रेलवे गनमैन परीक्षा में हिस्सा लेंगे 1 करोड़ से अधिक बेरोजगार पोस्ट ग्रेजुएट और इंजीनियर्स
नई दिल्ली। देश का एक तबका बेरोजगारी कम होने के दावा करता है तो दूसरा उसकी कमी निकालने पर तुला रहता है। लेकिन आज हम आपको सरकारी जॉब खासकर रेलवे से जुड़ी एक सच्चा बताएंगे कि आखिर यहां पर वैकेंसी का क्या हाल है। 62,907 रिक्तियों को भरने के लिए 17 सितंबर को 1.9 करोड़ आवेदक रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) लेवल 1 परीक्षा के लिए उपस्थित होंगे। अब आप आंकड़ा निकाल सकते हो कि देश में सरकारी नौकारी का क्या हाल है। इस भर्ती की बात करें तो यहां पर एक वैकेंसी के लिए 302 आवेदक लाइन में हैं। जबकि ये रेलवे की सबसे नीचले स्तर जिसको गनमैन कहा जाता है के लिए भर्ती हो रही है। जिसमें गेटमैन, पॉइंटमैन, इलेक्ट्रिकल , मैकेनिकल, इंजीनियरिंग, सिग्नल, दूरसंचार, पोर्टर इत्यादि में सहायक शामिल हैं। इसके लिए निम्ननतम योग्यता कक्षा 10वीं पास होना है। या फिर किसी प्रमाणिक संस्था से अपरेंटिसशिप प्रमाण होना जरूरी है।
एमए-बीए के साथ इंजीनियरिंग वाले भी किए हैं आवेदन
आरआरबी की इस भर्ती के लिए सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इसके लिए 10वीं पास तो दूरा की बात है। इस बार की परीक्षा के लिए स्नातक, स्नातकोत्तर के साथ-साथ इंजीनियरों ने भी आवेदन किया है। सूत्रों की माने तो बाकियों की तादात में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। मतलब रेलवे के सबसे निचले स्तर का नौकरी पाने के लिए ओवर क्वालिफाइडों की संख्या बढ़ गई है। बता दें कि आरआरबी ने 31 अगस्त को 1.27 लाख पदों की परीक्षा भी आयोजित की थी जिसके लिए 2.35 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। इस भर्ती में भी ओवर क्वालिफाइड उम्मीदवारों की संख्या सबसे ज्यादा थी।
विश्लेषक बोले रोजगार संकट का स्पष्ट संकेत है
निचले स्तर की नौकरियों के लिए इतनी संख्या में ओवर क्वालिफाइड आवेदक देखने को मिले है कि स्वतंत्र विश्लेषक भी हैरान रह गए हैं। विश्लेषकों ने तो यहां तक कह दिया है कि यह भारत में रोजगार संकट का स्पष्ट संकेत है। जहां योग्य लोगों के लिए नौकरियों की कमी है। तो कुछ विश्लेषकों ने इसे सरकार की नीतियों को दोषी ठहराया है। कुछ ने कहा है कि देश में दिन पर दिन बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। पढ़ा लिखा व्यक्ति भी रेलवे में गनमैन की नौकरी करने के लिए मजबूर है।
सरकार का दावा हमने नौकरी दिया
इधर केंद्र में बैठी मोदी सरकार लगातार दावे करती जा रही है कि उसके आने के बाद से देश में बेरोजगारी दर घटी है। सरकार ने कहा कि सितंबर 2017 और फरवरी 2018 के बीच 31.1 लाख नई नौकरियां मिली है। जबकि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) जैसे शोधकर्ताओं ने कहा कि यह आंकड़ा 18 लाख के करीब था। बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार में बेरोजगारी सबसे बड़ा एजेंडा था। बीजेपी ने इसे संकट करार दिया था। लेकिन स्थिति अब भी वैसे ही बनी हुई है।
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