आयुर्वेद को घर-घर पहुंचाने वाले डॉ. पीके वारियर का 100 साल की उम्र में निधन
आयुर्वेद को घर-घर पहुंचाने वाले डॉ. पीके वारियर निधन
तिरुवनंतपुरम, 10 जुलाई: डॉ पीके वारियर का शनिवार को निधन हो गया है। वो 100 साल के थे। देश के बड़े आयुर्वेदाचार्यों में शुमार डॉ. पीके वारियर ने शनिवार को केरल के कोट्टाक्कल स्थित अपने घर पर आखिरी सांल ली। डॉ पीके कोट्टक्कल आर्य वैद्य शाला के मैनेजिंग ट्रस्टी भी थे। इस वैद्यशाला की शाखाएं पूरे देश में फैली हुई हैं।
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केरल मुख्यमंत्री, राज्यपाल और दूसरी हस्तियों ने डॉ वारियर के निधन पर दुख जाहिर किया है। केरल के राज्यपाल आरिफ खान ने कहा है कि एक चिकित्सक के तौर पर डॉ वारियर आयुर्वेद की वैज्ञानिक खोज के लिए प्रतिबद्ध थे। उनको आयुर्वेद के आधुनिकीकरण में उनके अतुलनीय योगदान के लिए याद किया जाएगा। एक मानवतावादी के रूप में, उन्होंने समाज में सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य और सम्मानित जीवन की कल्पना की थी।
मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा कि वारियर ने आयुर्वेद को वैश्विक ख्याति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उनके प्रयासों के कारण ही आज चिकित्सा के इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने वारियर के निधन को बड़ा नुकसान बताते हुए कहा कि हमने आज आयुर्वेद के पितामह को खो दिया है।
डॉ पन्नियमपल्ली कृष्णनकुट्टी (पीके) वारियर का जन्म 1921में मालाबार में हुआ था। उन्होंने कोट्टक्कल गांव के आर्यन मेडिकल स्कूल में आयुर्वेद की पढ़ाई की। इसके बाद 1954 में वह कोट्टाकल जिले में आर्य वैद्य रोड (एवीएस) के प्रबंध ट्रस्टी बने। आयुर्वेद के लिए उन्होंने काफी काम किया और दुनियाभर में आयुर्वेद को पहुंचाने में अहम रोल निभाया।
वारियर को अपने काम के लिए दुनियाभर में सम्मान मिला। भारत सरकार ने उनको 1999 में पद्मश्री और 2010 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।वे 1981 और 2003 में अखिल भारतीय आयुर्वेद कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए थे।
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