कर्नाटक फ्लोर टेस्ट: बीजेपी की हार में ये है कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत, पढ़ें राजनीति का सबसे बड़ा 'दम लगा के हइशा'....
बेंगलूरु। बीएस येदुरप्पा सोमवार को कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए। ढाई दिन तक सीएम पद पर रहने के बाद उन्हें आखिरकार इस्तीफा देना पड़ा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 में भले ही कांग्रेस हार गई। लेकिन तीसरे नंबर की पार्टी जनता दल- सेक्युलर को सीएम पद का ऑफर देकर वह कांग्रेस हारकर 'जीतने वाले बाजीगर' की तरह उभरकर सामने आई। कुल मिलाकर कांग्रेस का जेडी-एस को समर्थन देने का दांव हिट रहा। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होकर भी सत्ता से बाहर हो गई। कांग्रेस के नए नवेले अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए गुजरात में नैतिक जीत के बाद येदुरप्पा का इस्तीफा एक बड़ी खबर है। इससे दो बातें साबित होती हैं।
पहली- राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद यह दूसरा मौका है जब कांग्रेस लूजर की तरह चुनाव नहीं लड़ा और बीजेपी से हर मोर्चे पर फाइट की। चाहे मामला चुनावी या बहुमत के आंकड़े को लेकर हुई जोड़-तोड़।
दूसरी- कर्नाटक से कांग्रेस के लिए एक और अहम बात यह निकलकर सामने आती है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस का थिंक टैंक एक्टिव नजर आ रहा है। कर्नाटक से कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह को स्पष्ट संकेत भेजा है कि कांग्रेस रणनीति बनाना जानती है और उसे जमीन पर उतारना भी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कर्नाटक फ्लोर टेस्ट के दौरान देखने को मिला, जहां कांग्रेस विधायक तोड़ना बीजेपी के लिए एकदम असंभव सा काम हो गया। यही कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत है।
कर्नाटक में कांग्रेस ने कई मोर्चों पर दी बीजेपी को मात
- सिद्धारमैया और उनकी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ कर्नाटक की जनता में काफी रोष था। इसके बाद भी राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का पूरा अमला कर्नाटक में आखिरी सांस तक डटा रहा। यही कारण रहा कि बीजेपी ने कई सीटें कांग्रेस के हाथों 200 से 300 वोटों से भी गंवाईं।
- 2014 में नरेंद्र मोदी की आंधी आने के बाद से कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हारती गई। गौर करने वाली बात यह रही कि कांग्रेस जहां-जहां हारी, वहां-वहां वह बीजेपी के आंकड़े के करीब तक नहीं पहुंच पाई। लेकिन पहले गुजरात और अब कर्नाटक में कांग्रेस ने अच्छी फाइट दी।
- हर परिस्थिति के लिए कांग्रेसी थिंक टैंक तैयार की रणनीति। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने कर्नाटक में हर स्थिति के लिए अलग रणनीति तैयार की और बीजेपी के हर वार पर जोरदार पलटवार किया।
- राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर से बीजेपी को सरकार बनाने के लिए न्योते के बाद कांग्रेस ने गोवा, मणिपुर, मेघायल में पार्टी के नेताओं को एक्टिव किया और राष्ट्रीय स्तर पर नैतिक बहस को छेड़ा। इसी बीच कांग्रेस के वकीलों की पूरी टीम ने सुप्रीम कोर्ट में सही तरीके से मुद्दे को उठाया और सबसे अहम बात सही समय पर उठाया।
- कांग्रेस के सुप्रीम कोर्ट जाने से बीजेपी को बहुमत जुटाने के लिए बेहद कम समय मिल पाया और दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों की किलेबंदी ऐसी कर दी कि बीजेपी के पास फोन पर संपर्क साधने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। ऐसा हुआ भी, फोन आए, तो उन्हें रिकॉर्ड कर लिया गया और फ्लोर टेस्ट के दिन कांग्रेस ऑडियो पर ऑडिये जारी करती रही। हालांकि, इनकी ऑडियो टेप सत्यता प्रमाणित होनी बाकी है, लेकिन ऑडियो टेप के तूफान ने बीजेपी को बेहद असहज कर दिया। यही कारण रहा कि 15 मई के बाद से बहुमत जुटाओ अभियान शुरू करने वाली बीजेपी के पास और 'दम लगाके हइशा' करने की ताकत नहीं बची। ऐसे में बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के पास येदुरप्पा को इस्तीफे का निर्देश देना ही एकमात्र विकल्प बचा था और अंत में इसी विकल्प को चुना भी गया।
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