छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव: जोगी के माया मिलन से क्या बीजेपी के हाथ से जाएगी सत्ता की माया
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने शनिवार को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। छत्तीसगढ़ की बात करें तो छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव करवाए जाएंगे। पहला चरण में नक्सल प्रभावित इलाके की 18 सीटों पर 12 नवंबर को मतदान होगा और दूसरे चरण में बाकी बची 72 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा। वोटों की गिनती 11 दिसंबर को होगी। प्रदेश में इस बार मतदान के लिए 23,632 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे जो पिछले बार की तुलना में 10.34 फीसदी ज्यादा हैं। छत्तीसगढ़ में ताजा राजनीति हालात में बीजेपी जहां प्रदेश में अपने सुशासन और केंद्र की मोदी सरकार की नातियों की बात कर रही है तो वहीं कांग्रेस बीजेपी पर प्रदेश की जनता को छलने का आरोप लगा रही है।
छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं इनमें से सामान्य वर्ग के लिए 51, एससी की 10 और एसटी की 29 सीटें हैं। प्रदेश में पिछले 15 साल से बीजेपी की सरकार रमन सिंह के नेतृत्व में है और इस बार फिर से बीजेपी ने रमन सिंह पर ही दांव लगाया है। चाउर वाले बाबा के नाम से मशहूर रमन सिंह की छवी वैसे तो साफ सुथरी रही है लेकिन उन पर विपक्ष ने 36 हजार करोड़ रुपये के धान घोटाले का आरोप लगाया है। इसक अलावा इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाले का भी आरोप है।
कांग्रेस की कड़ी मेहनत
दूसरी
ओर
कांग्रेस
की
बात
करें
तो
कांग्रेस
के
पास
प्रदेश
में
रमन
सिंह
के
स्तर
का
कोई
नेता
नही
है
लेकिन
अजीत
जोगी
के
कांग्रेस
से
अलग
होने
के
बाद
से
कांग्रेस
ने
खुद
को
फिर
से
प्रदेश
में
नए
सीरे
खड़ा
किया
है।
पीसीसी
चीफ
भूपेश
बघेल
और
नेता
प्रतिपक्ष
टीएस
सिंहदेव
ने
कड़ी
मेहनत
की
है।
लेकिन
हाल
फिलहाल
के
घटनाक्रम
ने
कांग्रेस
के
लिए
चिंता
पैदा
की
है।
एक
तो
सीडी
कांड
के
चलते
अब
कांग्रेस
वहां
बीजेपी
के
निशाने
पर
है
और
दूसरा
बीएसपी
के
साथ
गठबंधन
ना
हो
पाने
से
भी
उसकी
संभावनाओं
को
करारा
झटका
लगा
है।
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जोगी-बीएसपी महत्वपूर्ण फैक्टर
2013 के विधानसभा चुनाव पर अगर नदजर डालें तो कुल 90 सीटों में से बीजेपी को 49 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस को 39 सीटों से संतोष करना पड़ा था, बीएसपी को एक और एक सीट पर निर्दलीय के खाते में गई थी। वोट प्रतिशत के हिसाब से बीजेपी और कांग्रेस में ज्यादा फर्क नहीं रहा था। बीजेपी को 42.3 फीसदी और कांग्रेस को 41.6 फीसदी मत मिले थे। बीएसपी को सीट केवल एक मिली थी लेकिन उसका मत प्रतिशत 4.4 प्रतिशत रहा था और यही वजह थी की कांग्रेस बीएसपी को साथ लेना चाहती थी। अगर इस बार दोनों का मत प्रतीशत एक साथ जुड़ जाता तो जाहिर तौर पर कांग्रेस के 15 साल के वनवास के खत्म होने की उम्मीद ज्यादा बढ़ जाती।
एससी/एसटी सीटों पर असर
बीएसपी और अजीत जोगी की जोड़ी अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। एससी की 10 में से 9 सीटों पर अभी बीजेपी का कब्जा है। इसी तरह एसटी की 29 सीटों में से बीजेपी के पास 11 और कांग्रेस के पास 18 सीटे हैं। जोगी का पूरे प्रदेश में असर नहीं है लेकिन आदिवासी और दलितों के बीच उनकी पकड़ अच्छी है। इसलिए अब बीएसपी और जोगी की जनता कांग्रेस एससी की 10 और एसटी की 29 सीटों पर असर डाल सकती हैं।
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