बिल्किस बानो केस: दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने बिल्किस बानो गैंगरेप मामले में गुजरात सरकार से दोषी अफसरों के विभागीय जांच संबंधी स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
नई दिल्ली। बिल्किस बानो गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट से सवाल पूछा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्या उन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। साथ ही ये भी कहा कि उन्हें सेवा में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने इस मामले में चार हफ्ते में जवाब मांगा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप पीड़िता को निचली अदालतों द्वारा तय मुआवजा राशि में वद्धि के लिए अलग से याचिका दायर करने की भी अनुमति दी। गैंगरेप पीड़िता ने मुआवजे की राशि में वृद्धि के साथ ही दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का अनुरोध किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिल्किस बानो गैंगरेप मामले में गुजरात सरकार से दोषी अफसरों के विभागीय जांच संबंधी स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकरऔर न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस निर्देश के साथ ही 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की पीड़िता को पहले दिये जा चुके मुआवजे की राशि में बढोत्तरी के लिये नई अपील दायर करने की भी अनुमति प्रदान कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का डिटेल चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इसके अलावा बलात्कार पीड़ित के वकीलों को मुआवजे की राशि के मुद्दे पर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिये अलग से अपील दायर करने की अनुमति प्रदान की। बॉम्बे हाई कोर्ट ने चार मई को अपने फैसले में सामूहिक बलात्कार के इस मामले में 12 दोषियों की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी थी जबिक कोर्ट ने पुलिसकर्मियों और चिकित्सकों सहित सात व्यक्तियों को बरी करने का निचली अदालत का आदेश निरस्त कर दिया था।
गोधरा ट्रेन अग्निकांड की घटना के बाद गुजरात में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मार्च, 2002 में गर्भवती बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था । इस हिंसा में उसके परिवार के सात सदस्य मार डाले गये थे जबकि परिवार के छह अन्य सदस्य बच कर भाग निकलने में कामयाब हो गये थे।
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