कर्नाटक विधानसभा चुनाव: खड़गे बोले, जब PM मोदी दो सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं तो सिद्धारमैया क्यों नहीं?
नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा कि, 12 मई को होने वाले विधानसभा चुनावों में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया दो सीटों से से इलेक्शन लड़ रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? उन्होंने विश्वास जताया कि वह दोनों सीटों से चुनाव जीत जाएंगे। सिद्धारमैया का पक्ष लेते हुए खड़गे ने कहा कि, पीएम नरेंद्र मोदी 2014 के लोकसभा चुनावों में दो जगह यूपी के वाराणसी और गुजरात के वडोदरा से चुनाव लड़े थे। तो सिद्धारमैया के ऐसा करने से क्यों फर्क पड़ने लगा।
बदामी के लोग चाहते हैं कि वह वहां से भी चुनाव लड़ें
खड़गे ने कहा कि, कुछ मीडिया रिपोर्ट में आशंका जताई गई थी कि चामुंडेश्वरी से सिद्धारमैया के चुनाव जीतने पर संदेह है। खड़गे ने कहा कि यह भाजपा का प्रपोगंडा है और यह हाईकमान का फैसला है, जिसे उन्होंने स्वीकार किया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री मंगलवार को उत्तरी कर्नाटक में बदामी से अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं। खड़गे ने कहा, 'वह (दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव) लड़ सकते हैं। इसमें क्या गलत है? यह हाई कमान का फैसला है। बदामी के लोग चाहते हैं कि वह वहां से भी चुनाव लड़ें।'
भाजपा झूठ फैलाने में माहिर है
खड़गे ने कहा, 'क्या मोदी दो निर्वाचन क्षेत्रों से नहीं लड़े थे? क्या तब कोई सवाल उठा था।' सिद्धारमैया ने चामुंडेश्वरी सीट से नामांकन दाखिल कर दिया। उन्होंने कहा कि, बगलकोटे और विजयपुर के पार्टी नेता दवाब बना रहे हैं कि वह बदामी सीट से चुनाव लड़ें। लेकिन उन्होंने इसका फैसला हाई कमान पर छोड़ दिया था। खड़गे ने कहा कि, यह भाजपा का प्रापोगेंडा है, वह इसमें माहिर हैं, झूठा प्रचार करना उनकी जॉब है। उन्होंने कहा कि परिस्थितियों ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री को दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया है।
बादामी सीएम सिद्धारमैया के सुरक्षित विकल्प है
बादामी में कुरुबा समुदाय की मजबूत उपस्थिति है, जिससे खुद सीएम सिद्धारमैया आते हैं। बादामी निर्वाचन क्षेत्र को उनके लिए एक सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि रिपोर्टों के मुताबिक चामुंडेश्वरी सीट पर मुख्यमंत्री को जीतने की के लिए काफी मेहनत करनी पड़ सकती है। सिद्धारमैया को चामुंडेश्वरी में दो बार के विधानसभा चुनाव में शिकस्त झेलनी पड़ी थी। वह पांच बार वहां से चुनाव जीते हैं लेकिन अंतिम बार जीत का अंतर मात्र 256 वोट का ही था। वह 2008 से मैसुर के वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से जनता का प्रतिनिधित्व करते आए हैं। लेकिन अबकी बार वहां से उनके बेटे यतींद्र को पार्टी ने टिकट दिया है।
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