दादासाहेब पुरस्कार से सम्मानित फिल्ममेकर मृणाल सेन का 95 साल की उम्र में निधन
नई दिल्ली। जानेमाने फिल्म निर्माता मृणाल सेन का 95 वर्ष की आयु में आज निधन हो गया। मृणाल सेन को उनके जबरदस्त काम के लिए वर्ष 2005 मे पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया था इसके साथ ही उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। मृणाल सेन ने अपनी पहली फिल्म वर्ष 1955 में रातभोर बनाई थी। फिल्म नील आकाशेर नीचे ने मृणाल सेन को काफी ख्याति दिलाई थी। फिल्म बाइशे श्रावण की वजह से मणाल सेन को दुनियाभर में पहचान मिली थी।
मृणाल सेना का जन्म 14 मई 1923 को फरीदपुर नाम के शहर में हुआ था। फरीदपुर अब बांग्लादेश में है। उन्होंने अधिकतर फिल्में बांग्ला भाषा में बनाई थी। मृणाल सेन ने अपनी आखिरी फिल्म 80 वर्ष की आयु में बनाई थी, जिसका नाम आमार भुवन था। वर्ष 1998 और 2003 में कम्युनिष्ट पार्टी की ओर से वह राज्यसभा के सदस्य भी निर्वाचित किए गए थे। वर्ष 2000 में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने उन्हें ऑर्डर ऑफ फ्रैंडशिप सम्मान से सम्मानित किया था।
मृणाल सेन को कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म प्रतियोगिताओं में बतौर जज भूमिका निभाई, वह कांस को अपना दूसरा घर बताते थे। मृणाल सेन का विवाद गीता सेन से हुआ था। उनके बेटे का नाम कुणाल है जोकि इंसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका में चीफ टेक्निकल डेवलपमेंट ऑफिसर हैं। बहुत कम लोगों को पता था कि फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की पहली फिल्म मृगया का भी निर्देशन मृणाल सेन ने किया था। इस फिल्म में बेहतरीन अदाकारी के लिए मिथुन को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था। मृणाल सेन को भी इस फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। मृणाल सेन को तकरीबन 20 नेशनल अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।
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