Dalai Lama Birthday: शांति के उपासक से आज भी क्यों डरता है चीन ? तिब्बती धर्मगुरु के बारे में कुछ रोचक तथ्य
नई दिल्ली, 6 जुलाई: तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा आज 87 वर्ष के हो गए हैं। उनके जन्मदिन के अवसर पर पूरे विश्व में तिब्बत के लोगों में बहुत ही खुशी का माहौल रहता है। लेकिन, हमेशा शांति और अहिंसा की बात करने वाले इस आध्यात्मिक नेता को लेकर चीन की सरकार के मन में खौफ की भावना कभी खत्म नहीं होती। पता नहीं कि उसे किस अज्ञात बात का डर है कि वह तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों के लिए खुशियों के इस मौके को भी दहशत में बदल देती है। इस बार भी वही हुआ है। जबकि, हम यहां आपको दलाई लामा के बारे ऐसे रोचक तथ्य बता रहे हैं, जिसके बारे में लोग कम जानते हैं। इसमें उन्होंने हमेशा ही शांति, भाई-चारे और मानवीय प्रेम की बात की है। लेकिन, कम्युनिस्ट पार्टी और चाइना के नेताओं को शायद प्रेम की भाषा समझ में ही नहीं आती।
किसान परिवार में जन्मे थे दलाई लामा
बुद्धवार को पूरे विश्व में तिब्बती बौद्ध समुदाय के लोग 14वें दलाई लामा का 87वां जन्मदिन मना रहे हैं। चीन की विस्तारवादी नीतियों की वजह से अपने अनुयायियों के साथ 1959 से निर्वासन में जी रहे दलाई लामा के बारे में कम ही लोग जानते हैं कि उनका जन्म 6 जुलाई, 1935 को उत्तरपूर्वी तिब्बत के अम्दो में ताकत्सेर के एक किसान परिवार में हुआ था। उनका नाम तेनजिन ग्यात्सो है, जिन्हें शुरुआत में ल्हमो धोनदुप के नाम से जाना गया।
बचपन में ही चीनी सरदार ने अगवा कर लिया था
जब वे सिर्फ दो साल के थे तो उन्हें 13वें दलाई लामा थुबतेन ग्यात्सो का अवतार माना गया। जब वे बच्चे थे, तभी एक चीनी सरदार ने वसूली के लिए उन्हें और उनके परिवार को बंधक बना लिया था। जब तत्कालीन तिब्बती सरकार ने फिरौती की रकम दी, तब जाकर तेनजिन ग्यात्सो और उनका परिवार राजधानी ल्हासा पहुंच सका। सिर्फ चार साल की उम्र में उन्हें उनका ताज मिल गया और जब वे 6 साल के हुए तो वे भिक्षु बन गए।
चीन की बर्बरता के बावजूद भी प्रेम की बात करते हैं
1959 में जब ल्हासा में तिब्बती राष्ट्रवाद जोर पकड़ रहा था,तभी चीन ने उसे सख्ती से कुचलना शुरू कर दिया। इसके चलते तिब्बती आध्यात्मिक गुरु को अपने करीब 80,000 अनुयायियों के साथ भागकर भारत आना पड़ा और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार गठित की। तिब्बत पर चीन के आक्रमण के बाद तिब्बत की पूर्ण राजनीतिक शक्ति भी दलाई लामा के पास आ गई थी। जीवन के इस पड़ाव पर भी चीन की बर्बरता झेलने वाले दलाई लामा कहते हैं, 'हम धर्म और ध्यान के बिना रह सकते हैं, लेकिन मानवीय प्रेम के बिना जीवित नहीं रह सकते।'
आज भी चीनी आक्रमकता झेलने को मजबूर हैं तिब्बती
भगवान बुद्ध के स्वरूप के तौर पर देखे जाने वाले दलाई लामा ने हमेशा उनके बताए मार्ग के रूप में अहिंसा की वकालत की है। जबकि चीन की विस्तारवादी मानसिकता की वजह से लाखों तिब्बती आज भी या तो निर्वासन में जीवन जी रहे हैं या फिर तिब्बत में रहकर कम्युनिस्टों की गुलामी झेलने को मजबूर हैं। 1989 में उन्हें इसी वजह से शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। बौद्ध शिक्षा में उनकी दीक्षा का सबसे पसंदीदा और मशहूर विषय कालचक्र तंत्र है, जो बौद्ध धर्म की सबसे जटिल शिक्षा मानी जाती है। तिब्बती आध्यात्मिक गुरु का कहना है, 'दूसरों के जीवन को बदलने का रास्ता प्रेम में है, गुस्से में नहीं।'
विज्ञान में गहरी रुचि रखते हैं दलाई लामा
आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि हमेशा शांति और अहिंसा की बात करने वाले तिब्बती आध्यात्मिक गुरु के लिए ध्यान तो उनकी पसंदीदा चीज है ही, वे बागवानी में भी उतनी ही दिलचस्पी रखते हैं और पुरानी घड़ियों की रिपेयरिंग भी उनके शौक में शामिल है। उन्होंने कहा था कि अगर वह भिक्षु नहीं बनते तो विज्ञान में गहरी रुचि के चलते इंजीनियरिंग में चले जाते। उनका कहना है, 'अपना ज्ञान साझा करो। यह अमरत्व प्राप्त करने का रास्ता है।'
दलाई लामा की फोटो रखने पर तिब्बत में महिला गिरफ्तार-रिपोर्ट
दलाई लामा को अपनी जमीन, अपना देश, अपना वतन छोड़े 63 साल गुजर चुके हैं, लेकिन उनकी अहिंसा के विचार से पैदा हुआ चीन के शासकों का डर आज भी खत्म नहीं हो पाया है। तिब्बत वॉच डॉट ओआरजी के हवाले से एक खबर आई है कि शी जिनपिंग की सरकार की पुलिस ने अम्दो (चाइनीज में एन्ड्यूओ) से 23 साल की एक युवा तिब्बती महिला को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि उसने अपने घर में दलाई लामा की तस्वीर लगा रखी थी। यह घटना दलाई लामा के जन्मदिन से पहले उनके प्रति समर्पण और उनसे लगाव जाहिर करने वालों के खिलाफ की कार्रवाई का हिस्सा थी।
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ल्हासा में हफ्ते भर पहले ही बढ़ा दी गई थीं पाबंदियां-रिपोर्ट
इससे पहले लंदन स्थित एक संगठन फ्री तिब्बत ने कहा था कि चीन की सरकार ने दलाई लामा के 87वें जन्मदिन से पहले ल्हासा में पाबंदियां बढ़ा दी हैं। वहां जोखांग मंदिर, पोटाला पैलेस और तीन भिक्षु विश्वविद्यालयों के आसपास चेकपोस्ट स्थापित कर दिए गए हैं। इसके अलावा चीन की सरकार की ओर से तिब्बितयों की फोन की जांच , उनके ठिकानों की जांच भी शुरू कर दी गई थी।