क्या केजरीवाल दिल्ली में दोहरा रहे हैं भाजपा की झारखंड वाली गलती?
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल क्या वही गलती दोहरा रहे हैं जो झारखंड में भाजपा ने की थी ? झारखंड में भाजपा ने 43 विधायकों (37+6 झाविमो) में से 13 के टिकट काट दिये थे। दूसरे दल से आये 12 लोगों को टिकट दिये थे। जिसमें 9 चुनाव हार गये। पार्टी में उपजे असंतोष और जनता की नाराजगी ने झारखंड में भाजपा का बेड़ा गर्क कर दिया। झारखंड में भाजपा ने आंतरिक सर्वे के आधार पर विधायकों के टिकट काटे थे। उसी तरह आप ने भी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर विधायकों को बेटिकट किया है। केजरीवाल ने जिन 15 विधायकों के टिकट काटे हैं उनमें सात ने बगावत कर दी है। अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी में पहले की तरह 'पूजनीय’ नहीं रहे। आप में भी दूसरे दलों की तरह स्वार्थ की राजनीति चरम पर है। केजरीवाल ने अपने लोगों की उपेक्षा कर 9 दलबदलुओं को टिकट दिया है। इसका विरोध शुरू हो गया है। महत्वाकांक्षा, जोड़तोड़ और भितरघात से आप का दिल्ली में खेल बिगड़ सकता है।
पटेल नगर, बदरपुर, बबाना में बगावत
पटेल नगर के आप विधायक हजारीलाल चौहान ने टिकट कटने के बाद अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने नये उम्मीदवार राज कुमार आनंद पर गंभीर आरोप लगाये हैं। उनका कहना है कि स्थानीय कार्यकर्ता उनके साथ हैं और वे पटेल नगर से ही चुनाव लड़ेंगे। यानी इस सीट पर आप को अपने ही बागी से जुझना होगा। केजरीवाल पर सबसे बड़ा हमला बदरपुर के विधायक एनडी शर्मा ने बोला है। उन्होंने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर टिकट के लिए 10 करोड़ रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। शर्मा का आरोप है कि जिस राम सिंह नेताजी को टिकट दिया है उनकी छवि आपराधिक और भू माफिया की है। एनडी शर्मा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। बवाना से बेटिकट हुए विधायक रामचंद्र ने भी हरहाल में चुनाव लड़ने की बात कही है। उनका कहना है कि आप वे बसपा से आये पार्षद जयभगवान उपकार को उम्मीदवार बनाया है जिससे क्षेत्र के लोगों में नाराजगी है। स्थानीय आप कार्यकर्ता बसपा नेता को स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं।
चार और सीटों पर आप को अपनों से चुनौती
सीलमपुर में विधायक हाजी इशराक खान का टिकट काट कर अब्दुल रहमान को उम्मीदवार बनाया गया है। हाजी इशराक का आरोप है कि पार्टी ने एक गलत शख्स को टिकट दिया है जिससे केजरीवाल की छवि खराब होगी। अब्दुल रहमान सीलमपुर के पार्षद हैं और उन पर सीएए के विरोध में हंगामा करने का आरोप है। हाजी इशराक ने धमकी दी है कि अगर आप ने यहां उम्मीदवार नहीं बदला तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। गोलकपुर के विधायक चौधरी फतेह सिंह, चौधरी सुरेन्द्र कुमार को उम्मीदवार बनाये जाने से खफा हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है जो दल बदल के लिए बदनाम रहा है। सुरेन्द्र पहले भाजपा के विधायक रहे हैं। तीन महीना पहले ही वे भाजपा से आप में आये थे। फतेह सिंह ने भी टिकटों की खरीद बिक्री की आशंका जतायी है। कोंडली सीट पर भी आप ने अपने सीटिंग विधायक मनोज कुमार का टिकट काट दिया है। यहां से कुलदीप कुमार को उम्मीदवार बनाया गया है। मनोज ने भी आप पर टिकट बेचने का आरोप लगाया है। त्रिलोकपुरी से बेटिकट हुए विधायक राजू धींगान का आरोप है कि पार्टी ने एक ईमानदार कार्यकर्ता की जगह पैसे वाले को टिकट दे कर अपने आदर्शों का अनादर किया है।
विधायकों के बदले पार्षदों को तरजीह
केजरीवाल ने छह सीटों पर विधायकों की जगह निगम पार्षदों को तरजीह दी है। आप के मुताबिक इन चुनाव क्षेत्रों के विधायकों की लोकप्रियता वहां के पार्षदों से भी कम है। इसलिए उन्हें चुनावी मैदान में उतारा गया है। बवाना के पार्षद जय भगवान, मुस्तफाबाद के पार्षद हाजी युनूस, चौहान बांगर के पार्षद अब्दुल रहमान को सीलमपुर से, कल्याणपुरी के पार्षद कुलदीप कुमार को कोंडली से और त्रिलोकपुरी ईस्ट के पार्षद रोहित कुमार को त्रिलोकपुरी से आप उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस की पूर्व पार्षद राज कुमारी ढिल्लो को हरिनगर से टिकट दिया गया है। 2015 के चुनाव में केजरीवाल ने पांच निगम पार्षदों को टिकट दिये थे जिसमें सभी विजयी हुए थे। तब केजरीवाल की छवि राजनीति के मसीहा की थी। लोग उनकी तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे थे। केजरीवाल के नाम पर सबकी नैया पार लग गयी। लेकिन 2020 में केजरीवाल की छवि एक जोड़तोड़ करने वाले नेता की बन गयी है। जिन विधायकों के टिकट काट कर पार्षदों को मैदान में उतारा गया है वे विरोध का झंडा बुलंद किये हुए हैं। यानी आप को अपनों से ही चुनौती मिलने वाली है।