5 अगस्त 2019 के बाद के घाटी के हालात पर स्वतंत्र रूप से बातचीत की जरूर, फिलहाल ऐसा माहौल नहीं : फारुक अब्दुल्ला
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में पिछले वर्ष अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद यहां तमाम नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती को नजरबंद कर दिया गया। कई महीनों तक नजरबंद रहने के बाद फारुक अब्दुल्ला आखिरकार बाहर आए। शुक्रवार को रिहा होने के बाद फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि पिछले वर्ष 5 अगस्त को प्रदेश में आर्टिकल 370 को हटा दिया गया, उसके बाद यहां के राजनीतिक मसलों पर स्वतंत्र रूप से बात होनी चाहिए जिससे कि यहां आए बदलाव का अंदाजा लगाया जा सके। हम अभी भी ऐसे माहौल में नही हैं जहां पर इस तरह के राजनीतिक मलों पर बातचीत हो सके।
मैं और लोगों से अधिक सौभाग्यशाली
अब्दुल्ला ने कहा कि पिछले वर्ष अगस्त माह से बड़ी संख्या में जम्मू कश्मीर के बाहर की जेलों में यहां के लोग बंद हैं। यही नहीं फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि सैकड़ों कश्मीरी लोगों की तुलना में बहुत ज्यादा सौभाग्यशाली हूं। मुझे घर में नजरबंद किया गया, मेरा परिवार मुझसे मिल सकता था। कल जब मैं अपने बेटे उमर से मिलने के लिए गया तो मुझे अपने घर से एक किलोमीटर दूर जाना पड़ा ताकि मैं उसे देख सकूं। फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि इससे पहले कि राजनीति हमारे बीच बंटवारा कराए, मैं सभी नेताों से अपील करता हूं कि वह एकजुट हो और जम्मू कश्मीर के तमाम लोग जो नजरबंद हैं बाहर के प्रदेश में उन्हें आजाद किया जाए।
बाकी लोगों को जल्द आजाद किया जाए
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द जो लोग नजरबंद किए गए हैं उन्हें आजाद किया जाए। बाकी के लोगों को वापस जम्मू कश्मीर भेजा जाए। भारत सरकार से यह मानवीय आधार पर हमारी मांग है, मुझे उम्मीद है कि मेरी इस मांग को अन्य लोग भी समर्थन देंगे। इससे पहले रिहाई के बाद फारुक अब्दुल्ला ने कहा था कि रिहाई के बाद फारूक ने कहा कि प्रदेश और देश के वो उन सभी लोगों और नेताओं का वो शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने उनकी रिहाई के लिए आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि अब वो फ्री हैं, अब मैं दिल्ली जा सकता हूं और संसद में आप सबकी आवाज उठा सकता हूं।
शुक्रवार को रिहा हुए फारुक अब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने कहा, सिर्फ मेरी रिहाई काफी नहीं है। सभी नेताओं का रिहा किया जाना जरूरी है। मैं उम्मीद करता हूं कि भारत सरकार सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा करने के लिए कदम उठाएगी। फारूक अब्दुल्ला को 5 अगस्त 2019 की रात को उनके घर पर ही नजरबंद कर लिया गया था। तब से वो नजरबंद थे। जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने शुक्रवार को उनकी नजरबंदी खत्म किए जाने को लेकर आदेश जारी कर दिए हैं। फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) को रद्द कर दिया है। फारूक अब्दुल्ला की पीएसए की मियाद को दो बार बढ़ाया जा चुका था। अगस्त में हिरासत में लिए जाने के बाद सितंबर में उन पर पीएसए लगाया गया। 13 दिसंबर को उनकी हिरासत को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया। ये मियाद 13 मार्च को खत्म होनी थी, जिसे आगे ना बढ़ाने का फैसला जम्मू कश्मीर प्रशासन ने लिया है।