मध्य प्रदेश: हेडमास्टर में अपनी बचत से 19 बच्चों को कराया हवाई सफर
भोपाल। कभी-कभी सपने सच हो जाते हैं। ऐसा कुछ अनुभव देवास जिले के एक गाँव के एक सरकारी स्कूल के उन्नीस छात्रों के साथ हुआ। जो उन्हें पूरी जिंदगी याद रहेगा। इन बच्चों की हवाई जहाज में बैठने की ख्वाहिश उनके टीचर ने पूरी कर दी। इन बच्चों के अपने हेडमास्टर किसी हीरो से कम नहीं हैं। मामला इंदौर के देवास जिले के एक सरकारी स्कूल का है। जहां के हेडमास्टर किशोर कनासे अपने खर्च पर 19 छात्रों को विमान से दिल्ली लेकर गए। उनके इस काम की हर को प्रशंसा हो रही है।
सेविंग से कराई हवाई यात्र
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जब बिजेपुर के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छठीं, सातवीं और आठवीं कक्षा के 19 बच्चे पहली बार इंदौर एयरपोर्ट पहुंचे, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे पहली बार हवाई जहाज से दिल्ली जाने वाले थे। जहां वे दो दिनों तक दिल्ली घूमने वाले थे। तोहिद शेख नाम के स्टूडेंट ने कहा, ‘जब हम जमीन पर खेलते हुए प्लेन को देखते तो वह बेहद छोटे नजर आते थे। लेकिन जब हमने उसे करीब से देखा तो वह बहुत बड़ा था।
कई छात्र अपने जीवन में ट्रेन में भी नहीं बैठे थे
स्कूल के टीचर बताते हैं कि, सरकारी स्कूलों में बच्चों के पसंदीदा टाइम पास कागज के प्लेन बनाकर उड़ाना है। कभी-कभी लंच ब्रेक के दौरान वे इसकी प्रतियोगिता भी करते थे। लेकिन वे असली प्लेन की यात्रा का अनुभव शायद ही जीवन में कभी भूलने वाले हैं। हेडमास्टर किशोर बताते हैं कि, इनमें से कई छात्र ऐसे थे जो कभी ट्रेन में नहीं बैठे। इन्होंने एयरप्लेन में सफर करने के बारे में कभी सोचा भी नहीं होगा। मैं चाहता था कि, वे जीवन में एक बार इसका अनुभव जरूर ले।
ऐसे आया प्लेन में सफऱ कराने का आइडिया
इसलिए उन्होंने बच्चों को प्लेन से दिल्ली ले जाने का फैसला किया। इसके लिए हमने टिकट सस्ते होने पर नजर बनाए रखी। फिर दाम कम होने पर एडवांस में टिकट बुक कर ली। बच्चों को प्लेन में सफर करवाने का आइडिया उन्हें तब आया था, जब वह एक दफा बच्चों को आगरा से ट्रेन से लेकर लौट रहे थे। उसी दौरान उत्साहित बच्चों ने उनसे कह दिया था कि अगली बार वह प्लेन से जाएंगे। बच्चों की इसी बात को सुनकर हेडमास्टर किशोर ने उन्हें हवाई जहाज में बैठाने का फैसला कर लिया था। छात्रों ने नई दिल्ली में दो दिन बिताए। इस दौरान वे कुतुब मीनार, संसद भवन और लाल किला जैसी ऐतिहासिक जगहों पर गए। सभी ट्रेन से 17 फरवरी को अपने शहर लौटे।
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