दिग्गी राजा का बड़ा बयान, कहा- पर्दे के पीछे से राहुल का कंट्रोल असंतुष्टों को नहीं पचा इसलिए फूटा लेटर बम
नई दिल्ली। सोमवार को कांग्रेस पार्टी में नये नेतृत्व की तलाश को लेकर कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में जमकर बवाल मचा, आरोप-प्रत्यारोप के बीच ट्विटर पर भी नेताओं ने काफी सफाई दी, बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पत्र लिखकर पार्टी में शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक में बदलाव की मांग की थी। अनुमान लगाया जा रहा था कि पार्टी में नेतृत्व में बदलाव को लेकर कोई फैसला कर सकती है लेकिन शाम होते-होते घोषणा की गई कि सोनिया गांधी अंतरिम पार्टी प्रमुख बनी रहेंगी, जब तक एक नया अध्यक्ष नहीं चुना जाता है और अगली बैठक छह महीने बाद बुलाई जाएगी।
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'पर्दे के पीछे से राहुल का कंट्रोल असंतुष्टों को नहीं पचा'
बैठक के इस हंगामे के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने मीडिया में बड़ा बयान दिया है, एबीपी न्यूज चैनल से बात करते हुए दिग्गी राजा ने कहा कि जिस किसी को भी कोई दिक्कत थी तो उन्हें खुलकर सामने आकर बात करने की जरूरत थी, ना कि चिठ्ठी लिखकर शिकायत करने की आवश्यकता थी। इससे साफ है कि ये सभी लोग कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को चुनौती देना चाह रहे थे, मैं असंतुष्ट लोगों की इस बात से एकदम इत्तफाक नहीं रखता कि उन्हें सोनिया गांधी या राहुल गांधी समय नहीं देते।
'गांधी परिवार में ही कांग्रेस को जोड़ेने की शक्ति'
दिग्विजय सिंह ने कहा है कि पार्टी में जो आज असंतोष है, वो एक दिन में नहीं पनपा है, इसकी शुरुआत उसी दिन से हो गई थीं, जिस दिन सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी थीं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि राहुल गांधी ने पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ दिया था लेकिन पार्टी पर उनका नियंत्रण बना रहा, उनका पर्दे के पीछे से कंट्रोल ही विवाद का कारण है। उन्होंने कहा कि नेहरू-गांधी परिवार ही कांग्रेस को जोड़े रखने की शक्ति है इसलिए अगर सोनिया गांधी पद छोड़ना चाहती हैं तो उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को राजी करना चाहिए और अगर कोई अध्यक्ष बनना चाहता है तो वो इसका चुनाव लड़ ले।
कांग्रेस में लेटर को लेकर मचा बवाल
गौरतलब है कि सोमवार को कांग्रेस पार्टी की बैठक काफी हंगामेदार रही थी। दरअसल सारा बवाल एक चिट्ठी को लेकर हुआ है, दरअसल गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, विवेक तन्खा और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल समेत 23 कांग्रेस नेताओं ने दो हफ्ते पहले चिट्ठी लिखकर कांग्रेस नेतृत्व पर कुछ सवाल उठाए हैं। जिसके बाद सोमवार को हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने चिठ्ठी लिखने वालों पर सवाल खड़े कर दिए।
विरोध, बवाल और फिर ट्विटर पर सफाई
पहले खबर आई कि राहुल गांधी ने पत्र को भाजपा से मिलीभगत बताया है। जिसे लेकर गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेताओं ने विरोध जताया। आजाद ने जहां पार्टी में सभी पदों से इस्तीफे की पेशकश कर दी वहीं कपिल सिब्बल ने एक कदम आगे बढ़ते हुए ट्वीट कर दिया। बाद में सफाई दी गई कि राहुल गांधी ने ऐसा कुछ नहीं कहा है जिसके बाद दोनों नेताओं की नाराजगी शांत हुई। कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद और कुछ सीनियर नेताओं की कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद सोमवार शाम को मुलाकात भी हुई थी, फिलहाल मीटिंग तो खत्म हो गई लेकिन मसला अभी शांत होते नहीं दिख रहा।