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Buta Singh: दलित मसीहा बूटा सिंह- इंदिरा गांधी के भरोसेमंद से राजीव सरकार के सबके ताकतवर मंत्री तक

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Buta Singh Passes away: पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह का निधन हो गया है। 86 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। कांग्रेस नेता बूटा सिंह हाल के कुछ दिनों से राजनीति में भले ज्यादा चर्चा में नहीं थे लेकिन बूटा सिंह वो नेता रहे हैं जो कभी राजीव गांधी की सरकार में सबसे ताकतवार माने जाते थे। सरदार बूटा सिंह पर ना सिर्फ राजीव गांधी ने भरोसा जताया बल्कि वो इंदिरा गांधी के भी विश्वासपात्र रहे।

पहले पंजाब फिर राजस्थान से लड़े चुनाव

पहले पंजाब फिर राजस्थान से लड़े चुनाव

सरदार बूटा सिंह आठ बार लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे। इसके साथ-साथ वो राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (SC/ST Commission) के अध्यक्ष और बिहार राज्यपाल भी रहे। बूटा सिंह राजनेता के तौर पर पंजाब और राजस्थान दो राज्यों में ज्यादा सक्रिय रहे। बूटा सिंह, 60 के दशक में राजनीति में आए और पंजाब के बड़े दलित नेता के तौर पर पहचान बनाई। वो पंजाब के रोपड़ से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते।1984 के बाद वो पंजाब से राजस्थान आ गए और जालौर सीट से चुनाव लड़ने लगे। यहां से भी वो सांसद रहे।

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राजीव सरकार के ताकतवर केंद्रीय मंत्री बूटा सिंह

राजीव सरकार के ताकतवर केंद्रीय मंत्री बूटा सिंह

1984 में राजस्थान की जालौर सीट से जीतकर आए बूटा सिंह राजीव कैबिनेट में मंत्री बने। पहले दो साल कृषि मंत्री रहे और फिर गृह मंत्री बने यानी उनको नंबर दो का दर्जा सरकार में हासिल था। ये वो दौर था, जब बूटा सिंह को राजीव गांधी का खासमखास माना जाता था और वो केंद्र के सबसे ताकतवर मंत्री थे। उनको कांग्रेस का सबसे अहम दलित चेहरा भी माना जाता था। उनको दलित मसीहा भी इस दौर में कहा जाने लगा था।

कांग्रेस के बंटने के बाद बने थे इंदिरा के भरोसेमंद

कांग्रेस के बंटने के बाद बने थे इंदिरा के भरोसेमंद

दरअसल, बूटा सिंह राजीव गांधी से पहले इंदिरा गांधी के भी भरोसेमंद नेता रहे। 1977 में जनता पार्टी से हार के बाद कांग्रेस में हलचल मच गई। कई नेता पार्टी छोड गए और पार्टी विभाजित भी हो गई। इंदिरा गांधी की अगुआई वाली कांग्रेस में बूटा सिंह इकलौते राष्ट्रीय महासचिव थे। कहा जाता है कि उन्होंने संगठन के लिए जो मेहनत की, उसी का नतीजा था कि 1980 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई।

बूटा सिंह के करियर पर ब्रेक 1989 में लगा जब वो लोकसभा का चुनाव हार गए हालांकि अगले चुनाव में वह जीत गए लेकिन नरसिम्हा राव की सरकार में उनकी राजीव गांधी जैसी पकड़ नहीं रह गई थी। इसके बाद यूपीए की सरकार आने पर उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया था।

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English summary
Buta Singh Profile dalit leader home minister in Rajiv Gandhi govt ex governor of bihar
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