प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए की बड़ी भविष्यवाणी, गुजरात और हिमाचल चुनाव में ऐसे रहेंगे परिणाम
नई दिल्ली, 20 मई: चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इस साल होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर अभी से बहुत बड़ी भविष्यवाणी कर दी है। उन्होंने जो ट्वीट किया है, उसका इशारा साफ तौर पर ये है कि कांग्रेस नेतृत्व भी मानकर चल रहा है कि इन दोनों राज्यों में उसकी हार लगभग निश्चित है। उनके मुताबिक उदयपुर में हाल में हुए चिंतिन शिविर से कांग्रेस के किसी भी समस्या का समाधान नहीं निकला है, सिर्फ ये हुआ है कि पार्टी आलाकमान को यथास्थिति बनाए रखने के लिए थोड़ी मोहलत मिल गई है।
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चिंतिन
शिविर
से
कांग्रेस
को
थोड़ा
और
वक्त
मिल
गया-प्रशांत
किशोर
कांग्रेस
ने
पिछले
दिनों
ही
उदयपुर
में
एक
हाईप्रोफाइल
चिंतन
शिविर
आयोजित
की
है।
यह
शिविर
चुनावी
रणनीतिकार
प्रशांत
किशोर
के
साथ
उसकी
हो
रही
डील
टूटने
के
बाद
आयोजित
की
गई।
अब
पीके
ने
कांग्रेस
के
इस
मंथन
और
उसके
चुनावी
भविष्य
को
लेकर
एक
ट्वीट
किया
है,
जो
बहुत
ही
धमाकेदार
है।
प्रशांत
किशोर
ने
अब
इस
चिंतन
शिविर
को
लेकर
कहा
है
कि
यह
हर
मोर्चे
पर
नाकाम
रहा।
उनके
मुताबिक
इससे
पार्टी
आलाकमान
को
सिर्फ
थोड़ा
वक्त
मिल
गया
है।
लेकिन,
इसके
साथ
ही
उन्होंने
इसी
साल
के
आखिर
में
होने
वाले
हिमाचल
प्रदेश
और
गुजरात
विधानसभा
चुनाव
को
लेकर
कांग्रेस
के
लिए
जो
भविष्यवाणी
की
है,
वह
चौंकाने
वाला
है।
'गुजरात
और
हिमाचल
प्रदेश
में
आसन्न
चुनावी
हार'
ट्विटर
पर
अपनी
पोस्ट
में
चुनाव
रणनीतिकार
किशोर
ने
लिखा
है,
'मुझसे
बार-बार
उदयपुर
चिंतन
शिविर
के
परिणाम
को
लेकर
टिप्पणी
करने
को
कहा
जा
रहा
है।
मेरी
नजर
में
यह
यथास्थिति
को
थोड़ा
लंबा
खींचने
के
अलावा
कुछ
भी
सार्थक
हासिल
करने
में
नाकाम
रहा
है।
इससे
कांग्रेस
नेतृत्व
को
थोड़ा
समय
जरूर
मिल
गया
है,
कम
से
कम
गुजरात
और
हिमाचल
प्रदेश
में
आसन्न
चुनावी
हार
तक
के
लिए!
'
लंबे
समय
से
चुनावी
हार
का
सामना
कर
रही
है
कांग्रेस
कांग्रेस
को
2018
में
राजस्थान,
छत्तीसगढ़
और
मध्य
प्रदेश
में
मिली
चुनावी
सफलता
के
अलावा
2014
की
मोदी
लहर
के
बाद
से
लगातार
नाकामियों
का
सामना
करना
पड़ा
है।
इसी
संकट
से
उबरने
के
लिए
पार्टी
ने
लंबे
समय
बाद
राजस्थान
के
उदयपुर
में
तीन
दिवसीय
चिंतिन
शिवर
का
आयोजन
किया
था।
हालांकि,
इसमें
कोई
बड़ा
फैसला
जमीन
पर
नजर
नहीं
आया
है
और
सबसे
बड़े
सवाल
से
कांग्रेस
जो
पिछले
ढाई
साल
से
जूझ
रही
है,
उस
नेतृत्व
को
लेकर
कोई
अंतिम
निर्णय
नहीं
हो
पाया
है।
कांग्रेस
के
साथ
प्रशांत
किशोर
की
डील
टूट
चुकी
है
पार्टी
ने
अपने
राजनीतिक
संकट
को
दूर
करने
के
लिए
पेशेवर
चुनावी
रणनीतिकार
प्रशांत
किशोर
की
एक
साल
में
दो-दो
बार
सेवाएं
लीं,
लेकिन
कुछ
न
कुछ
दिक्कत
रही
कि
पीके
जैसे
चतुर
चुनावी
खिलाड़ी
को
भी
बातचीत
से
पीछे
हट
जाना
पड़ा।
बताया
गया
कि
किशोर
को
साथ
में
काम
करने
के
लिए
जिस
तरह
का
ऑफर
दिया
जा
रहा
था,
वह
उसके
लिए
तैयार
नहीं
हुए।
बिहार
में
अपना
भविष्य
तलाशने
में
लग
चुके
हैं
पीके
जब
कांग्रेस
के
साथ
डील
पक्की
नहीं
हो
पाई
तो
पीके
ने
बिहार
के
पश्चिम
चंपारण
से
2
अक्टूबर
को
गांधी
जयंती
के
मौके
पर
3,000
किलो
मीटर
की
पद
यात्रा
का
ऐलान
किया
है।
हालांकि,
पीके
ने
साफ
किया
है
कि
वह
अभी
कोई
खुद
की
पार्टी
नहीं
बना
रहे
हैं,
लेकिन
उनके
मुताबिक
बिहार
में
नई
व्यवस्था
की
आवश्यकता
है
और
कहा
है
कि
इसके
लिए
अकेले
चुनाव
लड़ने
की
जरूरत
नहीं
है।
जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो भारी-भरकम चिंतन शिविर के बाद उसे चुनावी राज्य गुजरात समेत पंजाब में भी जोर का झटका लग चुका है। बुधवार को गुजरात के पाटीदार नेता और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने पार्टी को टाटा कह दिया तो गुरुवार को पंजाब के दिग्गज कांग्रेसी सुनील जाखड़ ने बीजेपी का झंडा थाम लिया। इन सभी नेताओं ने घुमा-फिराकर कांग्रेस नेतृत्व की क्षमता पर ही सवाल खड़े किए हैं।
I’ve been repeatedly asked to comment on the outcome of #UdaipurChintanShivir
In my view, it failed to achieve anything meaningful other than prolonging the status-quo and giving some time to the #Congress leadership, at least till the impending electoral rout in Gujarat and HP!
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 20, 2022