J&K: पिता की दर्द भरी अपील का भी नहीं हुआ असर, एनकाउंटर में मारा गया फरहान
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श्रीनगर। पिछले साल जून में 15 साल का फरहान वानी अपना घर छोड़कर हिज्बुल मुजाहिद्दीन में शामिल हो गया था। गौहर जान(फरहान की मां) ने जब किसी एनकाउंटर की खबर सुनती तो वह उसकी जान दुआ मांगती थी। उनका यह डर मंगलवार को सही साबित हुआ। जब फरहान दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग के पहलीपोरा गांव में एक एंकाउंटर में मारा गया। पुलिस बल के प्रवक्ता ने कहा, कोकरनाग पुलिस और सुरक्षा बल के साथ लारनू इलाके पहलीपोरा गांव में हुई मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन का एक आतंकवादी मार गिराया गया है। उसकी पहचान फरहान वानी निवासी खुदवानी कुलगाम के तौर पर हुई है।
पिता की दर्द को भी नहीं समझा आतंकी फरहान
आतंकवादी फरहान के शिक्षा विभाग में कार्यरत पिता गुलाम मोहम्मद वानी ने नवंबर में ही फेसबुक पर मार्मिक अपील कर हिंसा का रास्ता छोड़कर उसे घर लौटने को कहा था। मगर उनकी अपील व्यर्थ चली गई। यह एनकाउंटर ऐसे वक्त में हुआ है जब कि जम्मू-कश्मीर पुलिस घाटी में शांति के लिए आतंकवादियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर घर लौटने की मुहिम चला रही है। आतंकी बने फरहान ने जिस घर परिवार को लात मारी थी, मंगलवार को उसी परिवार ने उसे फिर अपनाया और पूरे मजहबी तरीके से उसे सुपुर्द-ए-खाक किया।
ट्यूशन के लिए निकला था घर से फिर कभी वापस नहीं लौटा
14 जून 2017 को 11वीं में पढ़ने वाला फरहान फिजिक्स की ट्यूशन के लिए दोपहर के समय निकला था, लेकिन फिर कभी वापस लौट कर नहीं आया। एक सप्ताह बाद पुलिस ने फराहन के घर वालों को सूचना दी कि वह आतंकी संगठन हिज्बुल में शामिल हो गया है। पिछले वर्ष नवंबर में जब अनंतनाग का नवोदित फुटबॉलर माजिद इरशाद ने आतंकी बनने के बाद अपनी मां की फरियाद को सुनने और कश्मीर में जारी जिहाद की असलियत समझने के बाद बंदूक को छोड़ अपने घर का रास्ता पकड़ा था तो फरहान के पिता को भी उम्मीद बंधी कि उसका गुमराह बेटा भी घर लौट आएगा।
पिता की दर्द भरी अपील
आतंकवादी फरहान वानी के पिता गुलाम ने बेटे के लिए यह मार्मिक पोस्ट पिछले साल 24 नवंबर को लिखी थी। इसके बाद फरहान तक परिवार का संदेश पहुंचाने के लिए उसके फेसबुक पेज पर शेयर भी किया था। 'मेरे प्यारे बेटे जब से तुम हमें छोड़कर गए हो, मेरे शरीर ने धोखा देना शुरू कर दिया है। बेटे मैं तुम्हारे दिए गए दर्द से चीखता हूं, फिर भी उम्मीद है कि तुम लौट आओगे। मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि मैं तुम्हारे मुस्कुराते चेहरे को कितना मिस करता हूं। एक भी मिनट ऐसा नहीं है, जो तुम्हारी यादों के बगैर गुजरा हो। मुझे उम्मीद है कि तुम ठीक होगे। मैं तुम्हारा पिता हूं, अगर मैं सही-गलत नही बताऊंगा तो कोई और नहीं बताने वाला।'
दसवीं में आए थे 9.6 सीजीपीए
फरहान पढ़ाई में काफी तेज था। उसके दसवीं में 9.6 सीजीपीए आए थे। पिता की गुहार के बावजूद उसने कोई भी रिप्लाई नहीं किया। लेकिन गौहर जान ने हिम्मत नहीं हारी। उन्हें उम्मीद थी कि उनका बेटा उनके लिए जरूर वापस आएगा। फरहान की मां ने कुछ दिन पहले उसकी मनपसंद चिकन की डिश बनाई थी। उन्हें लगा रहा था कि शायद फरहान घर वापस आएगा।