प्रणब मुखर्जी की आने वाली किताब पर आपस में भिड़े उनके बेटे-बेटी
'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' के अंश के मुताबिक़ दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद सोनिया गाँधी मनमोहन सिंह सरकार बचाने में व्यस्त हो गए थे.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे और लोकसभा सांसद अभिजीत मुखर्जी ने मंगलवार को अपने पिता के संस्मरण 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' के प्रकाशन को लेकर आपत्ति जताई है.
उन्होंने इस किताब के प्रकाशन से पहले पांडुलिपि देखने की माँग की है. हालांकि प्रणब मुखर्जी की बेटी यानी अभिजीत मुखर्जी की बहन शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने भाई की आपत्ति को नकार दिया है.
शर्मिष्ठा ने कहा कि किताब की पांडुलिपि को उनके पिता ने ज़िंदा रहते फाइनल किया था. शर्मिष्ठा ने कहा कि सस्ती लोकप्रियता के लिए इस किताब को प्रकाशित होने से नहीं रोकना चाहिए.
प्रणब मुखर्जी का इसी साल 31 अगस्त को निधन हो गया था. किताब अगले साल जनवरी में प्रकाशित होने वाली है.
We are delighted to announce the publication of 'The Presidential Years' by #PranabMukherjee.
— Rupa Publications (@Rupa_Books) December 11, 2020
Releasing in January 2021.
'The Presidential Years' gives us a glimpse of President Pranab Mukherjee at his best. pic.twitter.com/zCYRdbKrWk
11 दिसंबर को प्रकाशक रूपा बुक्स ने किताब के कुछ अंश को जारी किया था. इस अंश के मुताबिक़ दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस प्रमुख सोनिया गाँधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार बचाने में व्यस्त हो गए थे ऐसे में कांग्रेस का राजनीतिक फोकस बिखर गया था.
इसके साथ ही किताब के इसी अंश के मुताबिक़ प्रणब मुखर्जी ने नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल को निरंकुश बताया है.
अभिजीत मुखर्जी ने किताब के प्रकाशक रूपा बुक्स और इसके प्रमुख कपिश मेहरा को टैग करते हुए लिखा है, ''मैं संस्मरण 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' के लेखक का बेटा हूं. आपसे अनुरोध है कि किताब का प्रकाशन रोक दीजिए. इसके साथ ही इस किताब के कुछ हिस्सों को भी जारी करना बंद कीजिए जो पहले ही मीडिया को दिया जा चुका है. किताब के अंश को बिना मेरी लिखित सहमति के प्रकाशित किया गया है.''
@kapish_mehra @Rupa_Books
— Abhijit Mukherjee (@ABHIJIT_LS) December 15, 2020
I , the Son of the author of the Memoir " The Presidential Memoirs " request you to kindly stop the publication of the memoir as well as motivated excerpts which is already floating in certain media platforms without my written consent .1/3
बेटे और बेटी भिड़े
अभिजीत मुखर्जी का कहना है कि किताब के जिस हिस्से को मीडिया में जारी किया गया वो राजनीति से प्रेरित है.
अभिजीत मुखर्जी ने रूपा बुक्स को इस मामले में एक औपचारिक पत्र भी भेजा है. इस पत्र में अभिजीत मुखर्जी ने लिखा है, ''मेरे पिता का निधन हो चुका है और मैं उनका बेटा होने के नाते किताब प्रकाशित होने से पहले पूरा टेक्स्ट देखना चाहता हूं. मेरा मानना है कि अगर मेरे पिता ज़िंदा होते तो वो भी ऐसा ही करते. इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि जब तक मैं किताब का पूरा हिस्सा देख न लूं और लिखित सहमति ना दे दूं तब तक नहीं छापें.''
हालाँकि प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने भाई की आपत्ति को ख़ारिज कर दिया है. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट कर कहा, ''किताब के फ़ाइनल ड्राफ़्ट के साथ मेरे पिता का हस्तलिखित नोट भी लगा है. उसमें उन्होंने साफ़ लिखा है कि वो अपनी किताब में शामिल किए गए कॉन्टेंट को लेकर दृढ़ हैं. वो अपनी निजी राय के आधार पर आपत्ति जता रहे हैं और किसी को भी सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए किताब को प्रकाशन से रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. यह मेरे दिवंगत पिता के लिए सबसे बड़ा अनादर होगा.''
I, daughter of the author of the memoir ‘The Presidential Years’, request my brother @ABHIJIT_LS not to create any unnecessary hurdles in publication of the last book written by our father. He completed the manuscript before he fell sick 1/3
— Sharmistha Mukherjee (@Sharmistha_GK) December 15, 2020
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने ट्वीट में भाई अभिजीत मुखर्जी को टैग किया है.
जब कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व कई चुनाव हारने को लेकर अपने भीतर से ही आलोचना का सामना कर रहा है ऐसे में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी की किताब और मुश्किल खड़ी कर सकती है. प्रकाशक की तरफ़ से जारी किए गए किताब के अंश के मुताबिक़ प्रणब मुखर्जी ने 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार के लिए कांग्रेस प्रमुख सोनिया गाँधी और उस वक़्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाए हैं.
प्रणब मुखर्जी ने कहा है, ''कुछ कांग्रेस नेताओं का मानना था कि अगर मैं 2004 में प्रधानमंत्री बनता तो कांग्रेस 2014 में चुनाव नहीं हारती. हालांकि मैं इस मत से सहमत नहीं हूं. मेरा मानना है कि मुझे राष्ट्रपति बनाने के बाद पार्टी नेतृत्व का राजनीति फोकस बिखर गया. सोनिया गाँधी पार्टी को ठीक से हैंडल नहीं कर पा रही थीं. दूसरी तरफ़ मनमोहन सिंह सदन से लंबे समय से ग़ायब रहते थे और सांसदों से उनका संपर्क टूट गया था.''
कांग्रेस की हार का विश्लेषण
2012 में राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी कांग्रेस की लगभग हर सरकार में मंत्री रहे. मुखर्जी ने अपनी किताब में 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का विश्लेषण किया है.
इस किताब में मुखर्जी ने लिखा है, ''मेरा मानना है कि शासन का नैतिक अधिकार प्रधानमंत्री के पास होता है. प्रधानमंत्री की कार्यशैली और शासन का असर पूरे देश पर पड़ता है. लेकिन मनमोहन सिंह गठबंधन बचाने में बिजी रहे और सरकार से पकड़ ढीली होती गई. मोदी सरकार का पहला कार्यकाल निरंकुश शैली में रहा. इसका असर न्यापालिका और विधायिका में भी दिखा.''
प्रणब मुखर्जी कोविड संक्रमित होने का बाद अस्पताल में भर्ती किए गए थे. इसी दौरान उनकी ब्रेन सर्जरी हुई थी लेकिन बचाया नहीं जा सका और 31 अगस्त को 84 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. 2004 में जब सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया था तो उम्मीद की जा रही थी कि वो प्रणब मुखर्जी को पीएम बनाएंगी. लेकिन सोनिया गाँधी ने मनमोहन सिंह को चुनकर चौंका दिया था.
ये वही मनमोहन सिंह थे, जिनका इंदिरा गाँधी के शासनकाल में भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के पद का नियुक्ति पत्र प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री के तौर पर साइन किया था. प्रणब मुखर्जी ने एक ज़माने में उनके अंडर काम करने वाले मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाए जाने का कभी सार्वजनिक तौर पर विरोध नहीं किया. प्रणब ने अपने लगभग 50 वर्षों के राजनीतिक जीवन में प्रधानमंत्री को छोड़ कर हर महत्वपूर्ण पद पर काम किया.
मोदी सरकार ने 2017 में प्रणब मुखर्जी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था.