आसानी से जीतेंगे। हम निराश नहीं हैं, बल्कि भाजपा अवसाद में है। बागी विधायक हमारे संपर्क में हैं। हमारे पास 112 से ज्यादा विधायक हैं।
क्या होता है फ्लोर टेस्ट
दरसअल
नवगठित
सरकार
का
विधानसभा
या
लोकसभा
में
बहुमत
साबित
करने
को
फ्लोर
टेस्ट
कहते
हैं।
फ्लोर
टेस्ट
तीन
तरह
से
साबित
होता
है।
पहला
ध्वनिमत,
दूसरा
संख्याबल
और
तीसरा
हस्ताक्षर
के
जरिए
मतदान
दिखाया
जाता
है।
पहला
ध्वनिमत
से।
दूसरा
हेड
काउंट
या
संख्याबल
से
जिसमें
जब
विधायक
सदन
में
खड़े
होकर
अपना
बहुमत
दर्शाते
हैं।
तीसरे
में
लॉबी
बंटवारा
होता
है
जिसमें
इसमें
विधानसभा
सदस्य
लॉबी
में
आते
हैं
और
रजिस्टर
में
हस्ताक्षर
करते
हैं
-हां'
के
लिए
अलग
लॉबी
और
'न'
के
लिए
अलग
लॉबी
होती
है।
मध्यप्रदेश
में
आज
शक्ति
परीक्षण
बटन
दबा
कर
होगी।
कमलनाथ सरकार का संकट फिलहाल टला, विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित