घर से कितना दूर हो बच्चों का स्कूल, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम निर्देश
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नई दिल्ली। हरियाणा के गुरुग्राम में रायन इंटरनेशनल स्कूल में एक बच्चे की हत्या के बाद देश भर में यह बहस छिड़ गई है कि स्कूलों में बच्चे कैसे सुरक्षित रहें। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह तय किया है कि एक तय दूरी से ज्यादा बच्चों के लिए तय नहीं हो सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बच्चों को स्कूल जाने के लिए तीन या अधिक किलोमीटर चलने की उम्मीद नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार को सार्थक बनाने के लिए कहा इसके साथ ही कहा ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए कि किसी भी बच्चे को स्कूल जाने के लिए दूर ना चलना पड़े। अदालत उस मामले की सुनवई कर रही थी जिसमें एक स्कूल को अपग्रेड करने के लिए दी जाने वाली अनुमति का अधिकार केरल के एक अन्य स्कूल ने विरोध किया था।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पाया कि...
न्यायधीश मदन बी लोकूर और दीपक गुप्ता की पीठ ने यह पाया कि जिन बच्चों ने जूनियर प्राइमरी स्कूल से कक्षा चार पास किया, उन्हें क्लास अटेंड करने के लिए 3 से 4 किलोमीटर चलना होता है।
बेंच ने कहा अगर मौलिक अधिकार को सार्थक होना है तो...
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि 'हम स्कूल में आने के लिए 3 से अधिक किलोमीटर या अधिक चलने के लिए 10 से 14 साल के आयु वर्ग के बच्चों की अपेक्षा नहीं कर सकते। 14 वर्ष की उम्र तक शिक्षा का अधिकार अब संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत एक मौलिक अधिकार है और अगर इस अधिकार को सार्थक होना है, तो उच्च प्राथमिक विद्यालयों को ऐसे तरीके से खोलने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए कि किसी भी बच्चे को स्कूल जाने के लिए 3 किलोमीटर या उससे अधिक की दूरी पर नहीं चलना चाहिए।'
स्कूल को कर दिया गया था अपग्रेड
बता दें कि इस मामले में स्कूल को उच्च प्राथमिक विद्यालय के स्तर तक अपग्रेड कर दिया गया था और जून 2015 में राज्य सरकार द्वारा कक्षा वी से आठवीं तक भी चलने की इजाजत दी गई थी। राज्य के आदेश को एक अन्य स्कूल ने उच्च न्यायालय के सामने चुनौती दी थी, जिसने दावा किया था कि केरल शिक्षा नियम, 1959 का पालन नहीं किया गया और अपग्रेड के संबंध में किसी भी आपत्ति को दायर करने के लिए आसपास के विद्यालयों को कोई नोटिस नहीं दिया गया।
तब हाईकोर्ट ने कहा था...
उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने विद्यालय द्वारा दायर की गई याचिका की अनुमति दी थी और राज्य के आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। हालांकि, इसने जूनियर प्राथमिक विद्यालय को अगले शैक्षणिक वर्ष तक अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए पहले से ही प्रवेश के लिए छात्रों को अनुमति दी थी और कहा था कि सरकार के इस मामले में नए निर्णय तक यह खुलेगा।
याचिका हो गई थी खारिज
जूनियर प्राथमिक विद्यालय ने उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के समक्ष आदेश को चुनौती दी थी, जिसने याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद स्कूल ने सर्वोच्च न्यायालय में कदम रखा और उसके वकील ने कहा कि सरकार ने अपने पक्ष में छूट देने और इसे कानून के कुछ प्रावधानों से मुक्त करने का एक सचेत निर्णय ले लिया है और फिर इसे अकादमिक वर्ष 2015-2016 से ऊपरी प्राथमिक विद्यालय में अपग्रेड किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने के दौरान कहा था कि प्राथमिक विद्यालय से तीन किलोमीटर से कम दूरी पर कोई और स्कूल नहीं था।