क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

एक मैसेज, एक कॉल और तय हो गया कैराना लोकसभा उपचुनाव का नतीजा

Google Oneindia News

नई दिल्ली। 10 राज्यों की 14 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे सामने आने के बाद भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजने लगी है। देश की 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद सामने आए नतीजे ने भाजपा को बैकफुट पर ला दिया है। उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखंड में विपक्षी दलों के महागठबंधन के सामने भाजपा टिक नहीं पाई और करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। उपचुनाव में सबसे ज्यादा चर्चित सीट कैराना लोकसभा सीट के नतीजे भाजपा के लिए घातक साबित हुए । कैराना लोकसभा सीट और नुरपूर विधानसभा सीट पर अखिलेश-मायावती-चौधरी अजित सिंह की तिकड़ी के सामने सीएम योगी का गणित फेल हो गया। कैराना लोकसभा सीट पर रालोद की तबस्सुम हसन ने बीजेपी की मृगांका सिंह को भारी मतों के अंतर से हराया है। कैराना में रालोद की जीत पर मुहर भले आज लगी है, लेकिन इसका फैसला तो उस दिन ही हो गया था, जिस दिन रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को एक Text मैसेज भेजा था।

 एक मैसेज से तय हुई कैराना की जीत

एक मैसेज से तय हुई कैराना की जीत

रालोद के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कैराना की जीत में निर्देशक की भूमिका निभाई। चुनाव से पहले उन्होंने अखिलेश यादव को सिर्फ एक मैसेज भेजा था, जिसके बाद यहां भाजपा की हार तय हो गई थी। इस मैसेज में जयंत ने कुछ ऐसा लिखा कि कैराना सीट का पूरा समीकरण बदल गया। जयंत के मैसेज के करीब 1 घंटे बाद ही अखिलेश यादव का फोन आया। फोन पर फौरन मीटिंग तय हो गई। करीब 3 घंटे तक दोनों युवा नेताओं के बीच लंबी बैठक हुई। बैठक में न केवल दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया बल्कि 2019 के लिए भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को और बल दे दिया।

 जयंत के कंधों पर थी कैराना की जिम्मेदारी

जयंत के कंधों पर थी कैराना की जिम्मेदारी

इस बैठक में दोनों ही नेताओं ने तय किया कि वो साथ आएंगे, ताकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना सीट पर भाजपा की हार को सुनिश्चित किया जा सके। अखिलेश ने हामी भरी और जीत हासिल करने की जिम्मेदारी जयंत चौधरी के कंधों पर सौंप दी। जयंत ने भी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। सपा और रालोद के साथ लाने से लेकर पार्टी में स्थानीय बगावती सुरों को खामोश करने में जयंत ने अहम भूमिका निभाई।

 कड़वाहट के बावजूद 30 साल बाद साथ आएं अखिलेश-जयंत

कड़वाहट के बावजूद 30 साल बाद साथ आएं अखिलेश-जयंत

आपको बता दें कि जयंत चौधरी के पिता अजित सिंह और अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव जनता दल का हिस्सा थे। मुलायम अजित सिंह के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को अना राजनीतिक गुरू मानते थे,लेकिन उनकी मौत के बाद अजित सिंह और मुलायम के संबंधों में कड़वाहट आई थी। पिता के बीच के कड़वाहट को किनारे रखकर 30 साल बाद दोनों के बेटों ने हाथ मिलाया और जीत हासिल कर ली।

 जयंत की मेहनत रंग लाई

जयंत की मेहनत रंग लाई

कैराना में जीत हासिल करना रालोद के लिए लाइफलाइन हासिल करने जैसा है। इसके लिए जयंत चौधरी ने अपना पूरा जोर लगा दिया। वो करीब दिनों तक कैराना में रहकर कार्यकर्ताओं के साथ काम किया। करीब 125 गांव का दौरा कर लोगों के बीच पैठ बनाई। हर दिन 15-20 गांवों का दौरा किया।

<strong>ये भी पढ़ें:भाजपा को मिली करारी हार पर ट्विटर ने लिए मजे, बोले- 'अब अंडरग्राउंड होने का वक्त आ गया'</strong>ये भी पढ़ें:भाजपा को मिली करारी हार पर ट्विटर ने लिए मजे, बोले- 'अब अंडरग्राउंड होने का वक्त आ गया'

Comments
English summary
Just one message from Jayant Chaudhary to Akhilesh Yadav changed the course of Kairana lok sabha bypoll.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X