CJI एनवी रमना बोले- न्याय नहीं मिलने से बढ़ेगी अराजकता, लोकतंत्र में लोगों के अधिकार-गरिमा की रक्षा करना जरूरी
नई दिल्ली, 14 मई: भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना शनिवार को श्रीनगर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए। वे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उच्च न्यायालय के लिए नए परिसर की आधारशिला रखने के लिए यहां आए। इस दौरान उन्होंने कहा कि स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि लोगों के अधिकार और सम्मान की रक्षा की जा सके। लोग ये महसूस करें कि उनके अधिकारों और सम्मान की रक्षा और मान्यता दी गई है।

अनुकुल माहौल बनाने का आग्रह
सीजेआई ने वकीलों और न्यायाधीशों से वादियों के लिए अनुकूल माहौल बनाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि वादी अक्सर मानसिक तनाव में रहते हैं। अपने संबोधन के आगे सीजेआई रमना ने कहा कि न्याय नहीं मिलने से देश में अराजकता बढ़ेगी। इससे खतरा पैदा होगा और उसे अस्थिर कर दिया जाएगा। शांति तभी स्थापित होगी जब लोगों की गरिमा और अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा।
न्याय प्रदान करने का तंत्र बहुत जटिल और महंगा
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भारत में अदालतों के पास अधिकारों के अधिनिर्णय और संविधान की आकांक्षाओं को बनाए रखने का संवैधानिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि कानून के शासन और मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक औपचारिक न्याय प्रणाली की अक्षमता है जो सभी को त्वरित और किफायती न्याय प्रदान करती है। भारत में न्याय प्रदान करने का तंत्र बहुत जटिल और महंगा है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करने के लिए अपने सर्वोत्तम स्तर पर होना चाहिए कि उसके काम करने की चुनौतियों का सामना न्यायिक और संवैधानिक उपायों से किया जा सके।
भाषण की शुरुआत कवि अली जवाद जैदी की कविता से की
सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका को प्रौद्योगिकी से सहायता मिलती रही है। वर्चुअल कोर्ट अब समय, लागत और दूरी को कम कर रहा है। लेकिन भारत जैसे देश में, जहां डिजिटल अबी भी पहुंच से दूर है, इसमें बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। मुख्य न्यायाधीश ने अपने भाषण की शुरुआत कवि अली जवाद जैदी की एक प्रसिद्ध कविता के साथ की।
"मुद्दतों बाद जो आया हूं वादी में"
एक नया हुस्न, नया रंग नज़र आता है''