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CBI विवाद: आलोक वर्मा का बड़ा आरोप, 'संवेदनशील मामलों में सरकार का था हस्तक्षेप'

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CBI के Alok Verma ने उठाए CVC पर सवाल, कहा Modi Government दे रही थी दखल । वनइंडिया हिंदी

नई दिल्ली। देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में दो अफसरों के बीच जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इनके बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए सरकार ने मामले की जांच तक CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है। लेकिन अब आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और याचिका दायर करते हुए कहा है कि सरकार कई संवेदनशील मामलों की जांच में हस्तक्षेप कर कर रही थी।

केंद्र सरकार पर लगाए दखल देने के आरोप

केंद्र सरकार पर लगाए दखल देने के आरोप

आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने रातोंरात उनके अधिकार छीन लिए। यह कदम सीबीआई की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है। आलोक वर्मा ने इशारा किया है कि सरकार की परेशानी बढ़ाने वाले मामलों की जांच के कारण शायद उन्हें छुट्टी पर भेजा गया है। उन्होंने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले को असंवैधानिक बताया है।

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सीवीसी पर भी उठाए सवाल

सीवीसी पर भी उठाए सवाल

बुधवार सुबह चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पीठ के समक्ष वकील गोपाल शंकरनारायणन ने आलोक वर्मा की याचिका का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि संवेदनशील मामलों के जांच अधिकारी बदले जा रहे हैं, जो कई गंभीर मामलों की जांच को खतरे में डाल सकता है। अदालत ने जल्द सुनवाई की अपील को मानते हुए इस मामले को शुक्रवार को सुने जाने के लिए सूचीबद्ध किया।

26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

आलोक वर्मा ने 23 अक्टूबर को सीवीसी और DoPT के दिए गए फैसले को रद्द करने की मांग की और कहा कि अधिकार क्षेत्र के बाहर दिया गया फैसला संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन है। उन्होंने दावा किया कि सीवीसी का फैसला मनमाना और कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप नहीं था। इस याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट में 26 अक्टूबर को सुनवाई होनी है।

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English summary
cbi bribery case: Alok Verma claims govt interference in sensitive cases
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