Sixth Schedule को लेकर लद्दाख में मतभेद, कारगिल से उठी बड़ी मांग
नई दिल्ली- संविधान की छठी अनुसूची लागू किए जाने की मांग को लेकर लद्दाख के लेह और कारगिल इलाकों के बीच मतभेद उभर आए हैं। लेह इलाके के सियासी दलों की जिस मांग पर केंद्र सरकार ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का यकीन दिलाया है, कारगिल में उसी की मुखालफत शुरू हो गई है। जबकि, मोदी सरकार के आश्वासन के बाद पीपुल्स मूवमेंट फॉर सिक्स्थ शेड्यूल फॉर लद्दाख ने अपने लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव बहिष्कार का ऐलान वापस भी ले लिया है। लेकिन, कारगिल के राजनीतिक नेताओं का कहना ही कि वह छठी अनुसूची की मांग नहीं मानेंगे।
छठी अनुसूची को लेकर लद्दाख में मतभेद
केंद्र सरकार से लेह के लोगों की ओर से लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची लागू किए जाने की मांग पर विचार करने का भरोसा मिलने के बाद इसको लेकर वहां सभी दलों को मिलाकर बनी पीपुल्स मूवमेंट फॉर सिक्स्थ शेड्यूल फॉर लद्दाख ने लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव बहिष्कार का ऐलान वापस ले लिया है। इन्हें केंद्र सरकार से भरोसा दिया गया है कि वह क्षेत्र के लोगों के हितों की रक्षा करेगी। इस संगठन ने 16 अक्टूबर को होने वाले एलएएचडीसी के चुनाव के बहिष्कार की घोषणा की थी। लेकिन, अब कारगिल में कुछ नेताओं ने यह कहकर छठी अनुसूची लागू किए जाने का विरोध करना शुरू कर दिया है कि वे पहले से ही जम्मू-कश्मीर के विभाजन के विरोधी रहे हैं और उनकी मांग है कि उन्हें फिर से कश्मीर घाटी के साथ मिलाया जाएगा।
केंद्र ने दिया लद्दाख के लोगों के हितों की रक्षा का भरोसा
इससे पहले पीपुल्स मूवमेंटर ऑफ लद्दाख के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृहमंत्री से भी अपनी मांगों को लेकर मुलाकात की थी। बाद में युवा एवं खेल मामलों के राज्यमंत्री रिजिजू ने ट्विटर पर जानकारी दी कि, 'माननीय गृहमंत्री अमित शाह जी ने लद्दाख के प्रतिनिधिमंडल को विश्वास दिलाया है कि भारत सरकार लद्दाख के लोगों की हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री सीमावर्ती इलाकों की जनता की भावनाएं समझने के लिए उनका आभार जताया है।' खबरों के मुताबिक केंद्र सरकार ने लद्दाख के लोगों को वहां भी छठी अनुसूची लागू करने की संभावनाओं को लेकर चर्चा करने का भरोसा दिलाया है। बाद में सरकार की ओर से एक बयान में लेह और कारगिल हिल काउंसिल के सशक्तिकरण और संघ शासित प्रदेश की हितों की रक्षा को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई है।
कारगिल के कुछ नेता छठी अनुसूची के खिलाफ
लेकिन, इसी बात को लेकर कारगिल के कुछ राजनीतिक नेताओं की ओर से सख्त बयान जारी किए जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पूर्व विधायक और कारगिल के वरिष्ठ नेता असगर अली ने कहा है, 'पहले दिन से हम राज्य का विभाजन नहीं मांग रहे। कारगिल का एक भी आदमी विभाजन से खुश नहीं है।' उनका यह भी दावा है कि अब लेह के लोगों को भी महसूस हो रहा है कि संघ शासित प्रदेश बनने से क्षेत्र की शक्तियां कैसे कम हो गई हैं। उनका यह भी कहना है कि छठी अनुसूची का विस्तार 'बेकार की बात' है। उन्होंने कहा है, 'वे लोग लद्दाख के लिए विधानसभा वाले राज्य का दर्जा क्यों नहीं मांगते हैं? हम संघ शासित प्रदेश के साथ नहीं हैं। हम छठी अनुसूची के विस्तार के समर्थन नहीं करेंगे। हम राज्य के विभाजन के हमेशा खिलाफ थे और रहेंगे।' इलाके के एक और नेता सज्जाद कारगिली ने यहां तक दावा कर दिया कि पिछले एक साल से हम प्रशासनिक भेदभाव के शिकार हो रहे हैं। यही नहीं उनका दावा है कि स्थानीय लोग फिर से आर्टिकल-370 की बहाली चाहते हैं।
लद्दाख से आए प्रतिनिधिनंडल ने गृहमंत्री से भी की मुलाकात
इससे पहले मीडिया से बातचीत करते हुए लद्दाख से आए प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख और पूर्व सांसद थुपस्तान छेवांग का कहना था कि लद्दाख के लोगों को जम्मू-कश्मीर की तरह डोमिसाइल कानून नहीं, छठी अनुसूची चाहिए। इस प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। भाजपा शासित लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल का चुनाव 16 अक्टूबर को होना है। लेकिन, उससे पहले कांग्रेस, भाजपा समेत बाकी सभी राजनीतिक दलों ने इलाके के लोगों की संस्कृति, रोजगार और उनकी जमीन की सुरक्षा के लिए उत्तर-पूर्वी राज्यों की तर्ज पर संविधान की छठी अनुसूची लागू किए जाने तक चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था, जिसे अब वापस ले लिया गया है।
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