पैंगोंग झील के पास Optical fibre cable बिछा रहा है चीन, रिपोर्ट में दावा
नई दिल्ली- बताया जा रहा था कि चीन पिछले कुछ दिनों से पैंगोंग झील के आसपास के इलाकों में आक्रामकता कम कर चुका है। लेकिन, अब यह बात सामने आ रही है कि 'चोर चोरी से जाए, हेराफेरी से ना जाए' वाले अंदाज में वह झील के आसपास के इलाकों में ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछा रहा है। यह जानकारी सैटेलाइट तस्वीरों से मिली हैं और इसके बाद अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है। यह खुलासा उस वक्त हुआ है, जब चीन पर भारत में प्रधानमंत्री से लेकर तमाम महत्वपूर्ण लोगों का डिजिटल डेटा चुराने का खुलासा हुआ है।
'पैंगोंग के पास ऑप्टिकल फाइबर बिछा रहा है चीन'
मीडिया रिपोर्ट में एक विदेशी न्यूज एजेंसी के हवाले से दावा किया गया है कि चीन एलएसी पर तैनात अपने जवानों से बेहतर और पूरी तरह से सुरक्षित संवाद कायम करने के लिए पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके में ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछा रहा है। यह न्यूज रिपोर्ट भारत के दो अधिकारियों के हवाले से सामने आई है। इसके मुताबिक चीन की सेना भारत के साथ हिमालय की सीमावर्ती इलाकों में ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क बिछा रहा है। अधिकारियों ने कहा है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए उच्चस्तरीय बातचीत होती रही है,बावजूद चीन की सेना खुदाई करने में लगी हुई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि सीमा पर तैनात चीनी जवानों के लिए सुरक्षित संवाद कायम करने के लिए यह प्रयास चल रहा है और इसे हाल ही में पैंगोंग त्सो झील के दक्षिण में देखा गया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में तत्काल किसी सवाल का जवाब नहीं दिया है और चीनी रक्षा मंत्रालय से फिलहाल कोई संपर्क नहीं हो सका है।
एक तरफ बातचीत, दूसरी तरफ चीन का खतरनाक मंसूबा
रिपोर्ट के मुताबिक झील के दक्षिणी इलाके में करीब 70 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में भारत और चीन के हजारों सैनिक मौजूद हैं, जिनके पीछे टैंक और एयरक्राफ्ट बैकिंग के लिए तैनात हैं। भारत के एक तीसरे अधिकारी ने सोमवार को कहा है कि पिछले हफ्ते दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के मुलाकात के बाद दोनों ओर से सेनाओं में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं की गई है। उन्होंने कहा, 'पहले की तरह तनाव बरकरार है।' उधर लद्दाख के मुख्य शहर लेह में सुबह से ही लड़ाकू विमानों की गूंज सुनाई देने लगती है। पहले अधिकारी ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की ओर इशारा कर बताया कि, 'हमारी सबसे बड़ी चिंता ये है कि उन्होंने हाई-स्पीड कम्युनिकेशन के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाए हैं।' यही वह इलाका है, जहां कई जगहों पर दोनों देशों के जवान एक-दूसरे से कुछ सौ मीटर की ही दूरी पर तैनात हैं। उन्होंने कहा है कि 'दक्षिणी किनारे पर वे खतरनाक गति से ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछा रहे हैं।'
पैंगोंग के उत्तरी किनारे में कर चुका है ऐसी हरकत
दूसरे सरकारा अधिकारी ने बताया है कि भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पैंगोंग त्सो के उत्तर में करीब एक महीने पहले इसी तरह के केबल बिछे होने की बात कही थी। पहले भारतीय अधिकारी ने कहा कि ऊंचाई वाले मरुस्थल में रेत में असामान्य लाइनें सैटेलाइट तस्वीरों में दिखने के बाद इस गतिविधि के बारे में अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के केबल मौजूद होने की बात भारतीय एक्सपर्ट ने भी मानी है और विदेशी खुफिया एजेंसियों ने भी इसमें हामी भरी है कि उन ऊंची चोटियों के पास स्पंगुर गैप के नजदीक भी खाइयों में केबल बिछाई गई हैं, जहां हाल ही में दशकों बाद जवानों ने हवाई फायरिंग की थी। अधिकारियों ने कहा है कि उस तरफ जो इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ी की गई है, वह भी महीनों से जारी इस तनाव का एक बड़ा कारण बन रहा है।
चीन की हर चाल को पकड़ने की जरूरत
भारत के एक पूर्व मिलिट्री इंटेलिजेंस के अधिकारी ने मामले की संवेदनशीलता के मद्देनजर नाम नहीं जाहिर होने देने की शर्त पर कहा कि ऑप्टिकल फाइबर केबल से संचार सुरक्षित होने के साथ-साथ तस्वीरें और दस्तावेज जैसे डाटा भी भेजे जा सकते हैं। उन्होंने कहा लेकिन, 'अगर आप रेडियो पर बोलते हैं तो इसे पकड़ा जा सकता है। ऑप्टिकल फाइबर केबल से संवाद सुरक्षित है।' जबकि, पहले अधिकारी ने कहा कि भारतीय सेना रेडियो संवाद पर निर्भर है, लेकिन इसका पता नहीं लगाया जा सकता।
इसे भी पढ़ें- LAC पर PLA की आक्रामकता में कमी स्थाई है या चीन की कोई नई चाल