ब्रिटेन की इंडो-पैसिफिक पॉलिसी में बड़े शिफ्ट की तैयारी, जॉनसन के भारत दौरे से होगी शुरुआत
नई दिल्ली। चीन के बढ़ते खतरे और क्वॉड देशों की बैठक के बाद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका के चलते दुनिया में हलचल तेज हो रही है। यही वजह है कि ब्रिटेन भी हिंद-प्रशांत को लेकर अपनी नई नीति की तैयारी में जुट गया है। इसी के तहत ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अप्रैल में भारत का दौरा करने वाले हैं।
ब्रिटेन ने मंगलवार को 2019 के चुनाव के बाद पहली बार सुरक्षा, रक्षा, विकास और विदेश नीति को लेकर की गई व्यापक समीक्षा का खुलासा किया जिसमें इसे "शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद से दुनिया में ब्रिटेन की स्थिति को लेकर सबसे कठोर मूल्यांकन" कहा है।
बेहद
महत्वपूर्ण
दौरा
जॉनसन
इंडो-पैसिफिक
नीति
के
प्रति
उनकी
सरकार
की
बढ़ती
दिलचस्पी
और
क्षेत्र
में
नए
अवसरों
को
खोलने
के
लिए
विदेश
और
सुरक्षा
नीति
में
व्यापक
सुधार
के
तहत
इस
यात्रा
पर
पहुंचेंगे।
क्वाड
और
इंडो
पैसिफिक
को
लेकर
ये
दौरा
बहुत
ही
महत्वपूर्ण
माना
जा
रहा
है।
ब्रिटेन ने आधिकारिक बयान में कहा है कि एकीकृत समीक्षा ने विदेश नीति में कई बदलाव किए हैं जिसमें इंडो-पैसिफिक नीति में बदलाव भी शामिल है और जॉनसन अप्रैल के अंत में भारत का दौरा करेंगे। संसद में समीक्षा की रिपोर्ट के पेश करते हुए जॉनसन ने कहा कि वह "दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ संबंधों को मजबूत करने" के लिए भारत की यात्रा करेंगे।
जॉनसन
का
पहला
विदेशी
दौरा
ब्रिटेन
के
यूरोपियन
से
बाहर
निकलने
के
बाद
ये
बोरिस
जॉनसन
का
पहला
बड़ा
विदेशी
दौरा
होगा।
इसके
पहले
26
जनवरी
को
गणतंत्र
दिवस
परेड
में
जॉनसन
को
मुख्य
अतिथि
के
तौर
पर
शामिल
होना
था
लेकिन
ब्रिटेन
में
कोरोना
वायरस
के
नए
वैरिएंट
के
केस
बढ़ने
के
बाद
उन्होंने
आखिरी
वक्त
में
अपना
दौरा
रद्द
कर
दिया
था।
उस
समय
ब्रिटेन
ने
कहा
था
कि
जॉनसन
2021
की
पहली
छमाही
में
भारत
का
दौरा
कर
सकते
हैं
और
जून
में
ब्रिटेन
की
जी-7
सम्मेलन
के
पहले
प्रधानंमत्री
नरेंद्र
मोदी
मेहमान
के
तौर
पर
शामिल
हो
सकते
हैं।
ब्रिटेन की संसद में पेश दस्तावेज में भारत-ब्रिटेन संबंधों को "पहले से ही मजबूत" बताने के साथ ही कहा गया है कि ब्रिटेन अगले दशक में "हमारे साझा हितों की पूरी श्रृंखला में हमारे सहयोग में परिवर्तन की तलाश करेगा"। इसमें भारत को अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में बढ़ती ताकत कहा गया है और भारतीय मूल के 15 लाख ब्रिटिश नागरिकों सहित दोनों पक्षों के बीच मजबूत सांस्कृतिक संबंधों की बात की गई है।
भारत में कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर ब्रिटेन की संसद में चर्चा के बाद सरकार के इस बयान ने ये भी साफ किया है कि ब्रिटेन की सरकार भारत के साथ संबंधों को लेकर कितनी गंभीर है।
2007 और 2019 के बीच भारत-ब्रिटेन व्यापार दोगुना से अधिक हो गया है और दोनों देशों के बीच निवेश ने एक-दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं में 5 लाख से अधिक नौकरियों के लिए जगह बनाई है।
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