जनसंख्या नियंत्रण कानून पर संसद में बहस की मांग
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने देश की बढ़ती जनसख्या पर चिंता जताते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने बताया कि जनसंख्या विस्फोट से देश को किन-किन समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून पर संसद में बहस किए जाने की मांग की है। आपको बता दें कि अश्विनी उपाध्याय दिल्ली उच्च न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट में 50 से अधिक जनहित याचिकाओं के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने चुनाव, न्यायिक सिस्टम में सुधार, मुस्लिमों में बहुविवाह, तीन तलाक, हलाला आदि मुद्दों पर याचिकाएं अदालतों में लगा रखी है।
चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे पैदा होते हैं और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे
पत्र में पीएम मोदी को संबोधित करते हुए अश्विनी उपाध्याय ने लिखा है कि '' वर्तमान समय में लगभग 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं। इससे स्पष्ट है कि हमारे देश की कुल जनसंख्या 125 या 130 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 152 करोड़ है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं। हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2% है, पीने योग्य पानी मात्र 4% है और जनसंख्या दुनिया की 20% है। यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसंख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है। चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे पैदा होते हैं और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं।''
50 फीसदी समस्याओं का मुख्य कारण है जनसंख्या विस्फोट
अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि भारत की 50% समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है। जल जंगल और जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा और मकान की समस्या, गरीबी और बेरोजगारी की समस्या, भुखमरी और कुपोषण की समस्या तथा वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण की समस्या का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है। टेम्पो बस और रेल में भीड़, थाना तहसील और जेल में भीड़ तथा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भीड़ का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है। चोरी डकैती और झपटमारी, घरेलू हिंसा और महिलाओं पर शारीरिक-मानसिक अत्याचार तथा अलगाववाद, कट्टरवाद और पत्थरबाजी का मूल कारण भी जनसंख्या विस्फोट है। चोर, लुटेरे, झपटमार, जहरखुरानी करने वालों, बलात्कारियों और भाड़े के हत्यारों पर सर्वे करने से पता चला कि 80% से अधिक अपराधी ऐसे हैं जिनके मां-बाप ने हम दो-हमारे दो नियम का पालन नहीं किया।
बेटियों को मिले बराबर का दर्जा
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशानुसार हम सब प्रत्येक वर्ष 25 नवंबर को महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाते हैं लेकिन महिलाओं पर हिंसा बढ़ती जा रही है और इसका मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट है। बेटी पैदा होने के बाद महिलाओं पर शारीरीक और मानसिक अत्याचार किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर है। कुछ लोग तो 3-4 बेटीयां पैदा होने के बाद पहली पत्नी को छोड़ देते हैं और दूसरा विवाह कर लेते हैं। बेटियों को बराबरी का दर्जा मिले, बेटियों का स्वास्थ्य ठीक रहे, बेटियां सम्मान सहित जिंदगी जीयें तथा बेटियां खूब पढ़ें और आगे बढ़ें, इसके लिए चीन की तर्ज पर एक प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना बहुत जरूरी है।
अंत में अश्विनी उपाध्याय ने पीएम मोदी से अपील की और कहा कि यदि 2004 में भाजपा की सरकार बनती तो अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा बनाये गए संविधान समीक्षा आयोग की सिफारिसों पर संसद में बहस जरुर होती और जनसंख्या नियंत्रण कानून भी बनाया जाता। लेकिन वोटबैंक राजनीती के कारण कांग्रेस ने आयोग के सभी सुझावों पर संसद में चर्चा करने की बजाय चुनिंदा सुझावों को ही लागू किया। इसलिए मैं आपसे विनम्रता पूर्वक निवेदन करता हूं कि आमजनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए आगामी संसद सत्र में संविधान समीक्षा आयोग के सुझावों को संसद के पटल पर रखने और इस पर विस्तृत चर्चा करने के लिए आवश्यक निर्देश दें। मेरे विचार में अटल बिहारी को यह सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी।