शरजील इमाम के खिलाफ चलेगा देशद्रोह का केस, दिल्ली की अदालत ने तय किए आरोप
दिल्ली की एक अदालत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली के जामिया इलाके में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए कार्यकर्ता शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह के आरोप तय किये।
नई दिल्ली, 24 जनवरी। दिल्ली की एक अदालत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली के जामिया इलाके में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए कार्यकर्ता शरजील इमाम के खिलाफ सोमवार को आरोप तय किए।
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इमाम को 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 जनवरी 2020 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित भड़काऊ भाषणों के लिए गिरफ्तार किया गया था। वह 28 जनवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने इमाम के खिलाफ सोमवार को आरोप तय किए। इस आदेश की विस्तृत प्रति शाम तक उपलब्ध कराए जाने की उम्मीद है। शरजील इमाम पर देशद्रोह, धर्म, जाति, जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, भारतीय दंड संहिता के तहत राष्ट्रीय एकता को हानि पहुंचाने और गैरकानूनी गतिविधी (रोकथाम) अधिनियम के तहत गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप तय किये गए हैं।
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जानकारी के मुताबिक शरजील पर आईपीसी के सेक्शन 124A (देशद्रोह), 153A, 153B और 505 और UAPA के सेक्शन 13 के तहत केस दर्ज होगा। शरजील इमाम पर आरोप है कि उसने अपने भाषण के दौरान असम को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले भू-भाग को काटने की बात कही थी। इसी भाषण के बाद वह चर्चा में आया था। इमाम ने आईआईटी बॉम्बे से बीटेक और एमटेक किया है, जबकि साल 2013 में शरजील ने जेएनयू में आधुनिक इतिहास में पीजी की डिग्री ली है। शरजील बिहार के जाहानाबाद का मूल निवासी है।