डबल म्यूटेंट वेरिएंट के खिलाफ कारगर होगी वैक्सीन लेकिन बना रहेगा यह खतरा- स्टडी
नई दिल्ली, 11 मई। भारत में कहर बरपा रहा कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट वेरिएंट बी.1.617 इस समय पूरी दुनिया में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता की वजह बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को वैश्विक इसे सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लिए चिंता करने वाला वेरिएंट कहा था। इस वायरस के चलते मचे हाहाकार के बीच एक ब्रिटेन और भारत के वैज्ञानिकों के शोध परिणामों ने उम्मीद की किरण जगाई है। स्टडी में पाया गया है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन इस वेरिएंट पर असरदार होगी।
स्टडी के मुताबिक जिन लोगों ने कोरोना वायरस वैक्सीन ली है उनके अंदर भी संक्रमण का खतरा बना रहेगा लेकिन वैक्सीन के चलते एक उन्नत एंटीबॉडी विकसित होगी जो बीमारी की गंभीरता को कम करेगी।
संक्रमण
का
बना
रहेगा
खतरा
कैंब्रिज
यूनिवर्सिटी,
राष्ट्रीय
रोग
नियंत्र
केंद्र
नई
दिल्ली
और
सीआईएसआर
के
जीनोमिकी
और
समवेत
जीव
विज्ञान
संस्थान
(आईजीआईबी)
के
वैज्ञानिकों
ने
कोविड-19
की
शुरुआत
और
वैक्सीन
से
बनी
एंटीबॉडी
के
प्रति
इसकी
संवेदनशीलता
पर
किए
गए
अध्ययन
में
पाया
है
कि
'वैक्सीन
लेने
वाले
लोग
बी.1.617
वेरिएंट
से
संक्रमित
हो
सकते
हैं
लेकिन
उन्हें
गंभीर
बीमारी
नहीं
होगी।'
स्टडी में कहा गया है कि बी.1.617 वेरिएंट के दो म्यूटेशन एल452आर, ई484क्यू और पी618आर में वैक्सीन से विकसित एंटीबॉडी को बेअसर करने की मामूली दक्षता है। वहीं डबल म्यूटेंट कहे जाने को लेकर शोध में कहा गया है कि दोनों म्यूटेशन एल452आर और ई484क्यू मिलकर अकेले म्यूटेशन से अधिक खतरनाक नहीं है।
कम
होगी
बीमारी
की
गंभीरता
आईजीआईबी
के
निदेशक
अनुराग
अग्रवाल
ने
कहा
कि
अध्ययन
के
मुताबिक
टीका
लगवाने
वालों
में
उच्च
संक्रमण,
लक्षण
होंगे
लेकिन
इसकी
गंभीरता
कम
होगी।
कोरोना वायरस को सीजनल फ्लू में बदल देंगे वेरिएंट्स, हमेशा रहेगा साथ, कनाडा के वैज्ञानिकों का दावा
अध्ययन में यह पाया गया है कि कोवैक्सीन को बेअसर करने में बी.1.617 वेरिएंट बहुत मामूली ही सफल हो पाया है। इसमें उन हेल्थ वर्कर में टीका पूरी तरफ सफल पाया है जिन्होंने टीके की दोनों डोज ली थी।