दिल्ली हिंसा: 13 अप्रैल तक टली सुनवाई, भड़काऊ भाषणों पर हाईकोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब
नई दिल्ली। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़ी अर्जी पर गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट ने भड़काऊ बयान के मामले में कार्रवाई करने को लेकर जवाब मांगा था, जबकि ये बयान 1-2 महीने पहले के हैं। तुषार मेहता ने दिल्ली हिंसा और विधानसभा चुनावों के दौरान भड़काऊ बयानबाजी पर एफआईआर दर्ज करने का विरोध करते हुए कहा कि इसके लिए अभी माहौल अनुकूल नहीं है।
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने तुषार मेहता की दलीलों का विरोध किया और कहा, 'उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा के विभिन्न मामलों में अब तक 48 एफआईआर दर्ज की गई है, तो अब एफआईआर क्यों नहीं?' याचिकाकर्ता की तरफ से अन्य वकील कोलीन गोंजालवेज ने कहा कि वे गिरफ्तारी के लिए दबाव नहीं बना रहे, एक एफआईआर तो दर्ज हो। अगर सबूत नहीं मिला तो एफआईआर रद्द हो सकती है।
तुषार मेहता ने केंद्र को भी इस मामले में एक पक्ष बनाने की मांग की थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई 13 अप्रैल तक टाल दी। कोर्ट ने पूरे मामले पर केंद्र से जवाब तलब किया है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस हरशंकर की बेंच ने की। इसके पहले, जस्टिस मुरलीधर और और जस्टिस तलवंत सिंह की अदालत ने सुनवाई की थी।
Delhi High Court makes Centre a party in the North East Delhi violence case. https://t.co/hXch8jLh5J
— ANI (@ANI) February 27, 2020
बुधवार को नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़ी अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने भड़काऊ भाषणों को लेकर एफआईआर ना होने पर नाराजगी जताई थी। हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकारते हुए पूछा कि कितनी और मौतों का इंतजार है? आप कब भड़काऊ वीडियो के मामले में एफआईआर करेंगे। अदालत ने पुलिस से कहा है कि भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं पर एफआईआर होनी चाहिए।
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