30000 खर्च करके मजदूर पहुंचा घर, कोरोना टेस्ट निगेटिव होने के बाद भी पत्नी ने बाहर ही रोक दिया
नई दिल्ली। कोरोना संकटकाल में लॉकडाउन के चलते तमाम मजदूरों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे मजदूर अपने घर पहुंचने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। त्रिपुरा के अगरतला में रहने वाले गोबिंद देबनाथ ने अपने घर पहुंचने के लिए 30 हजार रुपए खर्च कर दिए, लेकिन जब वह घर पहुंचे तो उन्हें घरवालों ने घर में आने की अनुमति नहीं दी। गोबिंद कार किराए पर लेकर अपने घर पहुंचे थे, लेकिन घरवालों ने कोरोना टेस्ट निगेटिव आने के बाद भी युवक को घर में नहीं आने दिया।
पत्नी ने दूर रहने को कहा
गोबिंद ने बताया कि मेरी पत्नी और बच्चे मुझसे घर से दूर जाने को कह रहे हैं, अब मैं क्या कह सकता हूं। गोबिंद अपनी पत्नी माम्पी देबनाथ, बेटी और ससुराल वालों के साथ अपनी सास भानू दास के घर में रहते हैं, यह घर उन्हें गरीब योजना के तहत मिला था। मार्च माह में जब अचानक से देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया गया था तो गोबिंद अपने साले के घर असम के सिलपर्थर गए थे। गोबिंद के साथ उनके ससुर भी गए थे, लेकिन वह वापस उसके साथ नहीं लौटे।
कोरोना टेस्ट निगेटिव
काफी दिनों तक लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार करते-करते जब गोबिंद थक गए तो उन्होंने फैसला लिया कि वह त्रिपुरा पहुंचने के लिए गाड़ी को भाड़े पर लेंगे। सबसे पहले उन्हें कोरोना वायरस का टेस्ट कराना था, जिसके बाद उन्हें चुरीबाड़ी में क्वारेंटीन में भेज दिया गया। कोरोना टेस्ट निगेटिव आने के बाद गोबिंद को पुलिस ने स्कॉर्ट करके उन्हे जॉयनगर कॉम्पलेक्स जहां उनका घर है, यहां उनका स्वागत किया गया है।
पत्नी ने बताई वजह
देबनाथ का कहना का कहना है कि उस वक्त उनकी पत्नी पड़ोसियों के दबाव में थी। जब मैं घर पहुंचा तो मेरी पत्नी नहीं चाहती थी कि मैं वापस जाऊं, मेरी बेटी रो रही थी, मुझे समझ नहीं आ रहा क्या करूं। वहीं देबनाथ की पत्नी का कहना है कि वह अपनी बीमार मां और बेटी की सुरक्षा करना चाहती है। पत्नी ने बताया कि मेरे पति असम गए थे, मैंने उनसे कहा था कि वह वापस ना आए, लेकिन वह नहीं माने। मैं अपनी मां के फ्लैट में रहती हूं, मैं कैसे उन्हें यहां रहने की इजाजत दे सकती हूं। मेरी एक बेटी है, बीमार मां हैं। उनका हाल ही में एक ऑपरेशन हुआ है। मैं पति को 14 दिन के लिए फ्लैट में नहीं रख सकती हूं। इन्हें क्वारेंटीन सेंटर ले जाइए, वहां 14 दिन रहने के बाद वह वापस आ सकते हैं।
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