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'हिप्पोक्रेटिक' नहीं, मेडिकल स्टूडेंड अब लेंगे 'चरक शपथ', जानिए दोनों में अंतर और क्यों दिलाई जाती है?

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नई दिल्ली, 1 अप्रैल। मेडिकल की पढ़ाई में दशकों से स्थापित एक परंपरा में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब मेडिकल की पढ़ाई के लिए एमबीबीएस के छात्र दशकों से ली जा रही हिप्पोक्रेटिक शपथ नहीं लेंगे। इसकी जगह इन मेडिकल छात्रों को आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक के नाम पर चरक शपथ दिलाई जाएगी। चिकित्सा शिक्षा की निगरानी रखने वाली संस्था नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने इसे लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं।

एक दिन पहले ही सरकार ने दिया था अलग बयान

एक दिन पहले ही सरकार ने दिया था अलग बयान

इस फैसले को आधिकारिक बनाते हुए दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं जिसमें कहा गया है "चिकित्सा शिक्षा में प्रवेश करने पर एक अभ्यर्थी को संशोधित महर्षि चरक शपथ की सिफारिश की जाती है।"

गौर करने वाली बात यह है कि इस दिशानिर्देश के एक दिन पहले ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा, "जैसा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने सूचित किया है, हिप्पोक्रेटिक शपथ को चरक शपथ के साथ बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं है।"

क्या है हिप्पोक्रेटिक शपथ जिसे बदला जाएगा?

क्या है हिप्पोक्रेटिक शपथ जिसे बदला जाएगा?

हिप्पोक्रेटिक शपथ ग्रीक दार्शनिक और चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स के नाम पर ली जाती है जिन्हें चिकित्सा के इतिहास में प्रमुख स्थान प्राप्त है। उन्हें फादर ऑफ मेडिसिन भी कहा जाता है। मेडिकल स्टूडेंट को यह शपथ तब दिलाई जाती है जब वे प्री-क्लीनिकल से क्लीनिकल ​​विषयों में प्रवेश करते हैं। इस व्हाइट कोट सेरेमनी भी कहा जाता है।

इस शपथ में मरीज का अपनी क्षमता के अनुसार सबसे अच्छा इलाज करने और अन्य बातों के साथ मरीज की गोपनीयता की रक्षा करना भी शामिल होता है। सदियों से दुनिया भर के डॉक्टरों को यह शपथ दिलाई जाती रही है।

वहीं चरक शपथ को आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक ने लिखा था। यह भी इसी तरह की शपथ है जो चिकित्सकों के लिए एक आचार संहिता निर्धारित करती है।

पाठ्यक्रम में किया गया संशोधन

पाठ्यक्रम में किया गया संशोधन

नई गाइडलाइन में 10 दिनों के योग फाउंडेशन कोर्स भी प्रस्तावित किया गया है जो हर साल 12 जून से शुरू होकर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस तक चलेगा। सभी कॉलेजों को योग मॉड्यूल उपलब्ध कराया जाएगा। हालांकि कॉलेज अपना मॉड्यूल खुद भी चुन सकते हैं।

संशोधित पाठ्यक्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण (कम्युनिटी हेल्थ ट्रेनिंग) को पहले ही वर्ष में शामिल कर लिया गया है और यह पूरे कोर्स में बना रहेगा। इसके तहत छात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा करेंगे और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के दायरे में नहीं आने वाले गांवों को गोद लेंगे। गोद लेने के बारे में बताया गया है "लगभग 65.5% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जबकि स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं की उपलब्धता शहरी व्यवस्थाओं की ओर झुकी हुई है। यह एक ग्रामीण नागरिक के लिए स्वास्थ्य सेवा की पहुंच है जो एक प्रमुख चिंता का विषय है।"

पाठ्यक्रम में और क्या बदला?

पाठ्यक्रम में और क्या बदला?

वर्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण तीसरे वर्ष से पाठ्यक्रम में शामिल है। दूसरे वर्ष से शुरू होने वाले फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी कोर्स को तीसरे वर्ष में स्थानांतरित कर दिया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस ने पाठ्यक्रम में संशोधन पर फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर रोहन कृष्णन ने हवाले से लिखा है कि "पाठ्यक्रमों को थोड़ा इधर-उधर कर दिया गया है। महामारी के आने के बाद वायरोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए था, लेकिन संशोधित पाठ्यक्रम में ऐसा कुछ नहीं हुआ है।"

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English summary
charak shapath for medical student instead of Hippocratic oath see new guidelines
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