कोरोना खौफ के बीच मुनाफा कमाने में लगी प्राइवेट लैब्स, ऐसे बना रहीं हैं शिकार
नई दिल्ली। पूरा देश जहां कोरोना के कहर से जूझ रहा है वहीं आईटी सिटी बेंगलुरू में प्राइवेट लैब्स में कोरोना की गलत रिपोर्ट देने के मामले सामने आ रहे हैं। अब तक कई केस ऐसे आ चुके हैं जहां पर लोगों ने प्राइवेट लैब में टेस्ट कराया तो उनके रिजल्ट पॉजिटिव बताए गए। जब लोगों ने दोबारा टेस्ट कराया तो रिपोर्ट निगेटिव आ गई।
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लैब ने दी गलत रिपोर्ट
ऐसा ही एक मामला बेंगलुरु के बीटीएम लेआउट क्षेत्र का है जहां बुखार के लक्षण होने पर एक बुजुर्ग ने एक प्राइवेट लैब्स में अपना टेस्ट कराया। लैब ने दो दिन बाद उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव बताई लेकिन तब तक उनका बुखार कम हो चुका था जिस पर उनके बेटे नवीन कृष्णा को शक हुआ। कृष्णा ने इस बार एक फेमिली डॉक्टर की मदद से अपने पिता का टेस्ट कराया तो टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई।
कृष्णा ने लैब टेक्नीशियन से इसकी शिकायत की। कृष्णा ने बताया कि टेक्नीशियन ने उनकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया और अपना काम करता रहा। ऐसी लैब के खिलाफ सख्त एक्शन होना चाहिए।'
ये इकलौती घटना नहीं है। 34 वर्षीय जुन्नासान्द्रा के साथ भी बिल्कुल ऐसा हुआ। उन्होंने बताया कि वे पिछले कई महीने से घर में ही हैं। केवल जरूरी सामान लेने घर से बाहर जाते हैं। 11 अगस्त को वे एक प्राइवेट लैब गए और अपना सैंपल दिया। दो दिन बाद उन्हें बताया गया कि उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है। वे दूसरी लैब में पहुंचे और अपना टेस्ट कराया जहां उन्हें निगेटिव पाया गया। जब उन्होंने पहली लैब में शिकायत की तो कोई जवाब नहीं दिया गया और फोन काट दिया गया।
टेक्नीशियन की पोस्ट हुई वायरल
सोमवार एक लैब टेक्नीशियन की पोस्ट वॉट्सएप पर वायरल हुई थी जिसमें उसने आरोप लगाया था कि कि तरह से कुछ लैब कोविड टेस्ट के नाम पर गलत तरीके से पैसे कमा रहे हैं। पोस्ट में लिखा गया था कि हमारी लैब में एक 40 वर्षीय युवक ने अपना सैंपल दिया था जिसकी 90 प्रतिशत निगेटिव पाई गई थी। लैब ने उसे रिपोर्ट देने में देरी की और तीन दिन बाद उसे पॉजिटिव बता दिया। चूंकि पॉजिटिव केस आने पर पीड़ित के संपर्क में आने वाले लोगों का भी टेस्ट जरूरी हो जाता है। ऐसे में हमारा बिजनेस तीन गुना तक बढ़ जाता है।
कोविड अस्पताल में तैनात एक मेडिकल अफसर ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कई मरीज जिनकी रिपोर्ट प्राइवेट लैब्स में पॉजिटिव आई थी वे यहां जांच के लिए पहुंचे। जब उनकी जांच की गई तो वे निगेटिव पाए गए। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह में उन्हें ऐसे 33 केस मिले जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव से निगेटिव पाई गई।