क्या कांग्रेस आलाकमान से तय होता है सीएम कैंडिडेट?
दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्री कौन होंगे, इस बारे में विचार-विमर्श कल देर रात चलता रहा। कल पूरे दिन चली माथापच्ची के बाद मध्यप्रदेश के लिए कमलनाथ को चुना गया, जो अब वहां की कमान संभालेंगे। वहीं, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के लिए मुख्यमंत्री के नाम आज तय हो जाएंगे। फिलहाल, मुख्यमंत्रियों की चयन प्रक्रियाओं से लेकर चुनाव परिणाम के दो दिनों के बाद भी कांग्रेस अपने जीते हुए राज्यों के लिए सीएम के नाम नहीं निकाल पाई हैं।
जब कोई पार्टी चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री का नाम नहीं देती है तो पार्टी को बाद में इस तरह के मुश्किलों से गुजरना होता है। कांग्रेस ने किसी भी व्यक्ति को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का नाम घोषित नहीं किया था।
बीजेपी को महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था। पार्टी बिना मुख्यमंत्री का नाम घोषित किये ही मैदान में उतरी थी। उसके बाद अंतिम विकल्प तक पहुंचन में भी काफी वक्त लग गया था।
पार्टी के मुख्यमंत्री का नाम आमतौर पर विधायकों द्वारा चयन किया जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पार्टी आलाकमान अपने विधायकों से सीएम उम्मीदवार के बारे में पूछती है या इसके लिए गुप्त मतदान के लिए भी कह सकती है।
महाराष्ट्र की परिस्थितियों को याद करते हैं, जब बीजेपी सिंगल लार्जस्ट पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन वो भी बिना सीएम कैंडिडेट के। उस वक्त नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस जैसे दो दिग्गज का नाम सामने आ रहा था। शिवसेना चाह रही थी कि गडकरी सीएम बने और बीजेपी फडणवीस को महाराष्ट्र की सत्ता सौंपना चाह रही थी। आखिरकार दिल्ली से राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा मुंबई पहुंचे और विधायकों से राय लेकर फडणवीस पर अंतिम मुहर लगाई।
यूपी में भी बीजेपी बिना सीएम कैंडिडेट के ही चुनावी मैदान में उतरी थी। हालांकि, राजनाथ सिंह को चुनाव से एक दिन पहले पूछा गया था कि क्या आपको सीएम चेहरा बनाकर लड़ा जाए, तो उन्हों मना करते हुए बगैर सीएम कैंडिडेट की पार्टी को चुनाव लड़ने की सलाह दी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी के भीतर ही सर्वे हुआ था, जिसके बाद योगी पर जाकर मुहर लगी थी।
इस प्रकार कांग्रेस आलाकमान भी पार्टी मेंबर्स से पूछकर और जीते हुए राज्यों के विधायकों से सलाह लेकर या सर्वे द्वारा सीएम कैंडिडेट घोषित कर रही है। हालांकि, इस दौरान पार्टी को आंतरिक गुटबाजी से भी गुजरना होता है, लेकिन आखिरकार एक कैंडिडेट तय कर लिया जाता है।