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जेएनयू, असहिष्णुता पर खेर का 'अनुपम' अंदाज!

By राजीव रंजन तिवारी
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नई दिल्ली। लगता है चर्चित अभिनेता और भाजपा सांसद किरण खेर के पति अनुपम खेर ने चर्चा में रहना सीख लिया है। कुछ दिन पहले पाकिस्तानी वीजा के सवाल पर चर्चा में रहे अनुपम खेर का जेएनयू और असहिष्णुता के मुद्दे पर अनूठा अंदाज अब बहस का हिस्सा बन रहा है। कोलकाता में एक मीडिया समूह के डिबेट में खेर का दिया गया हास्यास्पद भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

अनुपम खेर हैं क्या.. एक अभिनेता..एक नेता या फिर...कुछ और?अनुपम खेर हैं क्या.. एक अभिनेता..एक नेता या फिर...कुछ और?

रील लाइफ में गंभीर अभिनय के लिए मशहूर अनुपम खेर का रीयल लाइफ इतना सतही होगा, इसका किसी को अंदाजा नहीं था। कोलकाता में अपने वक्तव्य के दौरान एक सीनियर जज की बातों से नाइतेफाकी जाहिर कर खेर ने खुद को हंसी का पात्र बनाया।

अनुपम खेर ने जमकर कांग्रेस की आलोचना की

दरअसल, जस्टिस ने जेएनयू के घटनाक्रमों को सही ठहराया था। उसी बात पर अनुपम खेर का पारा चढ़ गया और वे फिलास्फी झाड़ने लग गए। इन्टोलरेंस के मुद्दे पर उन्होंने एक और हल्की बात की, जिसकी पूरे देश में चटखारे लेकर चर्चा की जा रही है। एकतरफ उन्होंने कहा कि वे भाजपा के नेता नहीं है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेसी नेताओं से कहा कि आपलोग राहुल गांधी को झेल रहे हो, यह बहुत बड़ी सहनशीलता है।

राहुल गांधी देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के सर्वमान्य नेता

जबकि अनुपम खेर इस बात को ठीक से समझते हैं कि राहुल गांधी देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के सर्वमान्य नेता हैं। इसी तरह उन्होंने भाजपा के फायरब्रांड नेताओं योगी आदित्यनाथ और साध्वी प्राची को जेल में डालने तथा पार्टी से निकालने की सलाह देकर खुद का मजाक उड़वाया।

अनुपम खेर का यह सियासी 'अनुपम' अंदाज

यूं कहें कि अभिनेता अनुपम खेर का यह सियासी 'अनुपम' अंदाज कुछ जमा नहीं। यह सबको पता है कि देश में इस समय जेएनयू और सहिष्णुता का मुद्दा ज्वलंत बना हुआ है। यह अलग बात है कि केन्द्र सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी इन दोनों मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन उनके लोग इन विवादों से जितना ही निकलने की कोशिश कर रहे हैं, उतना ही उलझते जा रहे हैं।

कन्हैया प्रकरण पर भाजपा की किरकिरी

यदि सबसे पहले जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया प्रकरण की चर्चा करें तो पता चलेगा कि किस तरह से केन्द्र सरकार द्वारा खुद ही अपनी फजीहत कराई गई है। अपने उदार विचारों के लिए चर्चित अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने नरेंद्र मोदी सरकार पर भारत के विश्वविद्यालयों में असहमति की आवाज दबाने और भीड़ की हिंसक मानसिकता अपनाने का आरोप लगाया।

ओबामा के साथ साक्षा लेख

ऐसे में उन्हें सितंबर 2014 के अच्छे दिनों की याद जरूर आ रही होगी जब अमेरिका के दौरे के समय उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मिलकर वहां के एक दूसरे उदार विचारों वाले अखबार वाशिंगटन पोस्ट में साझा लेख में अपने विचार व्यक्त किए थे।

लोकतंत्र, आजादी, अनेकता और उद्यम के प्रति प्रतिबद्धता

मोदी और ओबामा ने उसमें लिखा था कि लोकतंत्र, आजादी, अनेकता और उद्यम के प्रति प्रतिबद्धता की वजह से भारत और अमेरिका साझा मूल्यों और आपसी हितों के जरिए जुड़े हैं। वहीं दिल्ली में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा कि विवि विचारों की प्रयोगशाला होते हैं। हालांकि उन्होंने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विवि की घटनाओं या उससे पहले हैदराबाद केंद्रीय विवि में रोहित वेमुला की खुदकुशी का जिक्र नहीं किया।

भारत के लिए यह ऐतिहासिक पल

राष्ट्रवाद को पहली कसौटी के रूप में खड़ा करने की बीजेपी की कोशिश दुनिया के कई देशों में चर्चा का विषय बन गई है। ब्रिटेन के अखबार गार्जियन में एक लेख का शीर्षक था कि भारत के लिए यह ऐतिहासिक पल है। फ्रांस के ला मोंद के संपादकीय में कहा गया कि जेएनयू के एक छात्र और दिल्ली के एक पूर्व प्रोफेसर की "राजद्रोह" के आरोप में गिरफ्तारी हिंदू राष्ट्रवादी सरकार के अधिनायकवादी रुझान का ताजा उदाहरण है। येल, कोलंबिया, हार्वर्ड और कैंब्रिज समेत दुनिया के कई विश्वविद्यालयों के करीब 455 विद्वानों ने जेएनयू के छात्रों के असहमति के अधिकार के समर्थन में बयान जारी किए।

कन्हैया को इतने कम समय में जमानत कैसे मिल गई?

इतना ही नहीं, भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार को 'मुफ्त प्रसिद्धि' दिलाने के लिए बीजेपी पर परोक्ष हमला किया। शिवसेना ने पूछा है कि कन्हैया को इतने कम समय में जमानत कैसे मिल गई जबकि 'देशद्रोह' के अन्य आरोपी अब भी जेल की सलाखों के पीछे हैं। पार्टी ने अपने मुखपत्र में छपे संपादकीय में कहा कि केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि कन्हैया कुमार को मुफ्त प्रसिद्धि मिल रही है।

आज कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता?

यदि ऐसा है तो उसे मुफ्त प्रसिद्धि दिलाने के लिए कौन जिम्मेदार है? आज, कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता। छोटी से छोटी चीज की कीमत चुकानी पड़ती है। शिवसेना ने कहा कि गुजरात में पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग के आंदोलन का नेतृत्व करने वाला हार्दिक पटेल 'देशद्रोह' का आरोप लगने के बाद अब भी सलाखों के पीछे है।

मैं हैरानी, शर्म और दुख महसूस कर रहा हूं

इससे इत्तर अनुपम खेर ने कहा कि सोचकर आया था कि व्यक्तिगत किसी के खिलाफ कुछ नहीं बोलूंगा। मैं हैरानी, शर्म और दुख महसूस कर रहा हूं जो कुछ भी आपने कहा है मिस्टर गांगुली। एक जज होने के नाते ये बहुत दुखी करने वाली बात है कि आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बता रहे हैं। ये बहुत अपमानजनक है। जब मीडिया आपका पीछा कर रहा था और जब आपके खिलाफ केस था तब पूरी तरह असहनशील हो गए थे। आज आप कह रहे हैं कि जो जेएनयू में जो कहा गया वो सही था। मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं कि हम भूल रहे हैं कि जिसे हीरो बनाया जा रहा है वो 9 फरवरी को जेएनयू के कार्यक्रम में शामिल था।

योगी आदित्यनाथ और साध्वी प्राची पर भी निशाना

खेर की बकवासबाजी यहीं नहीं रुकी। आगे भाजपा के फायरब्रांड नेताओं योगी आदित्यनाथ और साध्वी प्राची जैसे लोगों पर भी निशाने साधने शुरू कर दिये। कहा कि 'बकवास करने वाले' योगी आदित्यनाथ और साध्वी प्राची को भाजपा से बाहर किया जाना चाहिए और उन्हें जेल में डाल देना चाहिए।

राजनीतिक पचड़ों में क्यों पड़ रहे हैं?

बहरहाल, स्थितियां अनुकूल नहीं है। जिस तरह जेएनयू के कन्हैया के लिए भाजपा के लोग सलाह दे रहे हैं कि कन्हैया एक छात्र है तो उसे मन लगाकर पढ़ाई करनी चाहिए, राजनीति नहीं। उसी तरह अनुपम खेर को भी यह संदेश देना चाहिए कि वे भी कलाकार हैं तो सिर्फ अभिनय करें राजनीतिक पचड़ों में क्यों पड़ रहे हैं।

Comments
English summary
If you can tolerate that person then you can tolerate anything in the world. This is ridiculous. Did you hear the word intolerance before the last eight months? This has been marketed to take revenge for the defeat in the last elections," Kher said.
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