कोरोना लॉकडाउन: बच्चे को कंधे पर बैठा दिल्ली से बुंदेलखंड का सफर करने वाला मजदूर
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 25 मार्च से 21 दिन का लॉकडाउन लागू किया था। जिसे 14 अप्रैल को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया। लॉकडाउन लगाए जाने के बाद इसका कई संस्थानों और कई लोगों के रोजगार पर बुरा असर पड़ा लेकिन सबसे खराब असर हुआ प्रवासी मजदूरों पर। लॉकडाउन लगने और इसकी जल्दी खत्म ना होने की उम्मीद में हजारों मजदूरों ने 25 मार्च के बाद देश में एक राज्य से दूसरे राज्य में सफर किया है। खासतौर से मुंबई, दिल्ली, सूरत जैसी जगहों से हजारों मजदूर पैदल ही उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के लिए निकल गए। ऐसे ही दिहाड़ी मजदूर दयाराम कुशवाहा और उनका पत्नी ज्ञानवती हैं।
दिल्ली से पैदल मध्य प्रदेश का सफर
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन लागू पर दयाराम कुशवाहा और उनका पत्नी ज्ञानवती पैदल ही दिल्ली से मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के लिए निकल गए। दयाराम का पांच साल का बेटा चल नहीं पाया तो उसने उसे कंधे पर बैठा लिया। दयाराम बताते हैं कि वो दिल्ली में ईंट ढोने का काम करते थे। कंस्ट्रक्शन साइट के पास ही रहते थे। काम रुक जाने के बाद वो घर लौटे क्योंकि ना तो उनके पास खाने को पैसे हैं और ना ही कमरे का किराया देने को। ऐसे में उन्होंने दिल्ली से मध्य प्रदेश में अपने गांव का 300 मील का सफर तय करने का फैसला किया है।
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वहां कम से कम घर तो है
दयाराम के परिवार के साथ करीब 50 लोग दिल्ली से गए। सभी के पास खाने को जो था वो पहले दिन ही खत्म हो गया। वहीं पुलिस भी उन्हें रोकती थी। हालांकि पुलिस उन्हें सिर्फ दूर-दूर चलने की बात ही कहती थी। दयाराम का कहना है कि वो अपने माता-पिता और परिवार को पीछे छोड़ दिल्ली गए थे। गांव में गुजारे का साधन नहीं था इसलिए कुछ पैसे उनके लिए भेजते थे। अब खुद आ गए लेकिन एक सुकून है कि कम से कम इस मुश्किल वक्त में अपने परिवार के साथ तो रहेंगे। दयाराम का कहना है कि बड़े लोगों के लिए बहुत से इंतजाम हो जाते हैं लेकिन हमें तो कचरा समझा जाता है, कोई ना हमारी सुनता है और ना मुश्किल समझता है।
14 मई में लॉकडाउन बढ़ने के बाद फिर परेशान दिखे मजदूर
लॉकडाउन बढ़ने के बाद जहां बड़ी संख्या में मजदूर गांवों की ओर चल दिए थे तो वहीं 14 अप्रैल में इसके फिर से बढ़ाए जाने पर भी बहुत से मजदूर गांवों को गए हैं। वहीं बहुत से मजदूर रेलवे स्टशनों और बस स्टेशनों पर भी इकट्ठा दिखे। मुंबई, दिल्ली, सूरत में हजारों मजदूरों ने घरों को भेजने के लिए प्रदर्शन किया।