गुरु पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, जानिए इसका महत्व
वाराणसी। आज गुरू पूर्णिमा है, आस्था के मानक इस पर्व पर आज जहां भारी संख्या में लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई और परिवार वालों के दुआएं मांगी हैं वहीं दूसरी ओर आज काशी समेत कई तीर्थ स्थानों पर लोगों ने घाटों के किनारे कई जगह सत्संग का भी आयोजन किया।
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आषाढ़ मास की पूर्णिमा
आपको बता दें कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा की जाती है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ होती है। इस अलौकिक दिन के बारे में हर किसी की अपनी-अपनी सोच है।
शिक्षा-ग्रहण का विधान
इस ऋतु के बाद चार महीने तक पूजा यानी शिक्षा-ग्रहण का विधान है क्योंकि इन चार महीनों में ना तो ज्यादा गर्मी होती है और ना ही सर्दी इसलिए ये चार महीने पढ़ाई के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं।
संत घीसादास का भी जन्म
भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे।
प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरु' कहते हैं
शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है और अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरु' कहा जाता है।
भारी भीड़
भोर प्रहर से ही श्रद्धालुओं शहर के इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर गंगा नदी और लखनऊ की गोमती नदी में तट पर भारी भीड़ देखी जा रही है। गंगा स्नान करने के बाद सभी भक्त मन्दिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं।