कहां है Hippo, दिल्ली हाईकोर्ट ने एशियाड सर्कस को जानकारी देने का आदेश दिया
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एशियाड सर्कस से मेल हिप्पो के बारे में जानकारी देने के लिए कहा है। जिसे गैरकानूनी तरीके से अलगाव की स्थिति में रखा गया है। कोर्ट ने पशु अधिकार संगठन 'पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स' (पेटा) की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही।
कोर्ट ने पेटा को आदेश दिया कि याचिका की एक कॉपी एक हफ्ते के भीतर सर्कस को दे दी जाए और उन्हें इसपर 10 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा जाए। अब मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को की जाएगी। अपनी याचिका में पेटा ने कोर्ट से आग्रह किया है कि कब्जे में लिए गए हिप्पो को रिहा करने का आदेश दिया जाए।
पेटा ने कोर्ट से कहा है कि हिप्पो को वापस वहीं छोड़ दिया जाए जहां उसका जन्म हुआ था। इस हिप्पो का जन्म पटना के संजय गांधी बायोलॉजिकल पार्क में हुआ था। ताकि वहां वह अपने माता-पिता के पास वापस जा सके।
पेटा इंडिया के कानूनी सहयोगी आमिर नबी ने कहा, 'पेटा इंडिया दिल्ली हाईकोर्ट में हिप्पो के लिए याचिका दायर कर रहा है ताकि उसे उसके घर लौटाया जा सके। जहां वह अपने परिवार के साथ रहने का आनंद ले सके और प्राकृतिक जीवन जी सकेगा।' इस हिप्पो को साल 2015 में एशियाड सर्कस में लाया गया था।'
यह माना जा रहा है कि तभी से हिप्पो को एक तंग बाड़े में अलगाव की स्थिति में रखा गया है, जो सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) के दिशानिर्देश का उल्लंघन है। इसके अलावा, एशियाड सर्कस के पशु पंजीकरण प्रमाण पत्र को 2016 में पशु कल्याण बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा निरस्त कर दिया गया था। "बंदी पशु सुविधा" मान्यता के लिए इसका आवेदन अभी भी सीजेडए के पास लंबित है। पेटा ने एक बयान में कहा है, हिप्पो का इस्तेमाल करना पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम, 1960 और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का उल्लंघन है।
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