Assam Election:भाजपा जीती तो कौन बनेगा असम का मुख्यमंत्री ? हिमंत बिस्व सरमा ने बताया
गुवाहाटी: असम के कद्दावर भाजपा नेता और हाई-प्रोफाइल मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने गुरुवार को राज्य में पार्टी की जीत की स्थिति में मुख्यमंत्री पद को लेकर काफी कुछ स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित अमित शाह के पास लॉबिंग करने से कुछ नहीं होने वाला। गौरतलब है कि सरमा पहले विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। लेकिन, बाद में वो इसके लिए तैयार हुए तो इस बात के कयास लगने लगे कि जीत की स्थिति में अबकी बार बीजेपी राज्य में अपना चेहरा बदल सकती है। गौरतलब है कि पार्टी ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की मौजूदगी के बावजूद मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा नहीं की है। असम में तीन चरणों में चुनाव हो रहे हैं, 27 मार्च, 1 अप्रैल और 6 अप्रैल। चुनाव नतीजे 2 मई को आएंगे।
'क्या फर्क पड़ता है अगर मेरी ऐसी महत्वाकांक्षा है भी तो...'
बीजेपी नेता हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह के पास किसी को पैरवी करने से कुछ नहीं होने वाला, वे अपना फैसला खुद करेंगे कि मौजूदा सीएम सर्बानंद सोनोवाल या फिर हिमंत खुद या फिर सत्ताधारी गठबंधन का कोई दूसरा नेता सरकार की अगुवाई करे। बीजेपी ने इसबार किसी को सीएम उम्मीदवार नहीं बनाया है, लेकिन हिमंत बिस्व सरमा को इस पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। जब उनसे किसी को मुख्यमंत्री नहीं प्रोजेक्ट करने को लेकर सवाल पूछा गया तो वे बोले इसका जवाब तो सिर्फ केंद्रीय नेतृत्व ही दे सकता है। उन्होंने यह बात भी दोहराई है कि वो तो इसीलिए चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे ताकि कोई कंफ्यूजन पैदा ना हो कि वो सीएम बनना चाहते हैं। लेकिन, जब पार्टी ने उनसे कहा तो उन्हें अपना इरादा बदलना पड़ा। जब उनसे उनके सीएम बनने की महत्वाकांक्षा के बारे में पूछा गया है तो वो बोले, 'इससे क्या फर्क पड़ता है अगर मेरी ऐसी महत्वाकांक्षा है भी तो...'
कौन बनेगा असम का सीएम, हिमंत बिस्व सरमा ने बताया
सरमा ने साफ किया कि मुख्यमंत्री वही बनेगा, जिसे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बनाना चाहेंगे। उन्होंने कहा है, 'अगर पीएम और अमित भाई तय करते हैं कि मैं नहीं बनूंगा, तब क्या मैं बन सकता हूं ? आप ऐसी बातें मत सोचिए, जिससे कोई लाभ नहीं मिलने वाला। आखिरकार मैं वही करूंगा जो पीएम और अमित भाई फैसला करेंगे। वो जो कहेंगे मैं बिना सवाल किए वो करूंगा। इसलिए, मुझे यह अपने मन में क्यों डालना चाहिए।' सरमा के मुताबिक, 'पीएम और अमित भाई के पास लॉबिंग करने का कोई मतलब नहीं है। वो सबको जानते हैं और उनके पास सबकी कुंडली है। अगर उन्हें लगेगा कि हिमंत बिस्व सरमा असम के लिए सही आदमी है तो वह मुझे बनाएंगे, अगर उन्हें लगेगा कि सर्बानंद सोनोवाल सही आदमी है तो वो उनको देंगे या यदि उन्हें लगेगा कि दोनों ठीक नहीं हैं, तो किसी तीसरे व्यक्ति को ले आएंगे.....इसलिए मुझे बताइए कि मेरे या सर्बानंद सोनोवाल के लिए इसके बारे में सोचना भी उचित है या फिर हजारों प्रेस इंटरव्यू देना ठीक है....'
महाजोत की 'मिया' संस्कृति पर हमला
सरमा ने कहा है कि इसबार भी असम की लड़ाई असम की सभ्यता को बचाने के लिए है, जिसमें असम की संस्कृति और 'मिया' संस्कृति के बीच चुनावी जंग है। इसमें वो भाजपा गठबंधन को असम संस्कृति का रक्षक मानते हैं और कांग्रेस-एआईयूडीएफ के 'महाजोत' गठबंधन को असम में 'मिया' संस्कृति के लिए लड़ने वाला बताते हैं। उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस, फिर ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और उसके बाद असम गण परिषद ने असम की पहचान बचाने की लड़ाई लड़ी, अब बीजेपी इसकी मूल संस्कृति की रक्षा के लिए लड़ रही है। उन्होंने एआईयूडीएफ चीफ बदरुद्दीन अजमल से कांग्रेस के तालमेल पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में यह लड़ाई 1930 से कांग्रेस और मुस्लिम लीग के जमाने से चल रही है और असम के लोग खुद को बचाने के लिए यह लड़ाई लड़ते रहेंगे नहीं तो वो 'निगल' जाएंगे।
कांग्रेस ने सारी अच्छी सीटें बेच दी हैं- हिमंत
उन्होंने बताया कि 126 सदस्यीय असम विधानसभा में 2016 में भाजपा गठबंधन को 86 सीटें मिली थीं, जिसमें इसबार बीजेपी की सीटें बहुत ज्यादा बढ़ेंगी, क्योंकि इसबार वह ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस-एआईयूडीएफ गठबंधन से बीजेपी को लोअर और सेंट्रल असम में करीब 6 सीटों का नुकसान हो सकता है, लेकिन अपर और उत्तर के इलाके में महाजोत की सीटें ज्यादा घटेंगी, क्योंकि वहां के लोग अजमल को सत्ता में आने से रोकने के लिए 'बेताब' हैं। उन्होंने दावा किया कि अभी भी उनकी पुरानी पार्टी या कांग्रेस के कई नेता उनसे मुलाकात करते हैं। इस आधार पर उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर अच्छी सीटें बेचने का भी दावा कर दिया। वो बोले, 'कांग्रेस के काफी सारे लोग हमारे घर आते हैं। पार्टी ने अपनी सारी अच्छी सीटें (जीतने की संभावना वाली)बेच दी हैं। मैं इसे ऑन रिकॉर्ड कह सकता हूं, जो कि लोग चुनाव के बाद कहेंगे। '
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