CoronaVirus से क्या भारत में भी थम जाएगी ऑटो इंडस्ट्री की रफ्तार? जानें उपभोक्ता पर क्या होगा असर
CoronaVirus will slow down auto industry in India, know what will be the impact on the consumer. CoronaVirus से भारत में भी थम जाएगी ऑटो इंडस्ट्री की रफ्तार, जानें उपभोक्ता पर क्या होगा असर
बेंगलुरु। चीन में फैले जानलेवा कोरोनावायरस भयावह रुप ले चुका है। हर दिन कोरोना वायरस के मरने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। अभी तक यहां वायरस से 908 लोगों की मौत चुकी हैं जबकि 40,171 लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं। कोरोना वायरस का असर केवल चीन ही नहीं दुनिया भर पर पड़ना शुरु हो चुका है और भारत भी इस त्रासदी का शिकार हो रहा है।
दरसअल, कोरोना वायरस के संक्रमण से उद्योग जगत भी प्रभावित होने लगा है। नोएडा में आयोजित आटो एक्सपो में जहां बड़ी-बड़ी आटोमोबाइल कंपनियां अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए बढ़-चढ़ कर पेश कर रही लेकिन उनकी चिंता हैं कि जिन कारों और वाहनों का प्रचार कर रही है वो कल ग्रहकों की मांग पर उपलब्ध करा पाएंगे भी या नही?
ऑटोमोबाइल सेक्टर पर फिर संकट के बादल
आटो एक्सपो में मौजूद कंपनियां भले ही सच्चाई झुठला कर अपने प्रोडक्ट्स को ग्लैमराइज कर पेश कर रही हैं लेकिन उन्हें डर है कि जब अगर उन्हें सामान नहीं मिलेगा, तो प्रोडक्शन कहां और कैसे वो ग्राहकों को उपलब्ध करवाएंगे। साफ दिख रहा है कि 2019 में भारी मंदी के दौर से गुजर चुकी भारतीय ऑटो इंडस्ट्री इस साल कोरोना की चपेट में नजर आ रही है। जानिए किस तरह कोरोना वायरस से प्रभावित हो रही आटो मोबाइल कंपनियां और क्या इससे थम जाएगी ऑटोमोबाइल सेक्टर की रफ्तार?
हुंडई कंपनी के प्लांट पर लग चुका है ताला
बता दें चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण से औद्योगिक उत्पादन पर असर पड़ने के कारण वाहनों के कल-पुर्जों की कमी होने लगी। दुनिया में सर्वाधिक उत्पादन क्षमता वाला साउथ कोरिया की हुंडई कंपनी ने शुक्रवार को अपने उल्सान कॉम्पलेक्स स्थित कार प्लांट को बंद कर दिया। इस संयंत्र की क्षमता सालाना 14 लाख वाहन बनाने की है। यह संयंत्र समुद्री तट पर स्थित है। इससे यह आसानी से कल-पुर्जों का आयात और तैयार वाहनों का निर्यात कर पाता है। पार्ट्स चीन से आते हैं और इसकी वजह से हुंडेई को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। गौरतलब है कि चीन ने कोरोना वायरस के संक्रमण को और फैलने से रोकने के लिए कारखानों को बंद करने का आदेश दिया है। इस कारण चीन में निर्मित कल-पुर्जों पर निर्भर उद्योगों के लिए परिचालन जारी रख पाना मुश्किल होने लगा है। इस खबर के बाद भारत की आटो मोबाइल इंडस्ट्री की चिंता और बढ़ गयी है।
वेंडर पर निर्भर है कार/बाइक इंडस्ट्री
बता दें भारत में बनायी जाने वाली अधिकांश कारों के सारे पाट्रर्स वो स्वयं नही बनाते हैं वो दूसरी कंपनियों से उसे खरीदते हैं। यहां जब कार/बाइक ऑटो मोबाइल कंपनी अपना प्लांट लगाती है, तो वह प्रोडक्शन के सारे काम ख़ुद नहीं करती, बल्कि बहुत से पार्ट्स वह अपने वेंडर से लेती है। यही वजह है जब एक प्लांट बनता है तो उसके आसपास बहुत सारे वेंडर भी अपनी यूनिट लगा लेते हैं। ये वेंडर ऐसे होते हैं, जो बहुत से पार्ट्स आयात करके स्थानीय कंपनियों को सप्लाई करते हैं।
चीन से आयात होकर आते हैं कल पुर्जे
बता दें इनमें से अधिकांश कंपनियों में कल पुर्जों का आयात चीन ही करता है। लेकिन, चीन के कोरोना के चंगुल में फंस जाने के कारण वेंडरों की आयात प्रक्रिया पर दिक्कतें आनी शुरू हो गई हैं। हालांकि, ईको सिस्टम के तहत वेंडर एक-डेढ़ महीने का स्टॉक एडवांस में लेकर चलते हैं, लेकिन जैसे ही यह सिस्टम बिगड़ता है, वेंडर यूनिटों के साथ कार/बाइक निर्माता कंपनियों की परेशानियां भी बढ़नी शुरू हो जाती हैं। चूंकि, जिन कंपनियों का लोकलाइजेशन सबसे कम होता है, सबसे ज्यादा परेशानी उसी को होती है। यही वजह है कि चाइना की कंपनी एमजी जो कि ब्रिटिश में हैं उसने पहले ही आगाह कर दिया है कि आने वाले वक्त में गाड़ियों की डिलीवरी में थोड़ा वक्त लग सकता है। ऑटो एक्सपो में एमजी ने अपनी बड़ी एसयूवी ग्लोस्टर को भी दिखाया है, साथ ही हेक्टर प्लस को भी अनवील किया है।
भारत की कंपनियां कोरोना के प्रभाव से बचने के लिए कर रही ये उपाय
भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं होने का दावा कर रही है। भारत की यह कंपनी अधिकांशत: स्थानीय कंपनियों कल-पुर्जो पर निर्भर है वो उन्हीं का इस्तेमाल करती हैं। मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड के अधिकारी की माने तो कोरोना की चपेट में मारुति सुजुकी कंपनी के कुछ वेंडर भी आए हैं, लेकिन कंपनी उनके वैकल्पिक व्यवस्था के साथ तैयार हैं। ह्युंदई, एमजी, टोयोटा, फोर्ड, होंडा, टाटा, महिंद्रा के साथ देश की सभी कंपनियां मौजूदा परिस्थिति पर काफी करीब से नजर रखकर समाधान की रणनीति बनाने में जुटी हैं।
चीन से आयात होने वाले गाड़ियों के प्रमुख पार्ट्स
गौरतलब है कि भारत में बनने वाली गाडियों के लिए चीन से पार्ट्स सर्वाधिक आयात होते हैं, उनमें आर्मरेस्ट, इलेक्टिकल, सीट कंपोनेंट, गियरबॉक्स के कुछ पुर्जे व वायरिंग प्रमुख हैं। इसके अलावा कई भारतीय कंपनियों ने चीन की कंपनियों के साथ बड़े पैमाने पर च्वाइंट वेंचर भी कायम कर रखा है, जिसके तहत ये सीट, विंडशील्ड व ग्लास के बहुत सारे पार्ट्स आयात करते हैं। जैसे ही यह सिस्टम थोड़े दिन के लिए और रुका, इसका असर कंपनियों के असेंबली लाइन पर दिखना शुरू हो जाएगा। आपको बता दें हुडई की कार बनाने की स्पीड सबसे ज्यादा मानी जाती है, लेकिन अगर इनती बड़ी कंपनी को चीन से पार्ट्स सप्लाई नही होने के कारण इतना बड़ा एक प्लांट बंद करना पड़ा तो भारत की जो कंपनियां है उन्हें भी कोई पार्ट समय पर नहीं मिला तो कंपनी के लिए बहुत ही खराब साबित हो सकता है ।
ग्राहकों पर पड़ेगा ये असर
अब कोराना वायरस से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री प्रभावित होने से ग्राहकों पर भी असर पड़ सकता हैं। अगर जल्द ही चीन में कोरोना पर नियंत्रण नहीं होता तो समस्या उन ग्राहकों को, जो गाड़ी बुक कर चुके हैं या बहुत जल्द खरीदने की योजना बना रहे हैं, उन्हें गाड़ी की डिलीवरी लेने में लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। यह उन ग्राहकों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बनेगा, जिन्होंने बड़े डिस्काउंट के इंतजार में अब तक गाड़ी नहीं खरीदी है।
वैश्विक विनिर्माण में करीब 20 फीसदी है चीन की हिस्सेदारी
मूडीज एनालिटिक्स के मुख्य अर्थशास्त्री मार्क जांडी ने मीडिया को बताया है कि चीन वैश्विक विनिर्माण आपूर्ति शृंखला का अभिन्न हिस्सा बन चुका है और उसकी वैश्विक विनिर्माण में करीब 20 फीसदी की हिस्सेदारी है। चीन में कारखाने बंद होने से सबसे पहले उसके पड़ोसी देश ताईवान और वियतनाम तथा उसके बाद मलेशिया और दक्षिण कोरिया प्रभावित होंगे। आपूर्ति शृंखला की कड़ियां लंबी होने के कारण अमेरिका और भारत समेत विश्व के अन्य हिस्सों में इसका असर दिखने में कुछ समय लग सकता है।
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