जब वोट के लिए जन्मजात कम्युनिस्ट आतिशी ने कहा था, मैं ईसाई नहीं राजपूत हूं
नई दिल्ली। 'मिस्टर ईमानदार' का टैग चस्पा कर राजनीति करने वाले अरविंद केजरीवाल ने अब उसूलों इतनी काट-छांट कर ली है कहीं फिट हो जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत से कम कुछ भी नहीं चाहिए। जैसे भी हो जीत मिलनी चाहिए। केजरीवाल ने इस चुनाव में आतिशी मार्लेना को फिर मैदान में उतरा है। वे लोकसभा चुनाव के समय विवादों में रहीं थीं। जन्मजात कम्युनिस्ट कहलाने वाली आतिशी ने लोकसभा चुनाव में खुलेआम जाति के नाम पर वोट मांगा था। उनकी तरफदारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी की थी। लेकिन राजनीतिक तिकड़म आजमाने के बाद भी आतिशी लोकसभा चुनाव हार गयीं थीं। केजरीवाल के लिए फिर भी वे खास हैं। आप ने अपने सीटिंग विधायक अवतार सिंह का टिकट काट कर आतिशी मार्लेना को कालकाजी से मैदान में उतारा है। क्या वे विधायक बन पाएंगी?
मैं राजपूत हूं- आतिशी
ऐसा नहीं कि केजरीवाल सिर्फ काम पर वोट मांग रहे हैं। जीत के लिए दांव-पेंच से उनको परहेज नहीं है। उनको भी हिंदू वोट चाहिए। वे जामिया मिलिया इस्लामिया के पीड़ित छात्रों से मिलने नहीं गये। सीएए का पहले की तरह आक्रामक विरोध नहीं किया। दूसरे राजनेताओं की तरह केजरीवाल को भी जाति और धर्म का सहारा चाहिए। जब केजरीवाल को लगा कि आतिशी का सरनेम ‘मार्लेना' ईसाई होने का भ्रम पैदा कर रहा है तो उन्होंने अपने इस भरोसेमंद नेत्री को तत्काल सरनेम हटाने का हुकुम सुना दिया था। आप जैसी करिश्माई पार्टी को भी चुनाव जीतने के लिए जाति को छिपाने और बताने की चाल चलनी पड़ी। आम आदमी पार्टी की चर्चित नेता आतिशी को यह चीख-चीख कर बताना पड़ा कि वे ईसाई या यहूदी नहीं बल्कि राजपूत हैं। सिद्धांत बघारने वाले डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को वोट की राजनीति इतना मजबूर कर दिया कि उन्हें ट्वीट करना पड़ा, उनका पूरा नाम आतिशी सिंह है, राजपूतानी हैं, पक्की क्षत्राणी हैं। झांसी की रानी। जीतेंगी भी और इतिहास भी बनाएंगी। लेकिन जनता ने मनीष सिसोदिया और आतिशी को खारिज कर दिया था। न केजरीवाल का करिश्मा काम आया न जाति का कार्ड चला। आतिशी बुरी तरह चुनाव हारीं। हाल ही में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा है - चुनाव किसी राजनीतिक दल के लिए परीक्षा की तरह है। राजनीतिक दल छात्र हैं। हर छात्र परीक्षा में अधिक से अधिक नम्बर लाना चाहता है। अगर आप अधिक नम्बर लाने की कोशिश कर रहा है तो इसमें गलत क्या है।
कौन हैं आतिशी मार्लेना?
आतिशी जन्मजात कम्युनिस्ट हैं। उनके पिता विजय कुमार सिंह और मां तृप्ता वाही दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। दोनों कट्टरपंथी अल्बानिया कम्युनिस्ट ग्रुप के सदस्य थे। जब 1981 में आतिशी का जन्म हुआ तो उनके माता-पिता ने मार्क्स और लेनिन के नाम जोड़ कर मार्लेना शब्द बनाया और उनका सरनेम बना दिया। आतिशी का पूरा नाम आतिशी मार्लेना सिंह है। लेकिन स्कूल में उनका नाम आतिशी मार्लेना रहा। उन्होंने भारत के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेज, सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहार में ग्रेजुएशन किया है। आगे की पढ़ाई के लिए वे ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गयीं और मास्टर डिग्री हासिल की। वे रोड्स स्कॉलर रही हैं। भारत लौटने के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश के एक स्कूल में अंग्रेजी और इतिहास पढ़ाया। फिर वे भोपाल चली गयीं। वहां उन्होंने ऑर्गेंनिक खेती और आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। 2013 अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का घोषणा पत्र तैयार करने के लिए एक समिति बनायी थी। इस समिति के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव थे और आतिशी की मां प्रोफेसर तृप्ता वाही इसकी सदस्य थीं। तृप्ता वाही और उनके पति विजय कुमार सिंह धुर वामपंथी विचारों के लिए जाने जाते थे। 2006 में जब सुप्रीम कोर्ट ने संसद हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरू को फांसी की सजा सुनायी थी तब तृप्ता और विजय ने उसको माफी देने की वकालत की थी। उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को एक पत्र भी लिखा था। 2013 में आतिशी आम आदमी पार्टी में शामिल हो गयीं थीं।
केजरीवाल को भी चाहिए धर्म- जाति के नाम पर वोट !
आतिशी मार्लेना पहले आप में प्रवक्ता रहीं। फिर केजरीवाल सरकार की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने का जिम्मा मिला। उनके लिए शिक्षा सलाहकार का विशेष पद सृजित किया गया। लेकिन उप राज्यपाल अनिल बैजल ने उनकी नियुक्ति को गैरकानूनी करार देकर पद से हटा दिया था। 2018 में केजरीवाल ने आतिशी को पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया था। इसके बाद कांग्रेस और भाजपा के नेता आतिशी मार्लेना को ईसाई बता कर जनता में प्रचार करने लगे। मार्लेना सरनेम से ईसाई होने का भ्रम पैदा करने लगा। अरविंद केजरीवाल डर गये। उनको लगा कि इससे हिंदू वोट छिटक सकते हैं। उनके कहने पर आतिशी ने ट्वीटर हैंडल और सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से अपना सरनेम हटा लिया। वे केवल आतिशी लिखने लगीं। उनके कट्टर कम्युनिस्ट माता-पिता ने जिस मार्क्स और लेनिन की याद में मार्लेना गढ़ा था वह वोट की मजबूरी में कुर्बान हो गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब आतिशी पूर्वी दिल्ली से उम्मीदवार बनी तो उन्होंने अपना नाम बदलने का एफिडेविट दाखिल किया। उन्होंने नामाकंन पत्र पर अपना नाम केवल आतिशी लिखा और मार्लेना शब्द से किनारा कर लिया। आतिशी को बार-बार ये सफाई देनी पड़ी कि वे ईसाई नहीं राजपूत हैं। उनके पिता विजय कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के राजपूत परिवार से हैं। जब कि मां तृप्ता वाही पंजाबी हैं। इतना करने के बाद भी आतिशी भारत के नामी क्रिकेटर गौतम गंभीर के सामने टिक नहीं पायीं। 2020 के विधानसभा चुनाव में वे कालकाजी सीट से उम्मीदवार हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में पंजाबी और सिख समुदाय का प्रभाव है। आतिशी खुद को राजपूत पंजाबी कहती हैं। एक बार फिर जाति-समुदाय के नाम पर नैया पार लगाने की तैयारी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी केजरीवाल ने चर्चित पत्रकार आशुतोष के लिए आशुतोष ‘गुप्ता' के नाम पर वोट मांग था। आशुतोष ने चांदनी चौक से चुनाव लड़ा था और हार गये थे।